आज से अगले दो दिन तक पूरे देश में लोहड़ी मकर संक्रांति और पोंगल पर्व की धूम मची रहेगी। इस त्‍योहार को मनाने के पीछे का उद्देश्‍यय सूर्य देवता का अभार व्‍यक्‍त करना है क्‍योंकि फसलों के पकने में सूर्य की भूमिका होती है। लोक संस्‍कृति से जुड़े इस त्‍योहार से ख्‍ारीफ की फसल पकना शुरू हो जाती है। ऐसे में इस खुशी में उत्‍तर भारत पंजाब और दक्षिण भारत में लोग इसे अलग-अलग तरीकों से मनाते हैं। आइए जानें कैसे...


मकर संक्राति:उत्तर भारत में लोग इस त्योहार को मकर संक्राति के रूप में मनाते हैं। यह त्योहार हमेशा तिथि के हिसाब से मनाया जाता है। जिससे अधिकांश तौर पर यह 14 व 15 जनवरी को ही पड़ता है। इस त्योहार पर लोग गंगा स्नान करते हैं। तिल का दान करने के साथ ही, गरीबों को भोजन कराते हैं। इस दिन खिचड़ी, दही, आचार आदि खाने का रिवाज होता है। इसके साथ ही देश भर में बड़े स्तर पर मेले आदि लगते हैं। जिन्हें माघी मेले के नाम से पुकारते हैं। इलाहाबाद में लगने वाला इसका मेला काफी फेमस है। यहां पर काफी दूर-दूर से लोग आते हैं। इसके अलावा मकर संक्रांति पर बंगाल की खाड़ी में भी बड़ा मेला लगता है। वहीं लोग इस दिन पंतगबाजी भी करते हैं। पोंगल:
यह त्योहार दक्षिण भारत में पोंगल के रूप में तीन दिन तक मनाया जाता है। इस पर्व में सूर्य की पूजा होती है। इसकी पूजा में चावल, दूध, घी, शक्कर से भोजन तैयार कर सूर्यदेव को भोग लगाते हैं। इसके अलावा यहां पर पशुओं की भी पूजा होती है। यहां पर तमिलनाडु के कुछ भाग में पोंगल पर जल्लीकट्टू भी मनाया जाता है। जिसमें सांड को गले लगाया जाता है। इसके लिए उसे कंट्रोल करना होता है। वहां पर सांड को काबू करने का यह रिवाज करीब 2,500 साल पुराना कहा जाता है। इस दौरान सांड को काफी तकलीफों से गुजरना पड़ता है। हालांकि वहां पशु प्रेमियों की दायर याचिका की वजह से सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फिलहाल रोक लगा रखी है।

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Posted By: Shweta Mishra