सऊदी अरब के बाद अब प्रधानमंत्री मोदी ने ईरान का रूख किया है। मोदी हर देश के साथ भारत के संबंध बेहतर करना चाहते है। ईरान की दो दिवसीय यात्रा के दौरान मोदी ने ईरान के साथ कई अहम समझौते भी किए हैं। पिछले 15 सालों में ईरान की यात्रा करने वाले नरेन्‍द्र मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री हैं। मोदी ने ईरान के राष्‍ट्रपति से भी मुलाकात की। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को ईरान के सर्वोच्च नेता सैयद अली खमनेई को पवित्र कुरान की सातवीं सदी की एक दुर्लभ पांडुलिपि उपहार में दी जो कुफिक लिपि में लिखी हुई है।


चाबहार बंदरगाह का समझौता है सबसे अहमप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दो दिवसीय ईरान दौरा 12 अहम करार करने के साथ पूरा किया। इन अहम करारों में मील का पत्थर चाबहार बंदरगाह के विकास का समझौता भी शामिल है। दक्षिणी ईरान में स्थित इस बंदरगाह के जरिए भारतीय जहाज सीधे अफगानिस्तान, योरप और रूस तक पहुंच सकेंगे। अभी पाकिस्तान के रास्ते जाना पड़ता है। इसके अलावा दोनों देशों ने आतंकवाद, कट्टरपंथ, साइबर अपराध, मादक द्रव्यों की तस्करी के खिलाफ एकसाथ मुकाबला करने का भी फैसला किया।क्षेत्र का इतिहास बदलेगा ये समझौता


भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच परिवहन और पारगमन कॉरिडोर पर त्रिपक्षीय समझौता भी हुआ है। यह कॉरिडोर चाबहार बंदरगाह से जुड़ेगा। इस समझौते पर दस्तखत के लिए अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी भी मौजूद थे। इस करार के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह क्षेत्र का इतिहास बदल सकता है। इसके अलावा व्यापार कर्ज, संस्कृति, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और रेलवे जैसे अलग-अलग क्षेत्रों में समझौते किए गए हैं।चाबहार बंदरगाह को विकसित करने के लिए भारत करेगा निवेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने आपसी बातचीत के बाद संयुक्त रूप से प्रेस-कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। इसमें मोदी ने चाबहार समझौते का जिक्र करते हुए कहा कि चाबहार बंदरगाह और इससे जुड़े़ बुनियादी ढांचे के विकास से जुड़ा करार एक मील का पत्थर है। इसमें भारत 50 करोड़ डॉलर 3325 करोड़ रुपए का निवेश करेगा। उन्होंने कहा कि इस ब़डे प्रयास से क्षेत्र में आर्थिक विकास होगा। ईरान ने भूकंप के दौरान की थी गुजरात की मददमोदी ने कहा कि ईरान के साथ संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत की उससे दोस्ती उतनी ही पुरानी है जितना इतिहास है। सदियों से दोनों देश कला, वास्तुकला, विचार, परंपरा, संस्कृति और वाणिज्य के जरिए एक दूसरे से जुड़े रहे हैं। 2001 में गुजरात में आए भूकंप का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि ईरान पहला देश था जो मदद के लिए सबसे पहले आगे आया। उस समय मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने ईरानी राष्ट्रपति को भारत आने का न्योता दिया।पाकिस्तान को भारत ने किया दरकिनार

मोदी के साथ ईरान गए सड़क परिवहन राजमार्ग एवं जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि चाबहार बंदरगाह समझौते से भारत को ईरान में अपने पैर जमाने और पाकिस्तान को दरकिनार कर अफगानिस्तान, रूस और योरप तक सीधी पहुंच बनाने में मदद मिलेगी। इस समझौते से वस्तुएं ईरान तक तेजी से पहुंचेगी।  फिर नए रेल एवं सड़क मार्ग के जरिए अफगानिस्तान ले जाने में मदद मिलेगी।मिर्जा गालिब का शेर कह मोदी ने खत्म किया संबोधनप्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन का अंत मिर्जा गालिब के एक शेर से किया 'नूनत गरबे नफ्से-खुद तमाम अस्त। जे-काशी पा-बे काशान नीम गाम अस्त।'यानी अगर हम अपना मन बना लें तो काशी और काशान के बीच की दूरी केवल आधा कदम होगी। जब मोदी शेर पढ़ रहे थे तो ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी मुस्कुरा रहे थे। मोदी 15 सालों में ईरान जाने वाले पहले पीएम हैं। इससे पहले अटल बिहारी वाजपेयी ईरान गए थे।

Posted By: Prabha Punj Mishra