RANCHI: रिम्स कैश काउंटर घोटाला मामले में प्रबंधन ने स्टाफ्स से साढ़े चार लाख रुपए रिकवरी करने का आदेश जारी किया है. वहीं चिट्ठी मिलने के बाद तीन दिनों के अंदर पैसा जमा नहीं कराने की स्थिति में कैश काउंटर के दोषी स्टाफ्स पर एफआइआर दर्ज कराने को कहा गया है. इसके साथ ही उन पर नियम संगत कार्रवाई करने का भी आदेश डायरेक्टर ने जारी किया है. घोटाले की जांच के दौरान स्टाफ उमेश कुमार वर्मा और विनोद राय के दोषी होने की पुष्टि हुई थी.इनमें बिनोद कुमार को 207000 रुपये तथा उमेश कुमार वर्मा को 2.5 लाख रुपये निदेशक कार्यालय में सहायक रोकड़पाल के पास जमा करने का निर्देश मिला है.

सौंपी जांच रिपोर्ट
घोटाले की जांच के लिए एक्टिंग डायरेक्टर ने रिम्स के डिप्टी डायरेक्टर, प्रशासन लॉ एंड आर्डर गिरिजा शंकर प्रसाद की अध्यक्षता में कमेटी बनाई थी। रिम्स उपाधीक्षक डॉ। गोपाल श्रीवास्तव एवं रेडियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ। सुरेश टोप्पो कमेटी में मेंबर थे। कमेटी ने मंगलवार को जांच शुरू की। जांच में राशि गबन का मामला सामने आया। कमेटी ने रिपोर्ट निदेशक को सौंप दी है। बुधवार को लेखा पदाधिकारी ने राशि वसूली का पत्र जारी किया।

हर दिन लाखों रुपए की कटती पर्ची
रिम्स में विभिन्न तरह की जांच के लिए प्रतिदिन लगभग एक लाख रुपये की पर्ची कटती है। इनमें रेडियोलॉजी में एक्स-रे, एमआरआइ, अल्ट्रा साउंड, सिटी स्कैन, पैथोलाजी में कई तरह की जांच आदि कराने के लिए काउंटर पर पर्ची कटानी होती है। गौरतलब है कि काउंटर पर दैनिक कर्मी बैठते हैं। जांच टीम ने दोषी कर्मी की पहचान भी कर ली है।

इस तरह घोटाले को दिया गया अंजाम
कैश काउंटर में टेस्ट कराने के लिए आने वाले मरीजों की दो पर्ची काटी जाती है। इसमें एक पर्ची टेस्ट कराने के लिए संबंधित डिपार्टमेंट में रखा जाता है, जबकि कार्बन पर्ची मरीज को लौटा दी जाती है। इसी पर्ची की बेसिस पर मरीज को जांच रिपोर्ट दी जाती है। लेकिन, कई बार ऐसा होता है कि कुछ वजहों से मरीज का टेस्ट नहीं हो पाता है। ऐसे में मरीज पर्ची वापस देकर रिफंड ले सकता है। लेकिन, काउंटर के कर्मियों ने मिलीभगत कर इस पर्ची की बेसिस पर मरीजों को होने वाला रिफंड कैश करा लिया।

Posted By: Inextlive