-डीजीपी कार्यकाल को लेकर अवकाश के दिन स्पेशल बेंच में सुनवाई में कोई फैसला नहीं

-डीजीपी के कार्यकाल को दो साल करने के मामलें में अब 21 जनवरी को होगी सुनवाई

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LUCKNOW (28 Dec): 31 दिसंबर को रिटायर हो रहे डीजीपी जगमोहन यादव की उम्मीदों को हाईकोर्ट से भी करारा झटका लगा है। डीजीपी कार्यकाल को लेकर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में आनन-फानन में दाखिल एक और याचिका पर सोमवार को स्पेशल बेंच की सुनवाई में भी कोई फैसला नहीं हो सका। ऐसे में अब डीजीपी जगमोहन यादव का रिटायरमेंट 31 दिसंबर को तय है। सूत्रों के अनुसार, याचिका डीजीपी जगमोहन यादव के इशारे पर ही दाखिल की गई थी।

अवकाश के दिन स्पेशल बेंच

कामद प्रकाश निगम की पीआईएल पर छुट्टी के दिन स्पेशल बेंच की सुनवाई से शासन में भी बेचैनी रही। असल में गोमतीनगर स्थित हाईकोर्ट के जस्टिस के घर स्पेशल बेंच की सुनवाई को लेकर आनन-फानन में एडवोकेट जनरल विजय बहादुर सिंह, चीफ स्टैंडिंग कॉउंसिल संगीता चंद्रा और मंसूर अली को पूरे प्रकरण से अवगत कराया गया। याचिका को जगमोहन यादव के रिटायरमेंट से भी जोड़ कर देखा जा रहा है। दरअसल, स्पेशल कोर्ट में सोमवार को अगर कोई फैसला होता तो इसका सीधा फायदा उनको ही मिलने वाला था।

कहीं डीजीपी का ही दांव तो नहीं

मौजूदा डीजीपी जगमोहन यादव दो दिन बाद यानी 31 दिसंबर को रिटायर हो रहे हैं। ऐसे में कोर्ट में 21 जनवरी की डेट फिक्स होने से उनको इसका कोई फायदा नहीं होगा। अगर कोर्ट इनके रिटायरमेंट से पहले कोई डिसीजन ले लेता तो डीजीपी का कार्यकाल डेढ़ वर्ष के लिए स्वत: बढ़ जाता और सीधा फायदा जगमोहन यादव को होता, जिनका दो साल का कार्यकाल जून 2017 में पूरा होता। सूत्रों का कहना है कि विंटर वेकेशन में अखबारों की उन कटिंग का सहारा लेते हुए कामद प्रकाश निगम की ओर से एक फ्रेश पीआईएल दाखिल की गयी जिसमें नये डीजीपी को लेकर सरकार में हो रही चर्चाओं का जिक्र था। रिट में कहा गया था कि मौजूदा डीजीपी के कार्यकाल को अभी छह माह ही हुआ है और सरकार उन्हें बदलने के मूड में दिख रही है। जबकि पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अपनी गाइडलाइन पहले ही दे चुकी है। जिसमें डीजीपी का कार्यकाल दो साल होने की बात कही गयी है।

गोमतीनगर में लगी स्पेशल कोर्ट

जस्टिस ऋतुराज अवस्थी के घर पर हाईकोर्ट की डबल बेंच में सुनवाई हुई। इसमें दूसरे जस्टिस थे डीके उपाध्याय। सरकार का पक्ष रखने के लिए एडवोकेट जनरल विजय बहादुर सिंह, चीफ स्टैंडिंग काउंसिल संगीता चंद्रा और मंसूर अली मौजूद थे। वहीं केंद्र सरकार की ओर से भी एक वकील सुनवाई के दौरान मौजूद रहे। कामद प्रकाश की ओर से एडवोकेट अविनाश चंद्रा ने बहस की और नये डीजीपी को लेकर लगाये जा रहे कयासों के बारे में बताया। इसके जवाब में प्रदेश सरकार के अधिवक्ताओं की ओर से कहा गया कि सरकार किसी सीनियर और अनुभवी भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी को ही डीजीपी जैसे जिम्मेदार पद पर बैठाती है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद स्पेशल बेंच ने कहा कि ऐसी ही एक पीआईएल पहले भी दाखिल हो चुकी है। ऐसे में अखबारों की कटिंग पर आधारित यह पीआईएल तथ्यपरक नहीं है। इसके साथ ही रिट को भी पूर्व में दाखिल रिट के साथ अटैच करने का फैसला हुआ।

क्या था मामला

पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने डीजीपी के साथ ही थानेदारों और अन्य पदों पर तैनात पुलिस अधिकारियों का कार्यकाल दो साल करने को कहा था। इसी मामले में कामद प्रकाश निगम की ओर से इसी साल 24 नवंबर को दाखिल याचिका में प्रदेश सरकार पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना का मामला बताया था। हाईकोर्ट ने प्रिंसिपल सेक्रेटरी होम से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा था कि हलफनामा में सरकार बताए कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करने के लिए क्या कदम उठाए गए? क्या सुप्रीम कोर्ट के आदेशों कोई उल्लंघन हुआ है? हाईकोर्ट ने इस मामले में प्रदेश सरकार से जवाब तलब करते हुए दो हफ्ते में जवाब मांगा था। पहले इस मामले की सुनवाई 18 दिसंबर को फिक्स थी, जिसे बाद में 21 जनवरी तक टाल दिया गया।

कोट

मंडे को हुई सुनवाई में कोई डिसीजन नहीं हुआ है। कामद प्रकाश की रिट को उनकी पूर्व में दाखिल रिट की सुनवाई के साथ जोड़ दिया गया है, जिसकी सुनवाई 21 जनवरी को होनी है।

-एसके रघुवंशी

सेक्रेटरी, होम डिपार्टमेंट।

Posted By: Inextlive