इस साल 26 मार्च को एक नाइजीरियन शिपिंग कंपनी में कार्यरत भारत के बनारस निवासी मरीन इंजीनियर संतोष कुमार भारद्वाज का पांच अन्‍य शिपिंग कंपनी कर्मचारियों सहित स्‍थानीय समुद्री डाकुओं ने अपहरण कर लिया था। मोटी फिरौती लेकर डाकुओं ने इन लोगों को रिहा कर दिया और बुधवार देर रात संतोष अपने घर वापस आ गए हैं।


आज संतोष की शादी की सालगिरह भी
नाइजीरिया के समुद्री डाकुओं ने मंडुआडीह निवासी इंजीनियर संतोष कुमार को अपने चंगुल से मुक्त कर दिया है। करीब 47 दिनों तक डाकुओं की गिरफ्त में रहे संतोष कुमार बुधवार रात जब अपने घर पहुंचे तो परिवार का हर सदस्य उनसे लिपट कर रो पड़ा। संयोग ही है कि गुरुवार को उनकी शादी की सालगिरह भी है। इस मामले में सिंगापुर की शिपिंग कंपनी के अधिकारियों व भारतीय दूतावास की पहल काम आई। फिरौती की मोटी रकम लेकर डाकुओं ने संतोष समेत अन्य देशों के पांच कर्मियों को छोड़ा। मंगलवार को रिहाई की सूचना मिलते ही परिवार के सदस्यों की खुशियों का ठिकाना न रहा, रात तक संतोष घर पहुंच भी गए। संतोष की मां ने बहू कंचन को मिठाई खिलाकर आशीर्वाद दिया तो बेटी चारु ने स्कूल में भी मिठाइयां बांटीं। पिता वीरेंद्र ठाकुर ने दैनिक जागरण का भी आभार जताया और बोले, कठिन समय में अखबार ने बहुत साथ दिया हमारा।मार्च में हुआ था अपहरण


बताते चलें कि मंडुआडीह की राजतिलक नगर कालोनी (कंचनपुर) में मकान बनाकर रहने वाले रिटायर्ड डीरेकाकर्मी वीरेंद्र ठाकुर के पुत्र संतोष कुमार सिंगापुर की एक शिपिंग कंपनी ट्रांसओशन प्राइवेट लिमिटेड में कार्यरत थे। 26 मार्च 2016 को नाइजीरिया के सागर तट से तेल लादकर निकले मालवाहक जहाज से नाइजीरिया के समुद्री डाकुओं ने कंपनी के पांच अधिकारियों का अपहरण कर लिया। इसमें भारत के संतोष के अलावा दो यूक्रेन, एक पाकिस्तान और एक बाग्लादेश के थे। डकैतों ने अगवा अधिकारियों को किसी टापू पर रखा था। संतोष के अपहरण की सूचना सुन परिवार सदमे में आ गया। पत्‌नी कंचन ने खाना छोड़ दिया। सिंगापुर की कंपनी और नाइजीरिया स्थित भारतीय दूतावास के अधिकारियों से परिवार की वार्ता हुई। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी ढांढ़स बंधाया। परिवार वालों ने पीएम से लेकर सीएम तक गुहार लगाई।बढ़ा दी थी फिरौती की रकमकंपनी के अधिकारी ने बिचौलियों की मदद से डाकुओं से संपर्क किया तो मोटी रकम की मांग हुई। 28 अप्रैल को कंपनी ने डाकुओं की मांग पूरी करते हुए रकम भेजी, लेकिन डाकुओं ने पांचों अफसरों को छोड़ने के लिए मांग बढ़ा दी। बाद में कंपनी ने बढ़ी रकम भी भेजी तब डाकुओं ने अधिकारियों को छोड़ा। डाकुओं ने मदर्स डे पर संतोष की बात उनके परिवार के सदस्यों से कराई थी। मां व पिता से बात कर संतोष भी काफी खुश थे। आंसुओं के बीच जल्द घर आने का उन्होंने भरोसा दिया था।पीएम को धन्यवाद

इसके पूर्व रिहाई की पुख्ता खबर मिलने के बाद परिजन रवींद्रपुरी स्थित पीएम के संसदीय जनसंपर्क कार्यालय भी पहुंचे और पीएम, विदेश मंत्री समेत केंद्र सरकार को धन्यवाद दिया। पिता वीरेंद्र ठाकुर पुत्र की रिहाई के लिए रोज सुंदरकांड का पाठ कर रहे थे। रिहाई की सूचना मिलते ही बोले-श्रीराम ने सुनी पुकार।

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Posted By: Molly Seth