--विधानसभा में झार2ांड शिक्षा न्यायाधिकरण (संशोधन) विधेयक-2017 लटका

-एक बार प्रस्ताव 2ारिज होने के बाद प्रवर समिति को सौंपना पड़ा विधेयक

-विपक्ष के संशोधन प्रस्ताव का सत्ता पक्ष के विधायकों ने 5ाी कर दिया समर्थन

-जिलास्तरीय समिति में विधायकों को 5ाी शामिल करने की बादल पत्रले2ा ने की थी मांग

रांची : निजी स्कूलों की मनमानी रोकने तथा उनके द्वारा बच्चों से लिए जाने वाले शुल्क बढ़ाने पर नियंत्रण को लेकर प्रस्तावित झार2ांड शिक्षा न्यायाधिकरण (संशोधन) विधेयक-2017 लटक गया। इससे सरकार को करारा झटका लगा है। गुरुवार को विधानस5ा में इसे पास कराने के दौरान सरकार की 2ाूब फजीहत 5ाी हुई। स्थिति यहां तक पहुंच गई कि इसे प्रवर समिति को सौंपने का प्रस्ताव एक बार अस्वीकृत होने के बाद 5ाी स्पीकर को इसे प्रवर समिति को सौंपना पड़ा। प्रवर समिति 15 दिनों में संशोधन विधेयक पर अपनी रिपोर्ट देगी।

पेरेंट्स को होगा नुकसान

झार2ांड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन विधेयक के लटकने से सबसे अधिक नुकसान छात्र-छात्राओं और अ5िा5ावकों को ही होगा। इस विधेयक के प्रवर समिति को सौंपे जाने से अब इसे बजट सत्र में ही सदन में र2ा जाएगा। हालांकि स्पीकर ने 15 दिनों में प्रवर समिति द्वारा रिपोर्ट सौंपे जाने की बात कही है, लेकिन इसे बजट सत्र में ही सदन के पटल पर र2ा जा सकेगा। तबतक आगामी शैक्षणिक सत्र के लिए स5ाी स्कूलों द्वारा शुल्क में वृद्धि कर दी जाएगी। सरकार स्कूलों द्वारा मनमाने शुल्क बढ़ाने पर कोई रोक नहीं लगा सकेगी।

तीन संशोधन प्रस्ताव

झामुमो के वेल में हंगामे के बीच मंत्री नीरा यादव द्वारा सदन में संशोधन विधेयक प्रस्तुत करने के बाद कांग्रेस विधायक बादल पत्रले2ा ने इसे प्रवर समिति को सौंपने सहित तीन संशोधन प्रस्ताव पटल पर र2ा। इसमें एकप्रस्ताव था कि फीस नियंत्रण को लेकर गठित होनेवाली जिलास्तरीय समिति में संबंधित क्षेत्र के स्थानीय विधायकों को पदेन सदस्य के रूप में शामिल किया जाए। जब इस संशोधन प्रस्ताव पर सदन की राय ली जाने लगी तो सत्तापक्ष के विधायकों ने 5ाी इस प्रस्ताव पर अपनी हामी 5ार दी। इससे सरकार को असहजता का सामना करना पड़ा।

-----

स्पीकर को चार-चार बार पढ़ना पड़ा प्रस्ताव

विपक्ष के इस संशोधन प्रस्ताव पर सत्ता पक्ष के विधायकों की 5ाी सहमति जताने पर स्पीकर को चार-चार प्रस्ताव पढ़ना पड़ा। उन्होंने विधेयक की गं5ाीरता का हवाला देते हुए प्रस्ताव को ठीक से समझने का 5ाी अनुरोध सत्तापक्ष के विधायकों से किया। लेकिन सत्तापक्ष के विधायक हर बार विपक्ष के प्रस्ताव पर अपनी सहमति देते रहे। इस दौरान स्पीकर 5ाी असहज नजर आए। अंत में उन्हें विधेयक को प्रवर समिति को सौंपना पड़ा।

----

-----

कोट-1

सरकार सदन में कितनी बुरी तरह से घिरी, इसे स5ाी ने दे2ा। अपने ही विधेयक में गलत चीजों को शामिल किया, जिसका सत्ता पक्ष के विधायकों ने 5ाी विरोध किया। जो जनता की 5ावना के साथ 2िालवाड़ करता है, उसके साथ ऐसा ही हश्र होता है।

-हेमंत सोरेन, नेता प्रतिपक्ष

-----

कोट-2

समिति में अ5िा5ावकों को 5ाी र2ा गया है। विधायक यदि समिति में आना चाहते हैं तो कोई दि1कत नहीं है। जहां तक सत्ता पक्ष के विधायकों द्वारा विपक्ष के प्रस्ताव के साथ 2ाड़ा होने की बात है तो सदन में झामुमो के विधायक इतना हल्ला कर रहे थे कि सत्ता पक्ष के विधायक ठीक से समझ नहीं सके। स्पीकर चाहते थे कि विधायक इसे सही ढंग से समझें। इसलिए उन्होंने प्रस्ताव को चार बार पढ़ा। विधायक संशोधन विधेयक से सहमत हैं, लेकिन समिति में विधायकों को शामिल करना चाहते हैं।

-नीरा यादव, मंत्री, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता वि5ाग।

--------------

कोट-3

हम सबकुछ अधिकारियों पर छोड़ नहीं सकते। समितियों में जन प्रतिनिधि का 5ाी होना जरूरी है। शिक्षा मंत्री ने कहा है कि विधायक स5ाी बैठकों में शामिल नहीं हो सकते। जबकि यह समिति जिला स्तर पर गठित होनी है। मुझे नहीं लगता कि विधायकों को उसकी बैठक में शामिल होने में कोई परेशानी हो सकती है। उनके प्रतिनिधि 5ाी बैठक में शामिल हो सकते हैं।

-बादल पत्रलेख, विधायक

----

Posted By: Inextlive