सिख धर्म के संस्थापक और प्रथम गुरु नानक देव जी के जन्मदिन को दुनिया भर में 'गुरु नानक गुरुपर्व' के नाम से मनाया जाता है। इस दिन सिख श्रद्धालु अपने सच्‍चे गुरु की वाणी सुनने गुरुद्वारा जरूर पहुंचते हैं।

कानपुर। एक ईश्वर के सिद्धांत को दिल में बसाने वाले सिखों के प्रथम गुरु नानक देव जी का जन्म तलवंडी रायभोय वर्तमान में ननकाना साहिब पाकिस्तान में 15 अप्रैल, 1469 को हुआ था। इनके पिता व्यापारिक खत्री संप्रदाय से थे। समाज के सम्मानित वर्ग से ताल्लुक रखने वाले नानक जी कम उम्र से ही काफी धार्मिक स्वभाव के थे। इनकी शादी एक अन्य खत्री परिवार की युवती से हुई, जिनसे इन्हें 2 पुत्र हुए।

नानक जी ने जिंदगी के काफी साल अनाज से जुड़े अपने पारिवारिक कारोबार में हाथ बटाया। इसके बाद वो अपने निजी जीवन के सुख त्याग कर 'एक ईश्वरवाद' की अलख जगाने के लिए अंनत यात्रा पर निकल पड़े। उन्होंने भारत के साथ ही आसपास के कई देशों की यात्रा की। नानक देव जी ने अपनी जिंदगी का आखिरी वक्त करतारपुर (वर्तमान में पाकिस्तान) में बिताया और साल 1539 में यहीं उन्होंने आखिरी सांस ली।

कैसे मनाया जाता है गुरुनानक देव का गुरुपर्व
हर साल कार्तिक माह की पूर्णिमा को सिख धर्म की स्थापना करने वाले पहले गुरु नानक देव जी का जन्म दिवस गुरुपर्व के रूप में मनाया जाता है। साल 2019 में 12 नवंबर को यह खास दिन मनाया जा रहा है। इस दिन देश और दुनिया के छोटे बड़े तमाम गुरुद्वारों द्वारा शबद कीर्तन के साथ-साथ भव्य लंगर का आयोजन किया जाता है।

विशाल नगर कीर्तन से शुरु होता है गुरु पर्व का उत्सव
जयंती दिवस के 1 दिन पहले होने वाले विशाल नगर कीर्तन से प्रकाशपर्व की शानदार शुरुआत हो जाती है। विभिन्न शहरों के गुरुद्वारा कमेटियों द्वारा आयोजित होने वाले नगर कीर्तन में छोटे बच्चों से लेकर बड़े तक सभी शामिल होते हैं। पंच प्यारे के पीछे चलते हुए इन नगर कीर्तनों में बैंड बाजा, हाथी, घोड़े के साथ सैकड़ों हजारों बच्चे और हैरतअंगेज करतब दिखाते सिख नौजवान सभी शामिल होते हैं। इसका नजारा हर आम और खास के लिए यादगार होता है।

गुरु नानक देव जी के द्वारा दी गईं ये 10 अनमोल सीखें सचमुच में हमारी-आपकी जिंदगी की दिशा बदल सकती हैं, अगर हम उन्हें अपनी जिंदगी में थोड़ा भी आत्मसात कर सकें।

1: वो जो सभी इंसानों को समान भाव से देखता है, सच में वही धार्मिक है।

2: दुनिया एक नाटक है, जिसका एक सपने में मंचन किया गया है।
3: जिंदगी में केवल वही बात बोलें जो आपको सम्मान दिलाए।

4: पाप और बुराई के साधन के बिना जीवन में धन इकट्ठा नहीं किया जा सकता।

5: दुनिया में ईश्वर की चमक से ही सब कुछ रोशन है, बाकी सब अंधेरा है।

6: कोई उस ईश्वर को तर्क के माध्यम से समझ नहीं सकता, भले ही वो उम्र में तर्क करने योग्य हो।

7: प्रभु के आनंद के गीत गाओ, प्रभु के नाम की सेवा करो, और उनके सेवकों के सेवक बन जाओ। यही सच्ची जिंदगी है।

8: सारा संसार संकट में है, लेकिन वो, जो ईश्वर के नाम में यकीन करता है, जीत जाता है।

9: जब मैं (ईश्वर का अंश-आत्मा) पैदा नहीं हुआ हूं, तो मेरा जन्म या मृत्यु कैसे हो सकती है?

10: जिसे अपने आप पर कोई विश्वास नहीं है वह कभी भी ईश्वर में विश्वास नहीं रख सकता है।

Posted By: Chandramohan Mishra