जुवेनाइल सेल

-कांस्टेबल हत्याकांड में दाखिल किए एफीडेविट भी भाषा अलग

-मेरठ प्रशासन के दावों को ज्यूडीशरी और गाजियाबाद की टीम ने किया खारिज

-टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस की रिपोर्ट भी सरकार के खिलाफ

आई इनवेस्टिगेट

Meerut : 11 दिसंबर 2014-मेरठ में निरुद्ध किशोरों ने बुलंदशहर से पेशी से लौटते हुए एक कांस्टेबल की हत्या कर दी थी, 2 फरवरी 2015 को 91 जुवेनाइल एक साथ फरार हो गए। महज दो माह में दो बड़ी घटनाओं से शासन में खलबली मच गई तो वहीं विभिन्न बाल संरक्षण संस्थाओं और न्यायिक अधिकारियों ने मेरठ के सूरजकुंड स्थित बाल संप्रेषण गृह का दौरा किया और निरुद्ध किशोरों समेत पुलिस-प्रशासनिक अधिकरियों के बयान लिए। हाईकोर्ट ने जनहित याचिका में सभी बयानों को क्रॉस चेक किया तो सरकार की पोल खुल गई। अब कोर्ट ने 2-3 मई की घटना को भी क्लिप कर लिया है और सरकार से सख्त सवाल किया है। 31 मई को सरकार को फिर कटघरे में खड़ा होना होगा।

एडीजे की रिपोर्ट ने फंसाया

कांस्टेबल की हत्या के बाद ज्यूडीसियल ऑफीसर जी श्रीदेवी और गाजियाबाद के एडीजे नवनीत कुमार ने 18 दिसंबर को बिना जानकारी के दौरा किया और निरुद्ध किशोरों के बयान लिए। बयान में जो तस्वीर मेरठ पुलिस-प्रशासन ने पेश की थी उससे उलट स्थिति दिखी। न्यायिक अधिकारियों की रिपोर्ट और मेरठ पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों के एफीडेविट को कोर्ट ने क्रॉस चेक कर लिया तो वहीं टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस, मुंबई की जांच रिपोर्ट भी कुछ और कहानी बयां कर रही थी। फरमान बनाम स्टेट ऑफ यूपी की जनहित याचिका की सुनवाई में कोर्ट ने स्पष्ट किया कि न्यायिक अधिकारियों की रिपोर्ट और अफसरों के बयान विरोधाभास पैदा कर रहे हैं। पुलिस-प्रशासन के एफीडेविट में किशोरों के बयान को दर्ज नहीं किया गया था।

2-3 मई की घटना भी शामिल

18 मई को हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान मेरठ डीपीओ पुष्पेंद्र सिंह ने 2-3 मई के घटनाक्रम के बारे में स्पष्टीकरण दिया था। डीपीओ ने कोर्ट को 13 जुवेनाइल के पलायन से लेकर तोड़फोड़ और कार्यवाही की जानकारी दी। कोर्ट ने डीपीओ द्वारा दी गई आधी-अधूरी जानकारी के एवज में सरकार को निर्देश दिए कि वे अगली डेट पर पूरे घटनाक्रम की जांच रिपोर्ट के अलावा आगे से ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, ऐसे प्रयासों के साथ पेश होने के आदेश दिए हैं।

तबादले पर भी सवाल-जबाव

कोर्ट की अनुमति के बिना प्रमुख सचिव रेणुका कुमार के तबादले पर सरकार को कटघरे में खड़ा किया है तो वहीं चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को सस्पेंड करने, सभी मसलों को चाइल्ड डेवलेपमेंट कमेटी बहराइच को ट्रांसफर ने पर सवाल किया है। कोर्ट ने 31 मई को सरकार को दोबारा तलब किया है। बता दें कि एक ओर कोर्ट में सुनवाई हो रही थी तो वहीं दूसरी ओर किशोर भूख हड़ताल पर थे। सूत्रों का कहना है कि यह घटनाक्रम अगली तारीख तक कोर्ट के सामने होगा। सोमवार की वीडियो कांफ्रेंसिंग में सरकार बचाव के रास्ते तलाशेगी।

Posted By: Inextlive