- 60 फीसदी मरीज नाक, कान और गले से जुड़ी बीमारी के पहुंच रहे

- 30 फीसदी अस्थमा, दमा और ब्रोंकाइटिस मरीजों का इजाफा

- 20 फीसदी बढ़े दिल और बीपी के मरीज

- जिला अस्पताल में उमड़ी मरीजों की भीड़

Meerut। पिछले कुछ दिनों से स्मॉग ने शहरवासियों की सेहत पर असर डाला है। लोगों के सुनने की क्षमता भी प्रभावित हो गई है। स्थिति ये कि पिछले तीन-चार दिन में ही नाक - कान-गले के मरीजों की संख्या में इजाफा हो गया है। दमघोंटू जहर ने सांस के साथ ही डिप्रेशन, सिरदर्द, बुखार और आंखों के मरीजों की संख्या में भी इजाफा कर दिया है। अस्पताल में करीब 60 प्रतिशत मरीज इन दिनों ऐसी ही समस्याएं लेकर पहुंच रहे हैं।

ऐसे हाे रहा वार

बढ़ते प्रदूषण का सीधा असर लोगों की सुनने की क्षमता पर भी पड़ रहा है। कानों में दर्द होना, धीमी आवाजें सुनाई न देना, सूजन व कान का बहना जैसी शिकायत लेकर मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं। इसके अलावा टिनिटस यानी कान बजना जैसी समस्या भी तेजी से बढ़ गई है। वहीं आंखों में जलन, सिरदर्द, जी मिचलाना जैसी समस्या भी लोगों को परेशान कर रही है।

ये है वजह

एक्सप‌र्ट्स के मुताबिक हवा में फैले प्रदूषण के कारण साइनोसाइटिस, जुकाम और एलर्जी की समस्या हो जाती है। इसका असर कानों पर पड़ता है। नाक से कान के बीच स्थित यूस्टेकियन ट्यूब में नाक से पानी चला जाता है। इस पानी के कारण कान के बीच में इंफेक्शन हो जाता है। इसकी वजह से जहां सुनने की क्षमता कम हो जाती है। वहीं कुछ देर के लिए कान में बहरापन भी हो सकता है। वहीं अगर समस्या लंबे समय के लिए लिए बनी रहती है तो व्यक्ति के कान का पर्दा डैमेज हो सकता है।

ये आ रहे लक्षण

- कानों में इंफेक्शन, तेज दर्द

- कानों में भारीपन

- मवाद, कान का बहना,

- सोने में परेशानी, कान में दर्द व एलर्जी

- कान में घंटी की आवाज सुनाई देना

- चक्कर आना, उल्टी, सुनने की क्षमता कम होना

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ये हैं सुनने की क्षमता के मानक

15 से 20 डेसीबल तक कान को कोई नुकसान नहीं होता है।

- 60 से 65 डेसीबल के बाद कान को आवाज चुभने लगती है।

- 85 से 115 साउंड हैडफोन का होता है।

- 85 से 120 साउंड पटाखे की होती है।

- 115 डेसीबल के साउंड से कान का पर्दा फटने की संभावनाएं बहुत अधिक बढ़ जाती है।

सांस के मरीजों पर भी संकट

स्मॉग के चलते सांस के मरीजों पर भारी संकट उमड़ आया है। अस्थमा, दमा, ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियों के मरीजों में करीब 30 प्रतिशत का इजाफा हो गया है। वहीं अस्पताल में दिल और बीपी के मरीजों की संख्या भी करीब 20 प्रतिशत बढ़ गई है।

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इनका है कहना

आडियो मीटर के जरिए मरीजों के सुनने की क्षमता मापी जाती है। इन दिनों कान की समस्या लेकर बहुत अधिक मरीज आ रहे हैं। स्मॉग की वजह से अधिकतर लोगों में धीमा स्वर सुनने की क्षमता कम पाई जा रही है।

डा। गौरव, ईएनटी, जिला अस्पताल

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आंखों में जलन, गले में खराश, नजला आदि इन दिनों बहुत बढ़ गया है। अस्पताल में आने वाला हर चौथा मरीज इन समस्याओं से ग्रस्त है। स्मॉग का बढ़ा हुआ लेवल इसकी मुख्य वजह है।

डा। पीके बंसल, एसआईसी, जिला अस्पताल

Posted By: Inextlive