गणेश चतुर्थी का पर्व 22 अगस्त को मनाया जा रहा है। यह वो दिन होता है जब आप भगवान गणेश को घर लेकर आते हैं और उन्हें विराजमान करते हैं। आइए जानें श्री गणेश को विराजने का क्या है शुभ मुहूर्त और कैसे की जाए पूजा।

कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। इस बार गणेश चतुर्थी पर "हस्त नक्षत्र" में साध्य/शुभ योग का अति शुभ योग बन रहा है। इस दिन 22 अगस्त यानी शनिवार को चतुर्थी तिथि रात्रि 07:57 बजे तक, हस्त नक्षत्र रात्रि 7:11 बजे तक, साध्य योग प्रातः 10:20 बजे तक तदोपरांत शुभ योग पूर्ण रात्रि तक, वृश्चिक लग्न पूर्वाह्न 11:58 बजे से अपराह्न 2:12 बजे तक भद्रा प्रात: 09:49 बजे से रात्रि 07:57 बजे तक (गणेश जी का जन्म क्योंकि भद्रा काल में हुआ था। अत: भद्रा काल का दोष नहीं मान्य है।)

"हस्त नक्षत्र" में आना अति शुभ
इस बार 22 अगस्त 2020, शनिवार भाद्र पद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी "गणेश चतुर्थी" का "हस्त नक्षत्र" में आना अति शुभ है। यह नक्षत्र शुभ फल देने वाला है, सूर्य स्वामित्व वाला, लक्ष्मी प्रदायक, उद्योग-व्यापार के लिए श्रेष्ठ है। इस नक्षत्र में श्री गणेश जी की पूजा, वन्दना, साधना एवं व्रत से विद्या, बुद्धि, सम्पदा, रिद्धी-सिद्धि की प्राप्ति एवं सभी विघ्न बाधाओं का नाश होता है।

ऐसे करें पूजन
एक चौकी पर लाल रेशमी वस्त्र बिछा कर उसमें मिट्टी, धातू, सोने अथवा चांदी की मूर्ति, ध्यान आवाहन के बाद रखनी चाहिए। "ऊं गं गणपतये नम:" कहते हुये उपरोक्त पूजन सामग्री गणेशजी पर चढ़ायें। एक पान के पत्ते पर सिन्दूर में हल्का सा घी मिलाकर स्वास्तिक चिन्ह बनायें, उसके मध्य में कलावा से पूरी तरह लिपटी हुई सुपारी रख दें। इन्हीं को गणपति मानकर एवं मिट्टी की प्रतिमा भी साथ में रखकर पूजन करें, गणेश जी के लिए मोतीचूर का लड्डू (5 अथवा 21) अवश्य चढ़ायें। लड्डू के साथ गेहूं का परवल अवश्य चढ़ायें, धान का लावा, सत्तू, गन्ने के टुकड़, नारियल, तिल एवं पके हुये केले का भी भोग लगायें। अन्त में देशी घी में मिलकार हवन सामग्री के साथ हवन करें एवं अन्त में गणेशजी की प्रतिमा के विसर्जन का विधान करना उत्तम माना गया है।

ज्योतिषाचार्य पं राजीव शर्मा।
बालाजी ज्योतिष संस्थान, बरेली।

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari