Ranchi : लोक आस्था का महापर्व छठ सोमवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया। इस दौरान बड़ी संख्या में व्रतधारी स्वर्णरेखा नदी में स्नान कर अनुष्ठान में जुट गए हैं। इस मौके पर पूरी शुद्धता और पवित्रता के साथ व्रतधारियों ने अरवा चावल, चने की दाल और लौकी की सब्जी प्रसाद के रूप में बनाया, जिसे श्रद्धालुओं ने भी ग्रहण किया। अब चार दिनों के इस सूर्य उपासना पर्व को नियम-निष्ठा के साथ व्रतधारी अनुष्ठान को पूरा करेंगे।

शुद्धता व पवित्रता का ख्याल

छठ महापर्व एक ऐसा पर्व है, जिसमें शुद्धता, पवित्रता और स्वच्छता का विशेष ख्याल रखा जाता है। न सिर्फ व्रतधारी, बल्कि श्रद्धालुजन भी इसका ध्यान रखते हैं। खानपान को भी लेकर काफी सावधानी व परहेज किया जाता है। कई घरों में तो लहसुन-प्याज का इस्तेमाल भी बंद हो जाता है। यही वजह है कि छठ को लोक आस्था के महापर्व के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व में लोक गीतों की भी अपनी अहमियत है। छठी मईया के गूंज रहे गीतों से शहर का माहौल भक्तिमय हो चुका है। इधर, सड़कों और चौक-चौराहों को सजाने की तैयारी भी शुरू हो चुकी है।

घाट भी हैं तैयार

नदी, तालाब और पोखरों की साफ-सफाई भी लगभग पूरी हो चुकी है। घाटों को सजाया जा रहा है। यहां बिजली की इंतजाम किया जा रहा है। सुरक्षा को लेकर जिला प्रशासन भी अलर्ट है। इधर, घाटों पर न सिर्फ छठी मईया के गीत बज रहे हैं, बल्कि यहां पूजा-पाठ के सामान भी व्रतधारियों को उपलब्ध होगा। इधर, नदी व तालाबों पर भारी भीड़ को देखते हुए कई व्रतधारी अपने घरों में छठ महापर्व के अनुष्ठान को पूरा करने की तैयारी कर चुके हैं।

बंटेगा खीर प्रसाद

मंगलवार को खरना है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को छठ महापर्व का खरना अनुष्ठान होता है। दिनभर निर्जल उपवास के बाद व्रतधारी सूर्यास्त होने पर पूजा करने के उपरांत प्रसाद ग्रहण करेंगे। खरना में दूध और गुड़ से बने खीर को प्रसाद के तौर पर ग्रहण किया जाता है। इसके अलावा गन्ने के रस में बने चावल की खीर के साथ रोटी, चावल, दाल और पिट्ठा को भी प्रसाद के तौर पर ग्रहण करने की परंपरा है। खरना के प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रतधारियों का फ्म् घंटे का निराहार व्रत शुरु हो जाएगा।

खूब बिके मिट्टी के चूल्हे

छठ महापर्व में खरना का प्रसाद मिट्टी के नए चूल्हे पर बनाने की परंपरा है। ऐसे में सबसे ज्यादा मिट्टी के चूल्हे की बिक्री हुई। सोमवार को सौ रुपए से लेकर ख्ख्0 रुपए के बीच मिट्टी के चूल्हे मिल रहे थे। हर साइज के चूल्हे बाजार में अवेलेबल थे। इसी चूल्हे पर व्रतधारी पवित्रता के साथ खरना का प्रसाद बनाएंगे।

Posted By: Inextlive