इंडिया ने ऑस्‍ट्रेलिया को टेस्‍ट सीरीज में 4-0 से हरा दिया. इस जीत के साथ इंडिया ने हिस्‍ट्री भी क्रिएट की लगातार 4 टेस्‍ट मैच जीतने की. इस जीत को हर कोई ऑस्‍ट्रेलिया में मिली 4-0 से हार का बदला बता रहा है. अब सवाल यह है कि केवल 1 साल में इंडिया और ऑस्‍ट्रेलिया की टीमों में क्‍या बदलाव आ गया कि दोनों ने अपने-अपने घर में मेहमानों का क्‍लीन स्‍वीप कर दिया.


हाल के दिनों में टीमें अपने घरेलू मैदानों पर अपने स्ट्रांग प्वाइंट को देखकर पिचें तैयार कराती हैं. जिसकी वजह से मेहमान टीमें हार रही हैं और मेजबान टीमों की बल्ले-बल्ले हो रही है. इस लिहाज से तो हर मेहमान टीम हार के बाद यही कहेगी कि हमारे घर आना तब बताएंगे. अपने घर में मनमाफिक पिच इंडिया और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेली गई 4 टेस्ट मैचों की सीरीज में स्िपनर्स का ही जलवा रहा है. इस सीरीज में ऑस्ट्रेलिया के जो 79 विकेट गिरे उनमें से 55 विकेट स्िपनर्स ने लिए हैं. इंडिया के फ्रंट बॉलर आर अश्िवन ने 29 विकेट लिए तो रवींद्र जडेजा को 24 विकेट मिले. इंडियन पेसर ईशांत शर्मा और भुवनेश्वर कुमार को मिलाकर 13 विकेट मिले. सिरीज के पहले टेस्ट में तो 20 के 20 विकेट स्िपनर्स को मिले थे.


इस सीरीज में ऑस्ट्रेलिया की हार का सबसे बड़ा रीजन यह था कि उनके बैट्समैन स्िपन को सही से नहीं खेल पा रहे थे. उनकी यही कमजोरी का फायदा उठाते हुए इंडिया ने सीरीज के सभी मैचों में 4 स्िपनर उतारे.

ऑस्ट्रेलिया के पास कोई भी अच्छा स्िपनर नहीं था. नाथन लायन ने जरूर इस सीरीज में 3 टेस्ट मैच खेले जिसमें उन्हें 15 विकेट मिले. दिल्ली टेस्ट की फर्स्ट इनिंग में लायन ने 7 विकेट लेकर इंडिया को मुसीबत में डाल दिया था. अगर उनको किसी दूसरे स्िपनर का साथ मिल गया होता तो इस सीरीज का रिजल्ट कुछ और हो सकता था. जब पिछले साल इंडियन टीम ऑस्ट्रेलियाई टूर पर गई थी उस समय हालात इसके बिल्कुल उल्टे थे. वहां सीम विकेट थे. इंडिया केवल 1 स्िपनर के साथ खेल रहा था. आर अश्िवन इस सीरीज में मैन ऑफ द सीरीज हुए हैं. ऑस्ट्रेलिया में 4 टेस्ट मैचों में उन्हें मुश्िकल से 10 विकेट भी नहीं मिले थे. वहां ऑस्ट्रेलिया ने ज्यादातर टेस्ट मैच इनिंग से जीते थे. ऑस्ट्रेलिया की पिचों पर पीटर सिडल जैसे बॉलर को खेलना मुश्िकल हो रहा था. उस पिच पर ऑस्ट्रेलिया के इन्हीं बैट्समैनों ने रनों के अंबार लगाए थे जिन्हें इस सीरीज में कमजोर बताया जा रहा है. उस सीरीज में माइकल क्लार्क ने ट्रिपल सेंचुरी और डेविड वॉर्नर ने भी बड़ी इनिंग खेलीं थीं.   ऐसे नतीजे केवल इंडिया और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेली गई सीरीज में ही नहीं देखने को मिले हैं. दुनिया की जितनी भी टीमें खेल रही हैं उनमें ज्यादातर में विनिंग टीम होस्ट टीम ही बन रही है. इंडिया-इंग्लैंड सीरीज

वर्ल्ड कप के बाद जब इंडिया इंग्लैंड टूर पर गई तो सबको उम्मीद थी कि इंडिया यहां जीत हासिल करेगी. मगर टीम इंडिया यह सीरीज 4-0 से हारी. यह तब हुआ जब इस टीम में सहवाग, गंभीर, द्रविड़, सचिन और लक्ष्मण जैसे प्लेयर मौजूद थे. फास्ट और स्िवंग को हेल्प करने वाले विकेट पर इंडियन बैटिंग धराशाई हो गई और सीरीज में केवल 1 बार 300 का आंकड़ा पार कर पाई. जब इंग्लैंड की टीम इंडिया आई तो यहां उनका वेलकम टर्निंग ट्रैक से किया गया. इंग्लैंड पहला मैच बुरी तरह से हार गया. इसके बाद इंग्लैंड ने इंडिया की तर्ज पर वार किया. यह इंग्लैंड की खुशकिस्मती थी कि उनके पास वर्ल्ड के बेस्ट स्िपनर्स ग्रीम स्वान और मोंटी पनेसर थे. जिस वजह से उन्होंने इंडिया को इंडिया में 2-1 से मात दी. ऑस्ट्रेलिया-श्रीलंका सीरीज श्रीलंका की टीम 2012 के लास्ट में ऑस्ट्रेलियाई टूर पर गई. इस सीरीज में श्रीलंका का भी वही हाल हुआ जो इंडिया का ऑस्ट्रेलियाई टूर पर हुआ था. श्रीलंका का ऑस्ट्रेलिया ने क्लीन स्वीप कर दिया. साउथ अफ्रीका-पाकिस्तान सीरीज
पाकिस्तान ने हाल ही में साउथ अफ्रीका का दौरा पूरा किया है. इस सीरीज में पाकिस्तान को टेस्ट सीरीज में 3-0 से हार झेलनी पड़ी. सीरीज के 2 टेस्ट मैचों में उसे इनिंग से हार मिली. यहां के फास्ट ट्रेक पर पाकिस्तानी बैटिंग ढ़ेर हो गई. अगर पिछले कुछ साल से खेली गईं सीरीज के रिजल्ट पर बात करें तो जब इंडियन सबकांटीनेंट से कोई टीम बाहर जाती है तो उसे हार झेलनी पड़ती है. जब कोई टीम इंडियन सबकांटीनेंट में खेलनी आती है तो उसे हार झेलनी पड़ती है. मतलब साफ है कि इससे टीमों को अपने घर में तो जीत मिल जाती है मगर वे जब दूसरे देशों में खेलने जाती हैं तो उन्हें हार ही मिलती है. अब इस पर आईसीसी को जल्द ही डिसीजन लेना होगा. सवाल यही है कि क्या आईसीसी को अपने हिसाब से स्पोर्टिंक पिचें बनानी चाहिए. जिससे क्रिकेट प्रेमियों को अच्छा क्रिकेट देखने को मिले.

Posted By: Garima Shukla