भारत में करीब छह लाख छात्र देश भर के मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए दोबारा से प्रवेश परीक्षा देने वाले हैं.


सुप्रिम कोर्ट ने हाल ही में प्रवेश परीक्षा में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के इस्तेमाल से नकल करने के कारण परीक्षा रद्द कर दी थी.सुप्रीम कोर्ट ने 44 छात्रों को इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की मदद से कदाचार का दोषी पाया है.परीक्षा के दौरान नकल भारत में कोई नई बात नहीं है और इसे समाज में बुरी नज़र से देखा जाता है. इसके बावजूद नकल का प्रचलन दशकों से देश के ज्यादातर हिस्सों में फल-फूल रहा है.तो क्या परीक्षा में नकल करना भारत की शिक्षा व्यवस्था में महामारी का रूप ले चुका है?यहां ऐसे पांच तरीकों की बात की जा रही है जिसका इस्तेमाल भारतीय परीक्षा के दौरान नकल करने में करते हैं.तकनीक का इस्तेमालसालों से भारत में नकल का यह तरीका सबसे व्यापक है. हर साल सैकड़ों छात्र इस तरीके से समूह में नकल करते पकड़े जाते हैं.


लेकिन फिर भी अभी तक इससे निपटने को पर्याप्त क़ानून का अभाव है. भारत के उत्तरी राज्यों बिहार उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, हरियाणा और राजस्थान नकल की समस्या से सबसे ज्यादा प्रभावित माने जाते हैं.हाल ही में बिहार की सामूहिक नकल करती छात्रों की एक तस्वीर ने सबको चौंका दिया था.

हाईस्कूल की परीक्षा में कड़ी सुरक्षा-व्यवस्था के बावजूद कई छात्र नोट और टेक्सटबुक परीक्षा केंद्र पर ले गए थे और उनके परिवारवाले और दोस्त परीक्षा केंद्र की दीवार फांद कर के छात्रों को नकल करा रहे थे.पूर्व में राज्य सरकारों ने सामूहिक नकल को रोकने के लिए कुछ तात्कालिक क़ानून भी बनाए थे लेकिन इसमें से ज्यादातर फ़ैसले जनता के दबाव में वापस ले लिए गए.हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि नकल के ऐसे मामलों से सिर्फ 'विषय और अवधारणा आधारित सवालों के साथ 'ओपन बुक सिस्टम' लागू कर के हल किया जा सकता है.नकली उम्मीदवारों की सेवा लेनाअमीर और रसूखदार लोगों के लिए परिक्षकों और जांचकर्ताओं को प्रभावित करना भारत में कोई नई बात नहीं है लेकिन उम्मीदवारों की बढ़ती संख्या और लोगों के पास पैसा आने से इसमें इन दिनों इजाफा हुआ है.पिछले साल मध्यप्रदेश में कम से कम आठ वरीय अधिकारियों को परीक्षा में धांधली करवाने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था.यह घोटाला प्री-मेडिकल टेस्ट, टीचर, कांस्टेबल, फूड इंस्पेक्टर और कई सरकारी नौकरियों की परीक्षा से जुड़ी हुई थी.

इस घोटाले में राज्य के गर्वनर और उनके बेटे का नाम भी सामने आया. इसके बाद गर्वनर के बेटे की रहस्यमयी हालत में मृत्यु हो गई और गर्वनर को अपना पद छोड़ना पड़ा.इस घोटाले से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े कम से कम बीस लोगों की मृत्यु हो चुकी है और कइयों पर अब तक जांच चल रही है. यह बात डराने वाली है कि 'भ्रष्टाचार' का ऐसा मामला किसी एक राज्य तक सीमित नहीं है बल्कि पहले भी दूसरे राज्यों में ऐसे मामले सामने आए हैं.प्रश्न-पत्र लीक होनाकल्पना कीजिए कि सिविल सर्विसेज के किसी उम्मीदवार की खुशी का जिसे परीक्षा से एक घंटे पहले अपने मोबाइल के व्हाट्सऐप मैसेंजर में प्रश्न पत्र मिल गया हो. हाल ही में उत्तरप्रदेश में ऐसा हुआ है.जिसकी वजह से परीक्षा रद्द करनी पड़ी. इस परीक्षा में साढ़े चार लाख परीक्षार्थी बैठे थे.प्रश्न पत्र लीक करने का तरीका बहुत ही आसान है. किसी भी परीक्षा केंद्र के लॉकर में चोरी से घुसकर प्रश्न पत्र की तस्वीर ले ली जाती है और फिर उसे व्हाट्सऐप पर भेज दिया जाता है.प्रश्न पत्र लीक करने के ऐसे मामले दिल्ली यूनिवर्सिटी और दूसरे दक्षिण भारत के कॉलेजों में सामने आ चुके हैं.यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने की परीक्षा के प्रश्न पत्र ईमेल हैक करके लीक करने के मामले भी है.
इसने भारत में अधिकारियों को प्रश्न पत्र के सुरक्षा पर अधिक सतकर्ता बरतने और खर्च करने के लिए मजबूर किया है.

Posted By: Satyendra Kumar Singh