RANCHI : झारखंड में बेटियों के साथ दरिंदगी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। साल-दर-साल रेप की घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं। इसमें भी दरिंदों के निशाने पर ज्यादातर नाबालिग बेटियां होती हैं। अगर इस साल अबतक हुई रेप की घटनाओं की बात करें तो 205 नाबालिग इसका शिकार बन चुकी हैं। इसमें सबसे अहम है कि बेटियों के साथ होने वाली रेप की घटनाओं को ज्यादातर अपने ही परिचित अंजाम देते हैं। इसमें सगे-संबंधी, परिजन, दोस्त अथवा अड़ोस-पड़ोस में रहने वाले होते हैं।

5000 बेटियां हर साल शिकार

क्राइम अगेंस्ट वूमेन के आंकड़ों के मुताबिक, हर साल करीब 5000 बेटियों को शारीरिक-मानसिक हिंसा का शिकार बनाया जा रहा है। उनके साथ रेप, दहेज हत्या, भ्रूण हत्या, डायन बिसाही हत्या, दुष्कर्म समेत अन्य कई गंभीर अपराधों को अंजाम दिया जा रहा है। इस साल 5453 महिलाओं के साथ अपराध के मामले दर्ज किए गए हैं।

60 साल की वृद्धा भी अनसेफ

एनसीआरबी के आंकड़े बता रहे हैं कि स्टेट में 45 से 60 वर्षीय महिलाओं की आबरु भी सेफ नहीं है। 60 की वृद्ध महिला भी हैवानों का निशाना बन रही हैं। इस वर्ष इस तरह के करीब 36 मामले झारखंड पुलिस के समक्ष आए हैं।

किस उम्र की बेटियों के साथ कितने रेप (बॉक्स)

6 से 12 वर्ष- 16

12 से 16 वर्ष - 51

16 से 18 वर्ष - 138

18 से 30 वर्ष - 657

30 से 45 वर्ष - 212

45 से 60 वर्ष- 36

कौन निकल रहे दुष्कर्म के आरोपी

-परिचित

पुलिस की तफ्तीश में इस वर्ष पकड़े गए करीब 1000 आरोपी पीडि़ता के परिचीत या जान पहचान वाले निकले हैं।

- पड़ोसी

बेटियों को शिकार बनाकर पहले जाल में फांसना फिर दुष्कर्म कर उनकी हत्या कर देने वाले लोगों में शामिल 585 पड़ोसियों का नाम सामने आया है।

सगे- संबंधी व परिजन

इस साल रेप के जितने मामले सामने आए हैं उनमें 74 मामलों में सगे संबंधियों ने हदें तोड़ी हैं तो 6 मामलों में पीडि़ता के खुद के परिजनों का नाम सामने आया है।

बेटियों के साथ इस तरह की दरिंदगी से पेश आना अत्यंत दुखद है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट का धन्यवाद करती हूं कि वह एक अभियान चलाकर लोगों को जागरुक करने का प्रयास कर रहा है। बेटियों की सुरक्षा के लिए यह जरुरी है कि परिजनों के साथ फ्रेंडली रिलेशन हो। बच्चों का और उनके साथ अभिभावक हर तरह का सहयोग करें।

महुआ माजी

पूर्व अध्यक्ष

राज्य महिला आयोग, झारखंड

Posted By: Inextlive