रांची: रांची समेत राज्य भर में नियम और कानूनों को ताक पर रख लोग ई पास हासिल कर उसका दुरुपयोग कर रहे हैं। जिला प्रशासन द्वारा जारी किए जा रहे पास में साफ लिखा है कि सफर पर निकलने से पहले अनुमंडल पदाधिकारी के कार्यालय या किसी भी चिकित्सीय संस्थान में कोरोना की जांच कराना जरूरी है। वहीं, सफर पूरा कर लौट जाने के बाद भी अपनी जांच कराकर रिपोर्ट लेनी है। लेकिन लोग इस नियम को मानने को तैयार नहीं हैं। पास ईश्यू होने के साथ ही लोग सफर पर निकल जा रहे हैं और लौटने के बाद भी इसकी जानकारी जिला प्रशासन को नहीं दे रहे। एक मामूली सी गलती के कारण न जाने कितने कोरोना के कितने कैरियर शहर में घूम रहे हैं।

चेकपोस्ट पर कोरोना रिपोर्ट की जांच नहीं

राजधानी समेत झारखंड के अन्य किसी भी जिले की सीमा पर स्थित चेकपोस्ट में कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट नहीं मांगी जाती। सभी तरह के चार पहिया वाहनों को केवल जिला प्रशासन द्वारा निर्गत पास दिखाकर एंट्री मिल जा रही है, जबकि ई पास में स्पष्ट लिखा है कि जर्नी शुरू करने से पहले कोरोना टेस्ट करवा लेना है। ऐसे में चेकपोस्ट पर कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट भी देखना जरूरी कर देना चाहिए। रिपोर्ट नहीं मांगे जाने के कारण लोग बेखौफ होकर बिना जांच के सफ कर रहे हैं।

कोरोना रिपोर्ट से पहले पास की वैधता खत्म

आमतौर पर जो ई पास जारी किए जा रहे हैं उनमें पास की वैधता अवधि 3 से 4 दिनों की होती है। इस अवधि के दौरान आवेदनकर्ता को सफर पूरा कर लौट जाना है। यहां सबसे बड़ी समस्या यह हो रही है कि जो लोग पास जारी करवा रहे हैं उन्हें पास जारी करवाने के बाद इन्हीं 3 से 4 दिनों के अंदर जांच कर कोरोना की रिपोर्ट प्राप्त करनी है। लेकिन कोरोना रिपोर्ट आने में 6 से 7 दिन लग जा रहे हैं। ऐसे में अगर कोई जांच कराना भी चाहे तो उसकी रिपोर्ट आने से पहले ही उसके पास की वैधता खत्म हो जा रही है।

आने वाले लोगों का डाटाबेस नहीं

बता दें कि राजधानी में जो भी लोग दूसरे राज्यों व जिलों से आ रहे हैं उनकी स्क्रीनिंग और टेस्ट की जा रही है। जरूरत पड़ने पर स्वाब कलेक्शन भी किया जा रहा है। ट्रेन से जितने भी लोग अभी तक राजधानी में आए हैं सबकी जांच की गई है। लेकिन ईपास के इस्तेमाल से अपने निजी वाहनों द्वारा राजधानी आने वाले लोगों की जांच नहीं हो पाती। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि अधिकारियों को बाहर से आने वाले लोगों की जानकारी ही नहीं होती। उनका कोई डाटाबेस नहीं होता है। ऐसे में काफी संभावना है कि इस शहर में कई कोरोना संक्रमित मरीज घूम रहे हों, जिनकी जानकारी ना तो पुलिस के पास है ना ही अधिकारियों के पास।

हॉटस्पॉट व कंटेनमेंट जोन के भी पास

राजधानी का हिंदपीढ़ी हॉटस्पॉट है, जबकि नेताजी नगर कांटा टोली समेत कुछ छोटे कंटेनमेंट जोन हैं। बेड़ो को कंटेनमेंट जोन बनाया गया है। ऐसे में यह शिकायत आ रही है कि हॉटस्पॉट से या कंटेनमेंट जोन से बाहर जाने के लिए लोग पास बनवा रहे हैं। साथ ही बाहर से रांची आने वाले लोग भी हिंदपीढ़ी, कांटाटोली जैसे कोरोना प्रभावित जगह का पास लेकर रांची आ-जा रहे हैं। ऐसे में सबसे बड़ी समस्या यह हो गई है कि इन लोगों को कहां रखा जाए और क्वारंटीन कैसे किया जाए। इन्हें वापस कैसे भेजा जाए यह भी एक बड़ा सवाल खड़ा हो जा रहा है। पुलिस ऐसे मामलों को सुलझा रही।

4 कोरोना पॉजिटिव मुंबई से पहुंचे रांची

शुक्रवार को मुंबई से 4 लोग निजी वाहन पर सवार होकर ई पास की सहायता से रांची पहुंचे। इन चारों लोगों ने मुम्बई में टेस्ट सैम्पल दिया था और इन्हें रास्ते में पता चला कि चारों लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इनमें से एक व्यक्ति जो गिरिडीह के गांवा का रहने वाला है, वो कांटाटोली चौक पर उतर गया और उसने खुद पुलिस को फोन करके बताया कि वह कोरोना पॉजिटिव है। लेकिन उसके अन्य तीनों दोस्तों ने अपना मोबाइल बंद कर दिया और दरभंगा की तरफ निकल गए। वो लोग कहां गए, इसकी अब तक कोई जानकारी नहीं मिल पाई है। ये तीनों कोरोना बम किसी भी जिले में कोरोना को फैलाने के लिए पूर्ण रूप से सक्षम हैं।

कंटेनमेंट जोन नेताजी नगर का जारी किया पास

चाईबासा से एक व्यक्ति अपने निजी वाहन से कांटाटोली चौक पहुंचा। जब पुलिस ने उसे रुकवाया तो उसने अपना पास दिखाया। उसके पास पर कांटाटोली के नेताजी नगर जाने का एड्रेस था। नेताजी नगर कंटेनमेंट जोन है, इसलिए पुलिस ने उसे जाने से रोक दिया। इस मामले में जब रांची पुलिस के अधिकारियों ने चाईबासा एसडीओ से बात की तो पता चला कि वहां अधिकारियों को जानकारी ही नहीं कि नेताजी नगर हॉटस्पॉट या कंटेनमेंट जोन में शामिल है। इसी तरह हिंदपीढ़ी के एक व्यक्ति को भी रेड जोन से निकलकर बाहर जाने के लिए पास जारी कर दिया गया था।

Posted By: Inextlive