भारत दुनिया भर में अपनी संस्कृति पाक शैली और विविधता के लिए जाना जाता है। भारत आबादी के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है। इस देश ने कई महान हस्तियों को जन्म दिया। इसके साथ ही भारत ने दुनिया को कई ऐसी चीज़ें दीं जिससे लोगों का जीवन सुगम बना। भारत ने दुनिया को ऐसी सात चीज़ें दी हैं जिनमें से कुछ को जानकर आप हैरान हो सकते हैं।

1- योग

आज की तारीख़ में दुनिया भर में योग काफ़ी लोकप्रिय है। संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को विश्व योग दिवस घोषित किया है। आप किसी भी अच्छे जिम में जाइए तो वहां योग विशेषज्ञ मिल जाएंगे। योग के बारे कहा जाता है कि यह भारतीय इतिहास के पूर्व-वैदिक काल से ही प्रचलन में था। इसकी जड़ें हिन्दू, बौद्ध और जैन संस्कृति से है। अब ख़ुद को फिट रखने के लिए दुनिया भर में योग प्रचलन में आ गया है। पश्चिम में योग को स्वामी विवेकानंद (1863-1903) ने फैलाया था।

 

3- फाइबर ऑप्टिक्स

क्या आप ऐसी दुनिया की कल्पना कर सकते हैं जहां आप अपने दोस्त की बिल्ली का प्यारा वीडियो या अपने ईमेल के इनबॉक्स में मर्दानगी बढ़ाने वाले उत्पादों के लेटेस्ट ऑफर न देख सकें? ज़ाहिर है जब इंटरनेट की दुनिया नहीं थी तो ये सारी चीज़ें संभव नहीं थीं। लेकिन फाइबर ऑप्टिक्स के आने बाद वेब, ट्रांसपोर्ट, टेलिफ़ोन संचार और मेडिकल की दुनिया में क्रांतिकारी परिवर्तन आए।

नरिंदर सिंह कपानी पंजाब के मोगा में जन्मे एक भौतिक विज्ञानी थे। दुनिया भर में इन्हें ऑप्टिक्स फाइबर का जनक माना जाता है। 1955 से 1965 के बीच नरिंदर सिंह ने कई टेक्निकल पेपर लिखे। इनमें से एक पेपर 1960 में साइंटिफिक अमरीकन में प्रकाशित हुआ था। इस पेपर ने फाइबर ऑप्टिक्स को स्थापित करने में मदद की थी।

 

5-यूएसबी पोर्ट

यूएसबी यानी यूनिवर्सल सीरियल बस पोर्ट की खोज से हमें इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों से जुड़ने में मदद मिली। इससे उस शख्स की भी ज़िंदगी बदल गई जिसने इसे बनाने में मदद की। उस शख्स का नाम अजय भट्ट है। 1990 के दशक में भट्ट और उनकी टीम ने डिवाइस पर जब काम शुरू किया तो उस दशक के आख़िर तक कंप्यूटर कनेक्टिविटी के लिए यह सबसे अहम फीचर बन गया था। भारत में जन्मे इस खोजकर्ता को इस मामले में सार्वजनिक तौर पर पहचान तब मिली जब 2009 में इंटेल के लिए एक टेलीविजन विज्ञापन आया। इसके बाद ग़ैर-यूरोपियन श्रेणी में 2013 में भट्ट को यूरोपियन इन्वेंटर अवॉर्ड से नवाजा गया।

 

7-शैम्पू

शैम्पू से बाल धोने के बाद भला कौन अच्छा महसूस नहीं करता होगा। ख़ुशबू, चमक और आत्मविश्वास को आसानी से महसूस किया जा सकता है। बिना शैम्पू के नहाना ऐसा लगता है मानो दोपहर बाद की चाय बिना बिस्कुट के हो। ऐसा लगता है कि बिना शैम्पू के कैसे नहाया जा सकता है। भारत में 15वीं शताब्दी में कई पौधों की पत्तियों और फलों के बीजों से शैम्पू बनाया जाता था। ब्रिटिश उपनिवेश काल में व्यापारियों ने यूरोप में इस शैम्पू को पहुंचाया।

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Posted By: Chandramohan Mishra