RANCHI: पूरी दुनिया जहां जगमग रौशनी में दिवाली मनाएगी, वहीं बरियातू ग‌र्ल्स स्कूल की क्ख्वीं की छात्रा अंजलि का यह प्रकाश पर्व भी अंधेरे में ही गुम हो जाएगा। जी हां, इलाज में हुई लापरवाही ने अंजलि की आंखों की रौशनी छीन ली। वहीं, वह ठीक से चल भी नहीं पाती है। व्हील चेयर पर जिंदगी की जंग लड़ रही इस बच्ची ने सीएम के आगे भी हाथ फैलाया। सीएम ने मदद का आश्वासन भी दिया, लेकिन यह आश्वासन अब तक पूरा नहीं हो पाया है। इसके बावजूद अंजलि का लक्ष्य एमबीए कर अपने जैसे जरूरतमंद बच्चों की मदद करना है।

यह है अंजलि की कहानी

परिजनों ने बताया कि ख्00ब् में जब अंजलि छोटी थी। तभी उसे ब्रेन मेंजाइटिस नामक बीमारी हो गई। अक्सर बुखार रहने लगा। कमजोरी के कारण वह महीनों बेड़ पर रही। इस दौरान इसके बैक बोन में प्राब्लम हो गया और चलना-फिरना भी मुश्किल हो गया। इसके बाद रिम्स में इलाज के दौरान डॉक्टर की लापरवाही ने उसकी आंखों की रौशनी भी छीन ली। डॉक्टर ने कहा कि छह महीने में रौशनी लौट जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और हमेशा के लिए अंजलि की दुनिया में अंधेरा छा गया। अब अंजलि व्हील चेयर पर चलने को मजबूर हो गई है। स्कूल में भी वह व्हीलचेयर पर बैठकर ही क्लास करती है।

सरकार ने मदद का किया था वादा

दो साल पहले अंजलि ने दसवी की परीक्षा में टॉप किया था। संत मिखाइल स्कूल से पढ़ाई करने के बाद अंजलि को 78 परसेंट नंबर आए थे। इसके बाद जैक की ओर से इसे सम्मानित किया गया था। इस दौरान तत्कालीन झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने अंजलि को आश्वासन दिया था कि इसके इलाज में आने वाला सारा खर्च सरकार उठाएगी। लेकिन आज तक ऐसा नहीं हुआ और अंजलि के पिता सरकार से लेकर डीसी तक का चक्कर काट कर थक चुके हैं, लेकिन मदद के लिए एक पैसा तक नहीं मिला।

स्कूल ले जाने के लिए पापा ने छोड़ी नौकरी

अंजलि अपने स्कूल की बाकी छात्राओं से बिल्कुल अलग है। यह रोज व्हील चेयर पर स्कूल अपने पापा के साथ आती है और शाम को घर जाती है। इसके पिता शेखर राम गंझू रोज इसे गोद में लेकर स्कूल छोड़ने आते हैं। उन्होंने बेटी को पढ़ाने के लिए अपना जॉब भी छोड़ दिया है, ताकि बेटी का लाने-ले जाने में कोई दिक्कत न हो। उसकी पढ़ाई बाधित न हो। दसवीं में अंजलि को 78 परसेंट नंबर आये थे और इसने अपने स्कूल में टॉप किया था।

एमबीए कर अपने जैसों की करना है मदद

अंजलि का कहना है कि मैं एमबीए करना चाहती हूं, ताकि मैं फाइनेशियली रूप से भी स्ट्रांग हो सकूं और अपने पैरों पर खड़ी हो सकूं। साथ ही इतनी काबिल हो सकूं कि अपने जैसे उन बच्चों की भी मदद कर सकूं जिनकी मदद कोई नहीं करता है। बस इसी की तैयारी में लगी हुई हूं। अंजलि के क्लास टीचर डॉ। मिथिलेश कुमार झा का कहना है कि अंजलि एक टैलेंटेड स्टूडेंट है। इसकी याददास्त बहुत मजबूत है। स्कूल के सभी बच्चों के साथ क्लास के सभी टीचर भी इसकी मदद करते हैं।

Posted By: Inextlive