-कल्चरल प्रोग्राम में मैनेजमेंट स्टूडेंट्स ने दिखाया टैलेंट

-नाटक का मंचन कर सिस्टम के हाल से कराया रू-ब-रू

RANCHI : रविवार को आईआईएम, रांची के स्टूडेंट्स का अलग ही रूप देखने को मिला। हमेशा पढ़ाई में बिजी रहनेवाले मैनेजमेंट के स्टूडेंट्स ने रविवार को अपने एक्टिंग और डांसिंग के टैलेंट से भी सबको रू-ब-रू कराया और इम्प्रेस भी किया। मौका था आईआईएम, रांची के पांचवें फाउंडेशन डे पर डॉ रामदयाल मुंडा कला भवन ऑडिटोरियम में आयोजित प्रोग्राम का। प्रोग्राम के चीफ गेस्ट आईआईएम, कोलकाता के इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर अनूप कुमार सिन्हा थे। इस मौके पर आईआईएम, रांची के प्रभारी डायरेक्टर प्रो बीबी चक्रवर्ती, कर्नल वीके नायर, प्रो अमरेन्दु नंदी, अमित सचान, आशीष हंजेला सहित इंस्टीट्यूट के सभी प्रोफेसर्स मौजूद थे।

नाटक से छूअा सबका दिल

फाउंडेशन डे के मौके पर आयोजित प्रोग्राम के दौरान आईआईएम, रांची के स्टूडेंट्स ने एक नाटक का मंचन किया। इसमें यह दिखाया गया कि एक आम आदमी के ऊपर पेड़ गिर जाता है और सिस्टम की लापरवाही के कारण उसकी मौत भी हो जाती है। उसकी पत्नी हर किसी से मदद की गुहार लगाती है, लेकिन महिपालपुर पुलिस स्टेशन और विलासपुर पुलिस स्टेशन के बीच में घटना होने के कारण पुलिस आपस में ही लड़ती रहती है। ऐसी सिचुएशन में रूलिंग पार्टी से लेकर विपक्ष और मीडिया के रोल को भी इस नाटक में काफी अच्छे ढंग से दिखाया गया। स्टूडेंट्स ने इस नाटक में इतना ब्रिलिएंटली परफॉर्म किया कि ऑडिएंस वंस मोर वंस मोर चिल्ला रही थी।

मुस्कुराने की वजह तुम हो

मुस्कुराने की वजह तुम हो, जिया जाए ना, जिया जाए ना ओरे पिया रे कौशतोव और दीपक ने इस गाने को जब गाया, तो ऑडिटोरियम में बैठे सभी लोग तालियों से उनका हौसला बढ़ा रहे थे। वहीं, प्रज्ञा और राधिका ने उड़ी-उड़ी नींदें आंखों से गाने पर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया।

ख्0क्0 में खुला था आईआईएम, रांची

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम), रांची साल ख्0क्0 में खुला था। पिछले चार सालों से यह सूचना भवन में संचालित हो रहा है। आईआईएम, रांची के लिए कांके के चेरी में जमीन मिली है, लेकिन वहां अभी कैंपस नहीं बन पाया है। रांची में आईआईएम ने कई नए कोर्स भी शुरू किए हैं, जिनमें पीजीएचआरएम, पीजीईएक्सपी, पीजीईपी कोर्स शामिल हैं। रांची में आईआईएम के आने के बाद से यहां के दो बैच का प्लेसमेंट भी हो चुका है।

Posted By: Inextlive