रांची: रिम्स में इलाज के लिए फिलहाल एक हजार से अधिक मरीज एडमिट हैं, जिनका अलग-अलग विभागों में इलाज चल रहा है। इनमें अधिकतर मरीज ऐसे हैं जो चलने-फिरने में भी लाचार हैं। उन्हें बेड से उठने के लिए भी एक सहारे की जरूरत है। ऐसे में अगर रिम्स में आग लग जाए तो न जाने कितने मरीज बेवजह ही अपनी जान से हाथ धो बैठेंगे। जी हां, हम बात कर रहे हैं रिम्स के फायर फाइटिंग सिस्टम की, जहां हॉस्पिटल में लगे अधिकतर फायर एक्सटिंग्विशर एक्सपायर हो चुके हैं। लेकिन प्रबंधन ने इसे बदलवाने को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई। इससे साफ है कि किसी हादसे के बाद ही प्रबंधन की नींद खुलेगी। हालांकि सुपरिंटेंडेंट ने मामले में कहा कि ऐसी कोई जानकारी तो नहीं है, तत्काल उसे बदलवाया जाएगा। बताते चलें कि अहमदाबाद और आंध्रा के कोविड सेंटर में आग लगने के बाद भी रिम्स प्रबंधन सबक नहीं ले रहा है।

एक्सपायर सिलेंडर के सहारे मरीज

हॉस्पिटल की मेन बिल्डंग को छोड़ बाकी सभी बिल्डिंग्स में फायर फाइटिंग सिस्टम लगे हुए हैं। लेकिन न तो उसका कभी रिहर्सल होता है और न ही मेंटेनेंस। ऐसे में जरूरत पड़ने पर इसका इस्तेमाल भी नहीं किया जा सकेगा। इसके अलावा हॉस्पिटल की मेन बिल्डिंग में आजतक सेंट्रल फायर फाइटिंग सिस्टम का इंस्टालेशन ही नहीं हो पाया। जबकि पिछले साल और उससे पहले भी कई बार स्टेट फायर डिपार्टमेंट के साथ बैठक हुई। वहीं उन्होंने कुछ सिविल वर्क कराने की भी बात कही थी। इसके बाद फाइटिंग सिस्टम लगाने को लेकर टेंडर भी निकाला गया, लेकिन वह भी ठंडे बस्ते में चला गया। अब मरीज एक्सपायर हो चुके सिलेंडर के सहारे हैं।

5 महीने पहले ही एक्सपायर

1500 बेड के हॉस्पिटल रिम्स कीमेन बिल्डिंग में 1000 बेड हैं। वहीं बाकी 500 बेड सुपरस्पेशियलिटी ब्लॉक में हैं। जहां हर जगह वेस्टर्न इंटरप्राइजेज ने फायर एक्सटिंग्विशर लगाए हैं, जिसके मेंटेनेंस और रीफिलिंग का काम भी उन्हें ही दिया गया है। लेकिन एजेंसी को इससे कोई लेना-देना नहीं है। वहीं एजेंसी के लोग झांकने तक नहीं आते कि कौन सा सिलेंडर एक्सपायर है और कौन सा ठीक। इस वजह से कई जगहों पर आज भी 5 महीने से एक्सपायर सिलेंडर ही लगे हुए हैं। ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि क्या किसी एजेंसी को फायदा पहुंचाने के लिए फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं लगाया जा रहा है, ताकि एजेंसी को ही काम मिलता रहे।

इन हादसों से लें सबक

अहमदाबाद के हॉस्पिटल में आग

गुजरात के अहमदाबाद में भी तीन दिन पहले एक प्राइवेट हॉस्पिटल में आग लग गई थी, जिसमें 8 लोगों की मौत हो गई। आईसीयू में इलाज करा रहे कोरोना मरीजों को आग लगने के बाद संभलने का मौका भी नहीं मिला। बाद में मरीजों को दूसरे हॉस्पिटल में शिफ्ट किया गया। हालांकि वहां पर फायर फाइटिंग सिस्टम लगा था। फिर भी आग तेजी से फैल गई।

आंध्रा के कोविड सेंटर में आग

आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा स्थित होटल में बनाए गए कोविड सेंटर में आग लग गई, जिसमें 9 लोगों की जान चली गई। हालांकि, फायर फाइटर की टीम ने पहुंचकर आग पर काबू पाई। काफी मशक्कत के बाद कोविड सेंटर में फंसे हुए लोगों को बाहर निकाल लिया गया। इस होटल का इस्तेमाल कोविड सेंटर के रूप में किया जा रहा था, जिसमें 30 मरीजों के अलावा 10 स्टाफ्स भी थे।

Posted By: Inextlive