यह मान्‍यता है कि दीपावली की रात देवी लक्ष्‍मी धरती पर आकर देखती हैं कि उन्‍हें किसके घर में रहना चाहिए व किसके घर में नहीं रहना चाहिए। अगर आप चाहते हैं कि देवी लक्ष्‍मी आपके घर आएं व वहां बनी रहें तो इसके लिए धार्मिक ग्रंथों में कई बातों का उल्‍लेख है। साथ ही इसका भी कि देवी लक्ष्‍मी की कृपा पाने के लिए स्‍त्री व पुरुष का आचरण कैसा होना चाहिए। आइए जानते हैं उनमें से कुछ के बारे में...


कानपुर। दीपावली की रात्रि में विष्णुप्रिया लक्ष्मी सद्गृहस्थों के घरों में विचरण कर यह देखती हैं कि हमारे निवास योग्य घर कौन कौन से हैं? और जहां कहीं उन्हे अपने  निवास की अनुकूलता दिखायी पड़ती है, वहीं रम जाती हैं। अतएव मानव को दीपावली के दिन अपना घर ऐसा बनाना चाहिये जो भगवती लक्ष्मी के मनोनुकूल हो और जहां पहुंचकर वे अन्यत्र जाने का विचार भी अपने मन में न लायें। भगवती लक्ष्मी को कौन-कौन सी वस्तुएं प्रिय अथवा अप्रिय हैं इसका विवेचन अतीव कुशलता पूर्वक महाभारता आदि ग्रन्थों में किया गया है। महाभारत में सुस्पष्ट रूप से बताया गया है कि घर की स्वच्छता, सुन्दरता और शोभा तो भगवती लक्ष्मी के निवास की प्राथमिक आवश्यकता है ही, साथ ही उन्हे ये सब भी अपेक्षित है। जैसा कि देवी रुक्मिणी के यह पूछने पर कि 'हे देवि! आप किन- किन स्थानों पर रहती हैं, तथा किन - किन पर कृपा कर उन्हे अनुगृहीत करती हैं? स्वयं देवी लक्ष्मी बताती हैं-वसामि नित्यं सुभगे प्रगल्भेदक्षे नरे कर्मणि वर्तमाने।अक्रोधने देवपरे कृतज्ञे जितेन्द्रिये नित्यमुदीर्णसत्त्वे।।स्वधर्मशीलेषु च धर्मवित्सुवृद्धोपसेवानिरते च दान्ते।कृतात्मनि क्षान्तिपरे समर्थेक्षान्तासु दान्तासु तथाबलासु।।वसामि नारीषु पतिव्रतासुकल्याणशीलासु विभूषितासु।


अर्थात् मैं उन पुरुषों के घरों में निवास करती हूं जो सौभाग्य शाली, निर्भीक, सच्चरित्र तथा कर्तव्य परायण हैं। जो अक्रोधी, भक्त, कृतज्ञ, जितेन्द्रिय तथा सत्त्वसम्पन्न होते हैं। जो स्वभावत: निज धर्म, कर्तव्य तथा सदाचरण में सतर्कतापूर्वक तत्पर होते हैं। धर्मज्ञ और गुरुजनों की सेवा में सतत व्रत रहते हैं। मन को वश में रखने वाले, क्षमाशील और सामर्थ्य शाली हैं। इसी प्रकार उन स्त्रियों के घर प्रिय हैं जो क्षमाशील, जितेन्द्रिय, सत्य पर विश्वास रखने वाली होती हैं तथा जिन्हे देखकर सबका चित्त प्रसन्न हो जाता है। जो शीलवती, सौभाग्यवती, गुणवती, पतिपरायणा, सबका मंगल चाहने वाली तथा सद्गुणसम्पन्ना होती हैं। Diwali 2019: दीपावली पर देवी लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा स्थापना करने की विधि व मंत्रभगवती लक्ष्मी किन व्यक्तियों के घरों को छोड़कर चली जाती हैं, इस विषय में वे स्वयं देवी रुक्मिणी से कहती हैं-नाकर्मशीले पुरुषे वसामि न नास्तिके सांकरिके कृतघ्ने।न भिन्नवृत्ते न नृशंसवर्णेन चापि चौरे न गुरुष्वसूये।।ये चाल्पतेजोबलसत्वमाना:क्लिश्यन्ति कुप्यन्ति च यत्र तत्र।न चैव तिष्ठामि तथाविधेषुनरेषु संगुप्तमनोरथेषु।।

जो पुरुष अकर्मण्य, नास्तिक, वर्ण शंकर, कृतघ्न, दुराचारी, क्रूर, चोर तथा गुरुजनों के दोष देखने वाला हो, उसके भीतर मैं निवास नही करती हूं। जिनमें तेज, बल, सत्व और गौरव की मात्रा बहुत थोड़ी है, जो जहाँ तहाँ हर बात में खिन्न हो उठते हैं, जो मन में दूसरा भाव रखते हैं और ऊपर से कुछ और ही दिखाते हैं, ऐसे मनुष्यों के घर में मै निवास नही करती हूं।Govardhan Puja 2019: इस समय शुभ मुहूर्त में ऐसे करें गोवर्धन पूजा, शुभ मुहूर्त व समयइसी प्रकार उन स्त्रियों के घर भी मुझे प्रिय नहीं-प्रकीर्णभाण्डामनवेक्ष्यकारिणींसदा च भर्तु: प्रतिकूलवादिनीम्।परस्य वेश्माभिरतामलज्जामेवंविधां तां परिवर्जयामि।।पापामचोक्षामवलेहनीं चव्यपेतधैर्यां कलहप्रियां च।निद्राभिभूतां सततं शयानामेवंविधां तां परिवर्जयामि।।अर्थात् जो नारियां अपने गृहस्थी के सामानों की चिन्ता नहीं करती, बिना सोचे-विचारे काम करती हैं, पति के प्रतिकूल बोलती हैं, पराये घर में अनुराग रखती हैं, निर्लज्ज पापकर्म में रुचि रखने वाली, अपवित्र चटोरी अधीर, झगड़ालू तथा सदा सोने वाली हैं, ऐसी स्त्रियों के घर को छोड़कर चली जाती हूं। उपर्युक्त गुणों का अभाव होने पर अथवा दुर्गुणों की विद्यमानता होने पर भले ही कितने ही संभाल के साथ लक्ष्मी-पूजन किया जाय, भगवती लक्ष्मी का निवास उनके गृह में नही हो सकता।ज्योतिषाचार्य पं. गणेश प्रसाद मिश्र

Posted By: Shweta Mishra