पिछले साल की तुलना में अब तक 50 फीसदी ही आए हैं मरीज सामने

PRAYAGRAJ: इस साल डेंगू से डरिए मत, बल्कि डटकर मुकाबला करिए। क्योंकि एक्सप‌र्ट्स की राय में इस बार डेंगू के वायरस अधिक खतरनाक नही हैं। इनके दमदार होने में अभी दो साल लगेंगे। यही कारण है कि इस बार अब तक चिंहित मरीजों की संख्या पिछले साल के मुकाबले महज पचास फीसदी है। वायरस के कमजोर होने से वह पूरी तरह अपने लक्षण प्रदर्शित नही कर पा रहे हैं।

पिछले साल था अधिक खतरनाक

एक्सप‌र्ट्स बताते हैं कि डेंगू का वायरस हर साल कुछ न कुछ अपने आप में बदलाव करता है।

उसके स्टेन में होने वाले परिवर्तन से रोग के लक्षणों में भी बदलाव होता है।

इस बार यह कम पावरफुल है, क्योंकि तीन साल के अंतर में इसके वायरस अधिक खतरनाक होते हैं और अगले दो साल नार्मल रहते हैं।

एग्जाम्पल के तौर पर वर्ष 2018 में डेंगू के चिंहित मरीजों की संख्या अब तक 380 दर्ज हो चुकी थी।

इस साल अभी तक यह संख्या महज 194 ही पहुंची है।

इससे साबित है कि अब डेंगू जोरदार वार 2021 में होगा।

बॉडी कर रही वायरस का सफाया

वायरस कमजोर होने पर ह्यूमन बॉडी की प्रतिरोधक क्षमता ही रोग का सफाया कर देती है।

यही बात डेंगू में भी देखने में आ रही है। डॉक्टर्स के सामने डेंगू के ऐसे मरीज भी आ रहे हैं

जिनके भीतर डेंगू के हल्के फुल्के सिम्टम्प्स दिखे लेकिन वह स्वंय ठीक हो गए।

इलाज में भी बहुत अधिक ड्यूरेशन तक दवाएं नही चलानी पड़ीं।

सबसे बड़ी बात कि स्वास्थ्य विभाग के पास अभी तक डेंगू से एक भी मौत के मामले की पुष्टि नही हुई है।

इस लक्षण से रहें होशियार

डॉक्टर्स की मानें तो इस बार बॉडी में प्लेटलेट्स की संख्या बहुत कम नही हो रही लेकिन डेंगू के पनपने के संकेत मिल रहे हैं। बताया जा रहा है कि कई मरीजों के शरीर की जांच में 50 हजार से अधिक प्लेटलेट्स मिल रही है और उनकी लैट्रिन में ब्लीडिंग होने से वह काली हो रही है। ऐसे में मरीज काफी कन्फ्यूज हो जाता है। क्योंकि अक्सर 20 हजार से कम प्लेटलेट्स होने पर ही चढ़ाए जाने की सलाह डॉक्टर्स द्वारा दी जाती है।

डेंगू के वायरस में हर साल परिवर्तन होता है। इसकी वजह से डॉक्टर्स और पैथोलाजिस्ट को इलाज में दिक्कत होती है। इस बार भी कुछ लक्षण बदले हैं, जिसके लिए एलर्ट रहना पड़ता है। इसकी जानकारी मरीजों को भी दे दी जाती है।

डॉ। कमलेश सोनकर,

एमएलएन मेडिकल कॉलेज

हर तीन साल के बाद डेंगू का वायरस घातक होता है। ऐसे में इसके लक्षण अधिक प्रभावकारी होते हैं। हालांकि मौत की संख्या अधिक नही होती। ऐसा पिछले साल देखने को मिला था। इस बार वायरस कमजोर हैं और इसलिए मरीजों की संख्या भी कम है।

डॉ। अंशु योगी,

एपिडेमिक सेल, स्वास्थ्य विभाग

Posted By: Inextlive