चीन ने नेपाल के रुई गांव पिछले काफी समय से कब्जा कर रखा है। चीन रुई गांव के अलावा नेपाल के अन्य 11 स्थानों पर कब्जा कर चुका है लेकिन चीनी अवैध कब्जे और नेपाली सीमाओं में बढ़ती घुसपैठ पर आपत्ति जताने के बजाय नेपाल की केपी शर्मा ओली सरकार अनावश्यक रूप से भारत की संप्रभुता में हस्तक्षेप करना चाह रही है। यहां पढ़ें पूरा मामला...


नई दिल्ली (आईएएनएस)। चीन नेपाल के कई जमीनों पर अपना कब्जा करता जा रहा है।शीर्ष सरकारी सूत्रों ने मंगलवार को कहा कि चीन ने नेपाल के एक गांव पर कब्जा कर लिया है और कथित तौर पर उसके खंभे को वैध करने के लिए बाउंड्री लाइन को हटा दिया है। यह भी पता चला है कि चीन धीरे-धीरे कई नेपाली क्षेत्रों में पूर्ण नियंत्रण करने की दिशा में तेजी बढ़ रहा है। इस क्रम में नवीनतम गोरखा जिले का रुई गांव है, जो अब चीन के पूरे नियंत्रण में है। लगभग 72 घरों वाले निवासी यहां अपनी मूल पहचान के लिए लड़ रहे हैं। चीन ने पिछले दो वर्षों में व्यवस्थित रूप से इस गांव पर कब्जा किया है। बावजूद इसके इस समय यह साफ दिख रहा है कि चीन के इस क्रिया कलाप पर नेपाल सरकार चुप्पी साधे है।


नेपाल के वर्तमान शासन ने कैसे चीन के सामने आत्मसमर्पण किया

शीर्ष सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि नेपाल के वर्तमान शासन ने कैसे चीन के सामने आत्मसमर्पण किया है और अब भारत विरोधी बयान दे रहा है। इतना ही नहीं वह भारत विरोधी गतिविधियों का सहारा ले रहा है। रुई गांव के अलावा चीन ने नेपाल के 11 स्थानों पर रणनीतिक भूमि पर कब्जा कर लिया है। नेपाल के चार जिलों में लगभग 36 हेक्टेयर भूमि, जिस पर चीन की सीमा है। चीन द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया है, लेकिन अभी तक नेपाल सरकार इसके बारे में चुप है। सू़त्रों की मानें तो रुई गांव नेपाल के नक्शे में है और हिमालयी राष्ट्र का हिस्सा है। इसलिए यहां के निवासी हमेशा देश की पहचान से जुड़े रहे हैं लेकिन नेपाल सरकार, चीन के इशारे पर, सीमाओं पर भारत के साथ कृत्रिम विवाद पैदा करने में लगी हुई है। इसमें तीन गांव भारत से जुड़े हैं। नया नक्शा ऐतिहासिक तथ्यों या सबूतों पर आधारित नहीं

हाल ही में नेपाल एक नया नक्शा लेकर आया है जो पिथौरागढ़ जिले में भारतीय क्षेत्र के कुछ हिस्सों का दावा करता है। भारत ने नेपाल के इस नए नक्शे को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह ऐतिहासिक तथ्यों या सबूतों पर आधारित नहीं है।देश के नए राजनीतिक मानचित्र में लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा क्षेत्रों के कुछ हिस्सों को शामिल किया गया है जो भारतीय क्षेत्र में हैं। नए राजनीतिक मानचित्र को पिछले सप्ताह नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी द्वारा प्रमाणित किया गया था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा 8 मई को उत्तराखंड के धारचूला से लिपुलेख पास को जोड़ने वाली 80 किलोमीटर लंबी रणनीतिक सड़क का उद्घाटन करने के बाद भारत-नेपाल संबंध तनाव में आ गया। इसके बाद नेपाल ने तुरंत विरोध किया, यह कहते हुए कि सड़क क्षेत्र की यथास्थिति का उल्लंघन करती है, जिसे उसने अनसुलझे के रूप में वर्णित किया है।नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार ने चुप रहना पसंद किया
सूत्रों ने कहा पिछले साल, नेपाल सरकार ने महसूस किया कि चीन अपनी जमीन पर कब्जा कर रहा है लेकिन वह चुप रहना पसंद कर रही है। सूत्रों के अनुसार चीन के आक्रामक राष्ट्रवाद और सैन्य विस्तारवाद को एक वास्तविकता के रूप में समझने के बाद भी, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के नेताओं, नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार ने चुप रहना पसंद किया है। नेपाल ने पाया है कि चीन ने पहले ही भागड़े खोला (नदी) क्षेत्र के पास छह हेक्टेयर भूमि और हुमला जिले में कर्णाली नदी के पास चार हेक्टेयर भूमि पर कब्जा कर लिया है। उसने यह भी पाया कि चीन ने सिंजेन खोला (नदी) के पास दो हेक्टेयर और रसुवा जिले में भूर्जुक खोला (नदी) के पास अवैध रूप से कब्जा कर लिया है। इसने लामदे खोला से सटे और रासुवा जिले के जंबू खोला के पास तीन हेक्टेयर भूमि पर भी कब्जा कर लिया है। चीन के इशारे पर नेपाल दखल देने की कोशिश कर रहाचीन ने खारेन खोला में सात हेक्टेयर और नेपाल में संधू पाल चोक जिले के भोट कोशी के पास चार हेक्टेयर, समुंग खोला की तीन हेक्टेयर, काम खोले के पास दो हेक्टेयर और संखुवासभा जिले में अरुण नदी तल से चार हेक्टेयर भूमि पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया है। खोला शब्द का अर्थ है स्थानीय नेपाली भाषा में नदी होता है। नए नक्शे के अलावा, ओली सरकार गंडक बैराज में बांध की मरम्मत के काम में बाधा डाल रही है जो मानसून के दौरान बिहार में बाढ़ का खतरा है। सूत्रों ने कहा कि यह भड़काने वाला कदम नेपाल द्वारा चीन के इशारे पर किया जा रहा है, जिसने संक्रामक कोरोना वायरस फैलाकर दुनिया को अपंग बना दिया है। नेपाल की घरेलू नीति चीन द्वारा शासित प्रतीत होती है। ओली सरकार दोनों देशों के बीच उन मुद्दों पर तनाव बढ़ा रही है जो पहले भारत-नेपाल द्विपक्षीय संबंधों में कभी नहीं आए।

Posted By: Shweta Mishra