‘I derive happiness from little things’
नीलेश जिंदगी के उतार-चढ़ाव को समान रूप से एक्सेप्ट करते हैं. खुशी से उछलते नहीं और छोटी-मोटी उलझनों से घबराते भी नहीं. जानते हैं क्या जिंदगी जीने का उनका फंडा...‘खुशियों को सहेजता हूं’नीलेश ठहाके मार के भले ही खुश ना होते हों लेकिन कुछ अच्छा अहसास कराने वाली चीजों को सहेज कर रखते हैं, वह कहते हैं, ‘शायद ही मेरे साथ ऐसा होता है कि मैं खुलकर खुश होता हूं. इसे आप मेरी कमी मान सकते हैं. मैंने खुशी के मारे उछलना छोड़ दिया है. हां, छोटी-छोटी चीजें हैं जिससे अंदर से सुकून मिलता है. खुश रखती हैं, मसलन कोई गीत या कहानी लिख ली. उस वक्त ज्यादा खुश होता हूं जब कोई बताता है कि मेरी कहानी या गीत उसकी जिंदगी बदल दी. जैसे लगा लिखने का मकसद पूरा हो गया. ये चीजें मुझे लम्बे वक्त तक खुश रखती हैं.’‘Society inspire करती है’
कोई एक घटना हमारे सोचने का नजरिया बदल देती है. नीलेश के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. वह एक वाकया याद करते हैं, ‘जर्नलिज्म के दौरान मैं सुनामी कवर करने अंडमान गया था. वहां उन लोगों से मुलाकात हुई जिनके पास कुछ भी नहीं बचा था. उनकी तकलीफ कहने की अदा ही मुझे अंदर तक छू गई. वे इस तबाही के बाद भी नॉर्मल थे. इस घटना के बाद चीजों को देखने के मेरे नजरिए में बदलाव आया.‘मेरा काम ही मेरी फुर्सत है’नीलेश खुद को खुशनसीब मानते हैं कि जिन चीजों को फुर्सत में करना चाहते थे वही उनका काम है. नीलेश कहते हैं, ‘मुझे नहीं लगा कि मैं कभी फुर्सत में रहा हूं. किसी पल को फुर्सत समझूं तो उसमें भी गीत लिखता हूं. मेरा काम ही मेरी फुर्सत है. हां, एक दिन बांद्रा बीच पर बैठा लैपटॉप पर कहानी लिख रहा था तो थोड़ा सुकून महसूस हो रहा था.’‘बुरे हालात के लिए तैयार रहता हूं’
उन्हें छोटी-छोटी चीजों परेशान नहीं करतीं, क्योंकि वह वस्र्ट कंडीशन के लिए तैयार रहते हैं. नीलेश कहते हैं, ‘तकरीबन हर रोज की बात है, एक छोटी सी प्रॉब्लम आती है और टेंशन पूरे चेहरे पर फैल जाती है. एक वाकया बताता हूं. मैं फैमिली के साथ टुअर पर मनाली गया था. लौटते वक्त मुझे लगा कि मेरा कीमती कैमरा मेरे साथ नहीं है. सब परेशान हो गए, टेंशन में थे कि अब क्या करें. मैंने कहा, दो ही कंडिशन है या तो कैमरा होटल में है या गाड़ी में ही कहीं होगा. गाड़ी वापस मोड़ नहीं सकते क्योंकि खड़ी ऊंचाई से नीचे आ रहे थे और गाड़ी में है तो मिल ही जाएगा. इसलिए परेशान होने का कोई मतलब ही नहीं है.’