भारत भूमि ने हजारों महापुरुषों को जन्म दिया है। उनके योगदान को हमारा देश और समाज कभी नहीं भूल सकता। मगर हमारे पॉलिटिकल सिस्टम ने कई महापुरुषों को पढ़ाई का दुश्मन बना दिया है। सुनने में अजीब लगेगा मगर यही सच है। आप खुद देखिये कैसे हो रहा है महापुरुषों के साथ पढ़ाई से दुराव

जिन महापुरुषों की जयंती और पुण्यतिथि पर देश के नौनिहालों और आने वाली पीढि़यों को उनके व्यक्तित्व और कृतित्व के बारे में बताया जाना चाहिए, उस दिन स्कूल बंद हो जाते हैं। बच्चों को पता ही नहीं होता कि जिनके नाम पर स्कूल बंद हुआ है, वो कौन हैं और उन्होंने हमारे लिए क्या किया। हालांकि इस छुट्टी में वह अपने सभी फेवरेट कार्टून शोज देख ये जरूर जान जाते हैं कि डोरेमान, सिनचेन, टॉम एंड जेरी ने आज क्या-क्या धमाल किया।

- तमाम तरह की छुट्टियों के चलते अब साल में बमुश्किल 160 दिन होती है पढ़ाई

- जयंती और पुण्यतिथि की लिस्ट में नये सेशन में बढ़ गयी है तीन और सरकारी छुट्टियां

- महापुरुषों के नाम पर छुट्टियों से न स्टूडेंट्स को फायदा होता है ना पढ़ाई को

1ड्डह्मड्डठ्ठड्डह्यद्ब@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ

ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्ढ्ढ: सिर्फ दो दिन पहले की बात है। शुक्रवार की सुबह छह बजे बिजनेस से जुड़े दिवाकर मिश्रा ने सुबह-सुबह अपनी बेटी और बेटे को स्कूल जाने के लिए तैयार किया। देर तक ऑटोरिक्शा वाला नहीं पहुंचा तो उन्होंने फोन किया। ऑटोरिक्शा वाले ने बताया कि आज छुट्टी है। वो हैरान थे कि ये कैसी छुट्टी क्योंकि स्कूल के कैलेंडर पर 17 अप्रैल के लिए कोई छुट्टी मेंशन नहीं थी। कुछ देर बात अखबार देखने पर पता चला कि स्टेट गवर्नमेंट ने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चंद्रशेखर की जयंती के उपलक्ष्य में 17 अप्रैल को सरकारी छुट्टी कर दी है।

और भी हैं नई छुट्टियां

बात सिर्फ पूर्व प्रधानमंत्री या स्वतंत्रता आंदोलन, राष्ट्रीय इतिहास के जन नायकों, महर्षियों, राष्ट्रीय आंदोलन के प्रणेताओं या फिर धर्म-सम्प्रदाय के जनकों से जड़ी नहीं है। बात ये है कि क्या महापुरुषों के नाम पर स्कूलों में छुट्टी जायज है। आई नेक्स्ट ने जब इस मामले में कुछ पेरेंट्स से बात कि तो उन्होंने भी इसकी खिलाफत की। जबकि एजुकेशन फील्ड से जुड़े लोगों ने तो साफ कहा कि जयंती या पुण्यतिथि किसी महान व्यक्तित्व को नमन करने, उन्हें याद करने और उनके बारे में आने वाली पीढ़ी को बताने का दिन होता है। उसी दिन स्कूलों में छुट्टी कर हम वास्तव में बच्चों का नुकसान कर रहे हैं।

ऐसे तो हो चुकी पढ़ाई

महापुरुषों के नाम पर स्कूलों की छुट्टियों के बारे में लोगों से बातचीत में एक और फैक्ट सामने आया। हर किसी ने खुलकर कहा कि ये छुट्टियां वास्तव में किसी महापुरुषों को श्रद्धांजलि नहीं बल्कि पॉलिटिकल डिसीजंस होते हैं जो किसी क्षेत्र, जाति या सम्प्रदाय के वोट बैंक के लिए लिए जाते हैं। अपने यहां तो वैसे ही इतनी ज्यादा छुट्टियां हैं कि स्कूलों की पढ़ाई पूरी नहीं हो पाती। आंकड़ों पर गौर किया जाए तो साल 365 दिन में से सिर्फ 160 दिन ही पढ़ाई हो पाती है। छुट्टी से जहां बच्चों की पढ़ाई डिस्टर्ब होती है, वहीं सरकारी कामकाज भी ठप हो जाता है। ये एजुकेशन सिस्टम और गवर्नमेंट वर्किंग, दोनों के लिए अच्छा नहीं है।

किस बात की छुट्टी, नहीं पता

(शॉकिंग आस्पेक्ट)

शुक्रवार, 17 अप्रैल को पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चंद्रशेखर की जयंती की छुट्टी मनाने वाले क्लास 6 से 10 तक के टोटल 20 बच्चों से आई नेक्स्ट ने बात की। उनसे पूछा कि आज किस वजह से छुट्टी है। चार बच्चे ही बता सके कि कोई प्राइम मिनिस्टर थे, उनके बर्थडे की वजह से छुट्टी है। इन चार में से सिर्फ एक बच्चे ने चंद्रशेखर का नाम बताया। बाकी बच्चों ने क्लीयर कट कहा कि नहीं पता।

क्या होना चाहिए और क्या हो रहा है

(पॉइंट टू बी नोटेड)

- महापुरुषों के जयंती या पुण्यतिथि पर स्कूल खुले रखने चाहिए।

- उस दिन स्कूल में हाफ टाइम के बाद संबंधित महापुरुष के बारे में बच्चों का बताया जाना चाहिए।

- जहां तक संभव हो, बच्चों को महापुरुष के बारे में पढ़ कर आने के लिए कहा जाना चाहिए।

- बच्चों के बीच उस महापुरुष के बारे में निबंध लेखन, ड्राइंग कॉम्पटीशन या डिबेट कराना चाहिए।

- अभी ज्यादातर महापुरुषों से जुड़े दिवस पर हो जाती है सरकारी छुट्टी

- बच्चे पढ़ाई से दूर घर में करते हैं सिर्फ मौज-मस्ती, खेल-कूद

- सरकारी ऑफिसेस बंद होने से पब्लिक को भी परेशानी झेलनी पड़ती है

--------

फीस साल भर और पढ़ाई महज इतनी

(फीगर स्पीक्स)

एक सेशन: 365 दिन

टोटल पढ़ाई: 235 दिन

टोटल छुट्टी: 130 दिन

(शिक्षा विभाग से जारी कैलेंडर 2015 के मुताबिक)

--------

इस साल बढ़ गई तीन नई छुट्टी

कर्पूरी ठाकुर जयंती : 22 फरवरी

चन्द्रशेखर जयंती : 17 अप्रैल

अंबेडकर परिनिर्वाण दिवस : 6 दिसम्बर

-----------

हर साल कैलेंडर से अलग छुट्टियां

रेनी डे : औसत 6 दिन

कोहरा, गलन : औसत 14 दिन

लू, हीट स्ट्रोक : औसत 10 दिन

---------

हकीकत में यूं चलती है क्लास

एक सेशन : 365 दिन

टोटल रविवार : 52

पर्व, त्योहार, जयंती : 78

एक्स्ट्रा छुट्टी : 20 दिन

आकस्मिक छुट्टी : 10 दिन

एग्जामिनेशन : 45 दिन

टोटल पढ़ाई : 130 दिन

Posted By: Inextlive