Ranchi : एक सर्वे के मुताबिक झारखंड स्टेट की 1800 लड़कियां अब भी बंधक हैं. ये लड़कियां दिल्ली गुडग़ांव यूपी मुंबई समेत अन्य सिटीज में बंधक हैं. इन लड़कियों को छुड़ानेवाली संस्थाओं ने भी अपने हाथ उठा लिए हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि झारखंड गवर्नमेंट की ओर से उन्हें इन लड़कियों को छुड़ाने के लिए न तो बेसिक फैसिलिटीज प्रोवाइड कराई जा रही हैं और न ही डेढ़ साल से उन्हें पेमेंट दिया जा रहा है. देश की डिफरेंट सिटीज में बंधक बनी लड़कियों में रांची के चान्हो मांडर के अलावा खूंटी गुमला लोहरदगा चतरा हजारीबाग और लातेहार डिस्ट्रिक्ट की लड़कियां शामिल हैं.

महिलाएं ज्यादा होती हैं शिकार

झारखंड में ह्यूमन ट्रैफिकिंग के जरिए महिलाएं सबसे ज्यादा वॉयलेंस की शिकार बनती हैं। झारखंड के रिमोट एरियाज व सिटीज से भी दलालों के जरिए लड़कियां काम करने के लिए बाहर जाती हैं, जहां उन्हें इनह्यूमनली ट्रीट किया जाता है। कई बर तो उनके साथ मारपीट, गाली-गलौज के साथ-साथ उन्हें सेक्सुअली एक्सप्लॉइट भी किया जाता है। ह्यूमन ट्रैफिकिंग का शिकार सबसे ज्यादा  बच्चियां और युवतियां हो रही हैं. 

45 लड़कियां हुई थीं गायब

एक सर्वे के मुताबिक, रांची के नामकुम Žलॉक से 45 लड़कियां गायब थीं। इन्हें नौकरी दिलाने का लालच देकर दिल्ली समेत अन्य स्टेट्स में ले जाया गया था। हालांकि, इनमें से 10 से 12 लड़कियों को संस्था और पुलिस की मदद से रेस्क्यू कर लाया गया है। इन लड़कियों की त्रासदी यह है कि तमाम तरह के वॉयलेंस का शिकार होने के बाद भी इन्हें इस बात का भान नहीं रहता है कि उनके साथ किसी तरह की नाइंसाफी हुई है।

रांची की 250 लड़कियां अब भी बंधक!

एटसेक के पास जो रिपोर्ट कार्ड के अपडेट्स हैं, उसके मुताबिक अभी भी स्टेट कैपिटल रांची की 250 लड़कियां ह्यïूमन ट्रैफिकिंग का शिकार होकर कहीं न कहीं बंधक बनी हुई हैं। जबकि, पूरे झारखंड की 1800 लड़कियां बंधक बनी हुई हैं. 

क्या-क्या नहीं मिली हैं facilities?

एटसेक सुप्रीम कोर्ट के आॉर्डर पर स्टेट में बनाई गया एक ऑर्गनाइजेशन है। यह कई सालों से ह्यïूमन ट्रैफिकिंग के अगेंस्ट काम कर रहा है। पर, एटसेक के मुताबिक, पिछले डेढ़ साल से इसे ह्यïूमन ट्रैफिकिंग के खिलाफ काम करने के लिए कोई फैसिलिटी नहीं मिल पा रही है। बच्चियों का केस लडऩे के लिए न तो एडवोकेट है, न ही केस को देखने के लिए सेक्शन ऑफिसर।

पढ़ाई कराने के बहाने मौसी ने बेच डाला

एटसेक का कहना है कि ट्रैफिकिंग और इनसिक्योर माइग्रेशन की शिकार बनी युवतियों के साथ अक्सर वॉयलेंस की घटनाएं होती हैं, लेकिन वे शिकायत नहीं कर पाती हैं। ऐसी ही एक पीडि़त बच्ची है कल्पना (बदला हुआ नाम), जिसे किसी और ने नहीं, बल्कि खुद उसकी मौसी ने उसे बेच डाला था। घटना तब की है, जब कल्पना पांच साल की थी। उसकी मां ललिता देवी का निधन हो गया था। उसके बाद उसके पिता धनेश्वर ने उर्मिला नाम की महिला से दूसरी शादी कर ली। उर्मिला कल्पना को देखना भी पसंद नहीं करती थी। उर्मिला चाहती थी कि कल्पना काम करे, जबकि कल्पना पढऩा चाहती थी। वह गांव के स्कूल में चौथी क्लास में पढ़ती थी। 2011 में उर्मिला ने अपनी बहन बुधमनिया (जो अब कल्पना की मौसी बन चुकी थी) से मिलकर पढ़ाई कराने के बहाने कल्पना को दिल्ली भेज दिया। वहां बुधमनिया ने उसे पहले अनिता प्लेसमेंट एजेंसी के हाथों बेच दिया। इसके बाद एजेंसी के जरिए उसे तीन अलग-अलग जगहों पर बेचा गया। कल्पना कहती है कि 2011 में उसकी मौसी सबसे पहले रांची ले आई। यहां सात दिनों तक रखा। उसके बाद यहां से दिल्ली ले गई। अनिता एजेंसी ने उसे पंजाबी बाग, सुभाष कोठी और मालवीय नगर में काम करने के लिए बेचा। 2013 के सितंबर में पुलिस ने मालवीय नगर में छापेमारी कर कल्पना को वहां से छुड़ाया। उसे लोबल फैमिली होम में रखा गया। इसके बाद फरवरी में उसे रांची लाया गया। एटसेक के प्रोटेक्शन में वह 11 दिनों तक रही और सीडŽल्यूसी की हेल्प से उसे गुमला स्थित उसके पैतृक घर भेज दिया गया। पुलिस उसकी मौसी की तलाश कर रही है।

धुर्वा की अनिता कुमारी अब भी है कŽब्जे में

धुर्वा की रहनेवाली अनिता कुमारी अब भी दिल्ली में बंधक बनी हुई है। उसके माता-पिता और भाई धुर्वा में ही रहते हैं। इस बाबत अनिता के माता-पिता ने बेटी की बरामदगी को लेकर सिटी के एक एनजीओ से कॉन्टैक्ट किया है। अनिता ने बताया है कि उसकी छोटी बहन को पहले रिश्ते में चाची लगनेवाली महिला काम दिलाने का बहाना कर ले गई थी। काफी दिनों तक जब उसका कोई पता नहीं चला, तो अनिता अपनी बहन को खोजने के लिए लोकल एनजीओ की मदद से दिल्ली पहुंच गई। दिल्ली में उसे पता चला कि झारखंड की एक महिला ने उसे कानपुर में एक सेठ के हाथों बेच दिया है। वह अपनी बहन का पता लगाने के लिए कानपुर गई। कानपुर से आगे जाने पर एक कस्बे में उसकी बहन उसे मिल गई। उसकी शादी एक अधेड़ व्यक्ति से कर दी गई थी। उसके दो बच्चे भी हो गए थे। अनिता उसे अपने साथ लाना चाहती थी, पर उसकी बहन ने मना कर दिया। इसी बीच अनिता के घर में भुखमरी की सिचुएशन क्रिएट हो गई। उसे भी काम की तलाश थी। बस्ती का ही एक युवक ने उसे नौकरी दिलाने के बहाने दिल्ली ले गया और वहां मोटी रकम लेकर अनिता को भी बेच डाला। अनिता दिल्ली में अब भी बंधक बनी हुए है।

Posted By: Inextlive