फोटो-1,2गंगा की पीड़ा को बयां कर रही प्रदर्शनी

-पहाड़ों से निर्मल बहती गंगा मैदानों में पहुंचकर हो रही मैली

-औद्योगिक इकाइयां, रसायनिक खादों के अत्याधिक उपयोग एवं लोगों द्वारा किया जा रहा गंगा को प्रदूषित

-अ‌र्द्धकुंभ में पंतद्वीप, रोडीबेलवाला, नीलधारा सहित विभिन्न स्थानों पर लगाई गई है प्रदर्शनी

HARIDWAR: गंगा की स्वच्छता को लेकर लगाई गई प्रदर्शनी में लोगों को अहम जानकारियां दी जा रही है। पहाड़ों से स्वच्छ बहती गंगा मैदानी इलाकों में आकर औद्योगिक इकाईयां, रसायनिक खादों के अत्याधिक उपयोग एवं लोगों द्वारा गंगा को प्रदूषित किया जा रहा है। प्रदर्शनी में गौमुख से गंगासागर तक गंगा की पीड़ा को बयां किया गया है।

प्रदर्शनी में लोगों को दी जा रही जानकारी

अ‌र्द्धकुंभ में पंतद्वीप, रोडीबेलवाला, नीलधारा सहित विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शनियां लगाई गई हैं। इन प्रदर्शनियों के माध्यम से गौ, गंगा, पर्यावरण, ऊर्जा सहित अन्य उपयोगी वस्तुओं से लोगों को अवगत कराया जा रहा है। पंतद्वीप मैदान में समाज सेवा संस्थान व राज्य परियोजना प्रबंधन समूह की ओर से राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के अंतर्गत नमामि गंगे प्रदर्शनी लगाई गई है। नमामि गंगे प्रदर्शनी में गौमुख से गंगासागर तक गंगा की पीड़ा को बयां किया गया है।

मैदानी क्षेत्रों में आकर प्रदूषित हो रही गंगा

प्रदर्शनी में दर्शाया गया है कि किस तरह गंगा पहाड़ी क्षेत्रों से उतरकर मैदानी क्षेत्र में प्रदूषित हो रही है। समाज सेवा संस्थान के अध्यक्ष डॉ। अनिल मित्तल ने बताया कि गंगोत्री से निकली भागीरथी व बद्रीनाथ से अलकनंदा का मिलन देवप्रयाग में होने के बाद गंगा निर्मल, स्वच्छ व अविरल बहती हुई मैदानी इलाकों में पहुंच रही है। पहाड़ी क्षेत्रों में पेड़-पौधें अधिक होने के चलते यहां गंगा कम प्रदूषित हो रही है। लेकिन जैसे ही गंगा मैदानी क्षेत्र में पहुंचती है वैसे ही गंगा में दर्जनों नाले, पूजन सामग्री, कूड़ा-करकट सहित अन्य वस्तु गंगा में समाहित हो रहे हैं।

गंगा स्वच्छता को लोगों में जागरूकता जरूरी

ग्रामीणों क्षेत्रों में खुले में शौच, औद्योगिक इकाईयां व बढ़ते रसायानिक खादों के उपयोग के कारण गंगा सबसे अधिक प्रदूषित मैदानी इलाकों में हो रही है। बताया कि यदि दर्जनों नालों की टे¨पग करने के साथ ही लोगों में स्वयं गंगा को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए जागरूकता से ही आने वाले समय में गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाया जा सकता है। प्रदर्शनी में गंगा की पीड़ा बयां करने के साथ ही गंगा को प्रदूषण मुक्त रखने व गंदे नालों की टे¨पग कर उनके पानी को ट्रीट कर गंगा में प्रवाहित करने की विधि भी बताई जा रही है। प्रदर्शनी के संचालक डॉ। राजेश शर्मा ने बताया कि जिस तरह लखनऊ की गोमती नदी में एसटीपी सिस्टम लगाया गया है, यदि उसी तरह उत्तराखंड में भी प्लांट लगाया जाए तो गंगा को स्वच्छ बनाया जा सकता है।

Posted By: Inextlive