प्लीज सर रिकवेस्ट लिंक ओपन मत कीजिएगा
- एप डाउनलोडिंग और पेमेंट एप के लिंक से लग रहा चूना
- 51 से अधिक लोगों की शिकायत पर साइबर सेल में हो रही जांच GORAKHPUR: सोशल मीडिया का यूज करने वालों के लिए रिकवेस्ट मनी और एप्स के लिंक मुसीबत बनते जा रहे हैं। डिजिटल वॉलेट प्लेटफार्म के जरिए मनी रिक्वेस्ट लिंक भेजने वाले साइबर क्रिमिनल लोगों के बैंक एकाउंट में सेंध लगा रहे हैं। क्राइम ब्रांच के साइबर सेल में इस साल छह माह के भीतर 51 शिकायतें सामने आ चुकी हैं। इसलिए साइबर सेल के एक्सपर्ट्स लोगों से ऐसे किसी तरह के लिंक को ओपेन करने से बचने की सलाह दे रहे हैं। रुपए ट्रांसफर होने की गुत्थी में उलझी क्राइम ब्रांचसाइबर सेल के एक्सपर्ट्स शशि शंकर राय ने बताया इस तरह की धोखाधड़ी आम बात होती जा रही है। इसमें साइबर क्रिमिनल्स लोगों को एक रिक्वेस्ट भेजते हैं या फिर रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर की जानकारी लेकर एकाउंट्स की लिंक जोड़कर पेमेंट रिसीव करने का आप्शन देते हैं। जैसे ही कोई उस पर क्लिक करता है तो उनका पैसा अपने एकाउंट में ट्रांसफर कर लेते हैं। इसलिए ऐसे मामलों की शिकायत आने पर क्राइम ब्रांच की टीम यह पता लगाने में जुटी है कि आखिर पेमेंट रिसीव करने के बजाय पेमेंट आने वाले एकाउंट से सामने वाले बैंक एकाउंट पर कैसे ट्रांसफर हो जाता है। जबकि इस मामले में कोई भी व्यक्ति अपना ओटीपी नहीं बताता है।
बिना देखे खोला लिंक तो लुट जाएंगे साहब गूगल पे और फोन पे के पोर्टल पर यूपीआई कोड लिंक भेजकर शातिर उन लोगों को चूना लगा रहे हैं। जो लोग लिंक को पढ़े बिना ही डाउनलोड कर लेते हैं। लिंक के पेमेंट रिसीव और प्रोसिडिंग पर ध्यान दिए बिना ही क्लिक कर देते हैं। ऐसे में साइबर जालसाज लोगों के एकाउंट, यूपीआई पेमेंट कोड का इस्तेमाल करते हुए एकाउंट से नकदी ट्रांसफर कर लेते हैं। बड़ी समस्या इस बात की होती है कि इसकी जांच में काफी समय लगता है। क्योंकि सर्वर की सुविधा और अन्य संसाधनों के अभाव में यह प्रॉब्लम आती है। ऐसे कर सकते हैं बचावसाइबर एक्सपटर््स का कहना है कि गूगल पे, फोन पे और भीम एप के जरिए एकाउंट में रुपए मंगाने और एकाउंट बैलेंस चेक करने के लिए लिंक रिक्वेस्ट स्वीकार नहीं की जाती है। पेमेंट रिकवेस्ट किसी से पैसा मांगने के लिए भेजी जाती है। ठग यहां पर लोगों को गुमराह करते हुए ग्राहक बनकर उनको पैसा भेजने का लालच देकर उनसे पैसा लेने की रिक्वेस्ट भेजकर चूना लगाते हैं।
केस एक: गोरखनाथ एरिया के रहने वाले रविंद्र के मोबाइल फोन पर एक लिंक आया। उन्होंने उसे क्लिक किया तो एकाउंट से सात हजार रुपए कटने का मैसेज आया। उन्होंने तत्काल साइबर सेल को सूचना दी। सेल में मामले की छानबीन की जा रही है। केस दो: महराजगंज चौराहा के अशोक अक्सर यूपीआई पेमेंट आप्शन का इस्तेमाल करते हैं। उनके मोबाइल के इनबॉक्स में एक मैसेज आया। मैसेज आने के बाद उन्होंने लिंक को क्लिक कर दिया। इसके बाद पता लगा कि उनके एकाउंट से तीन हजार रुपए गायब हो गए। संयोग से एकाउंट में उतनी रकम मौजूद थी। वर्जन- साइबर सेल में ऐसे मामले आ रहे हैं। इसको देखते हुए लोगों को जागरूक किया जा रहा है। किसी तरह के लिंक का ओपेन करने, कोई भी एप डाउनलोड करने से बचें। बच्चों के हाथ में मोबाइल फोन होने की दशा में भी कोई गड़बड़ी हो सकती है। इसलिए मोबाइल में सिक्योरिटी फीचर एक्टिव रखें। शशिशंकर राय, एक्सपर्ट, साइबर सेलएटीएम के पिन कोड पूछने, ओटीपी की जानकारी लेकर ठगी के तरीके पुराने हो चुके हैं। इसलिए साइबर क्रिमिनल नए तरीके से ठगी करने में जुटे हैं। इससे बचाव का सही तरीका है कि पूरी सावधानी के साथ सोशल मीडिया सहित अन्य एप्स का यूज किया जाए।
शशिकांत जायसवाल, एक्सपर्ट, साइबर सेल पब्लिक कालिंग आजकल सभी लोग मोबाइल फोन के जरिए ही ट्रांजेक्शन कर रहे हैं। एक यूपीआई कोड के जरिए ट्रांजेक्शन हो जाता है। ऐसे में मामूली सी लापरवाही घातक हो सकती है। अजय अग्रवाल, बिजनेसमैन कई तरह के मोबाइल पेमेंट एप्स उपलब्ध हैं। इसके जरिए ही लोग ट्रांजेक्शन कर रहे हैं। रिचार्ज, बिल पेमेंट, खरीदारी करने पर पेमेंट करने के लिए मोबाइल एप यूज हो रहे हैं। ऐसे में सावधानी हटने पर नुकसान का पूरा चांस है। निरंजन त्रिपाठी, प्रोफेशनल कोई एप यूज करने या साइट देखने पर अक्सर कोई न कोई लिंक आता है। कभी-कभी बच्चों की गलती से लिंक खुल जाते हैं। इससे मोबाइल के हैक होने का खतरा रहता है। अगले को हमारे मोबाइल पर होने वाली एक्टिविटी की पूरी जानकारी मिलती रहती है। शशि कुमार प्रोफेशनल