आपने बच्चे का आईक्यू टेस्ट कराया क्या
RANCHI: आपने बच्चे का आईक्यू टेस्ट कराया? जी हां, यदि आपका बच्चा कम उम्र में ज्यादा चंचल है, तो इसे इग्नोर न करें बल्कि उसका आईक्यू टेस्ट तुरंत करवाएं। ताकि पता चल सके कि आपका बच्चा हाइपर एक्टिव डिसआर्डर से ग्रसित तो नहीं न है। ऐसे में आपका बच्चा चंचल तो होगा, पर उसका मानसिक विकास रुक जाएगा। साथ ही वह पढ़ने-लिखने के अलावा किसी अन्य काम में भी फोकस नहीं कर पाएगा। बच्चा बड़ा होने के बाद भी स्टेबल नहीं कर पाएगा। रिनपास में इन दिनों इस बीमारी से ग्रसित आने वाले बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। ओपीडी में आने वाले बच्चों की संख्या एक महीने में ख्भ्0 पहुंच गई है। ऐसे में एक्सपर्ट्स बच्चों के आईक्यू टेस्ट कराने की सलाह दे रहे हैं, ताकि उनकी बीमारी का जल्द पता लग जाए और समय पर इलाज हो सके।
रिनपास डेली आ रहे क्0 बच्चेरिनपास में हाइपर एक्टिव डिसआर्डर से ग्रसित 8-क्0 बच्चे हर दिन पहुंच रहे हैं। इसे अटेंशन डेफिसिड हाइपर एक्टिव डिसआर्डर कहा जाता है। इस बीमारी से ग्रसित बच्चा अपनी उम्र के हिसाब से ज्यादा ही एक्टिव होता है। लेकिन मानसिक रूप से उस बच्चे में स्थिरता नहीं होती है, जो बच्चे की उम्र के साथ ही बढ़ती जाती है। ऐसे में यह बीमारी और गंभीर हो सकती है। हालांकि शुरुआत में ही इसका इलाज होने से इसे बढ़ने से रोका जा सकता है।
आइक्यू टेस्ट से पता चलेगी बीमारी बच्चा अगर अपनी उम्र के हिसाब से ज्यादा एक्टिव दिखे या फिर जरूरत से ज्यादा चंचल हो, तो उसका आइक्यू टेस्ट जरूर करवाना चाहिए। इससे यह पता लगाया जा सकता है कि बच्चा कहीं हाइपर एक्टिव डिसआर्डर से ग्रसित तो नहीं है। इसके बाद तत्काल उसका इलाज शुरू कर दिया जाता है। साथ ही उसकी थेरेपी भी की जाती है। ओपीडी में मिरगी से ग्रसित बच्चे ओपीडी में इन दिनों आने वाले बच्चों में अधिकतर मिरगी से ग्रसित शामिल हैं। उम्र बढ़ने के साथ ही यह बीमारी भी बढ़ती जाती है। इससे बच्चों में कम सुनने, बोलने जैसी समस्याएं होती भी है। वहीं, दिमाग पर भी इसका बुरा असर पड़ता है। वर्जनहाल के दिनों में अटेंशन डेफिसिड हाइपर एक्टिव डिसआर्डर से ग्रसित बच्चों की संख्या बढ़ी है। ओपीडी में ऐसे क्0 बच्चे हर दिन आ रहे हैं। अवेयरनेस के कारण लोग आ रहे हैं, जो अच्छी बात है। अगर कभी भी लगे कि आपका बच्चा कोई काम जरूरत से ज्यादा या कम समय में कर रहा है, तो उसे मेंटल डिसआर्डर हो सकता है। रिनपास में इसकी जांच की व्यवस्था है। बच्चे ठीक भी हो रहे हैं।
-डॉ। एके नाग, एमएस, रिनपास