RANCHI:राजधानी रांची में रेमडेसीविर की तरह ब्लैक फंगस में काम आने वाला इंजेक्शन एंफोटेरिसिन-बी भी बाजार से गायब हो गया है। इसके कारण मरीज और उनके परिजनों को परेशानी होने लगी है। शहर में इस बीमारी में कारागार दवा खोजने से भी नहीं मिल रही है। कई दवा दुकानदारों ने बताया कि रांची शहर में इस दवा की मांग बहुत कम है, इसलिए स्टॉकिस्ट्स मंगा कर नहीं रखते हैं। अब इस समय ब्लैक फंगस में इस दवा का उपयोग जरूरी बताया जा रहा है, तो बाजार से यह नदारद है।

दूसरे जिलों में भी उपलब्ध नहीं

रांची सहित राज्य भर में कोरोना वायरस के संक्रमण के साथ-साथ इन दिनों ब्लैक फंगस (म्यूकरमायकोसिस) की बीमारी तेजी से पांव पसार रही है। चिंता की बात यह है कि इस बीमारी के इलाज में उपयोग होनेवाली जरूरी दवाओं की किल्लत हो गयी है। इसके कारण मरीज और उसके परिजनों की चिंता काफी बढ़ गयी है। रांची के बाजारों के अलावा अन्य जिलों में भी ये दवा नहीं मिल रही है। होलसेल और स्टॉकिस्ट के पास दवाएं ही नहीं हैं, जिस कारण रिम्स और प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों की परेशानी बढ़ गयी है।

दवा कंपनी को पत्र लिखा गया

ब्लैक फंगस की दवाओं के विकल्प के रूप में इस्तेमाल की जा रही दवाएं भी बाजार से गायब हो रही हैं। वहीं, राज्य में ब्लैक फंगस की दवाओं की किल्लत को देखते हुए राज्य औषधि निदेशालय ने दवा निर्माता कंपनियों को पत्र लिखा है। इस पत्र में झारखंड में दवा का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध कराने को कहा गया है। कंपनियों से आग्रह भी किया गया है कि एक सप्ताह के अंदर दवाएं उपलब्ध करा दी जाये, ताकि मरीजों की जान बचायी जा सके। राज्य औषधि निदेशालय के संयुक्त सचिव सुरेंद्र प्रसाद ने कहा कि ब्लैक फंगस बीमारी अचानक तेजी से बढ़ी है। दवा कंपनी अधिक दवा नहीं बनाती थी। इसलिए दवा का संकट हो गया है। दवा निर्माता कंपनियों को पत्र लिखा गया है कि वह तत्काल दवा का स्टॉक उपलब्ध करायें। उम्मीद है कि एक सप्ताह में दवा मुहैया हो जायेगी।

दवा के अभाव में एक मौत

कोरोना से ग्रसित होने के बाद रिम्स और कई निजी अस्पतालों में ब्लैक फंगस की बीमारी के कई मरीज भर्ती हैं। पिछले दिनों भी एंफोटेरिसिन-बी इंजेक्शन के नहीं मिलने से रिम्स में एक मरीज की मौत भी हो गई थी। राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में यह दवा उपलब्ध नहीं है। अचानक ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए दवा की मांग बाजार में बढ़ गई है।

दुकानों में भी नहीं है एंफोटेरिसिन-बी

राजधानी के बड़े दवा व्यापारी जय हिंद फार्मा के संचालक बताते हैं कि यह दवा की मांग पहले से ही काफी कम थी। लेकिन ब्लैक फंगस बीमारी में बढ़ोतरी होने के कारण एंफोटेरिसिन-बी खरीदने वाले ग्राहकों की संख्या काफी बढ़ गई है। वैसे लाइकोजोमल नाम की दवा मार्केट में न के बराबर है। लेकिन ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए यह दवा रामबाण मानी जा रही है। इसलिए दवा कंपनियों को भी पत्र लिखे गए हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा इस दवा का निर्माण हो सके और मरीजों तक पहुंच सके।

सौ वायल का दिया ऑर्डर

रांची की सबसे बड़ी दवा दुकान आजाद फार्मा के संचालक मो जमाल ने बताया कि उनके यहां पहले स्टॉक में 4-5 वायल एंफोटेरिसिन-बी रखी जाती थी। कोई खरीदार नहीं आते थे। कोविड के बाद डिमांड तो बढ़ा, लेकिन कंपनियों से सप्लाई नहीं है। उन्होंने बताया कि सिप्ला, एबॉट और भारत सीरम जैसी बड़ी कंपनियां इस दवा की निर्माता हैं। कंपनियों से आग्रह किया गया है कि कम से कम 100 वायल एंफोटेरिसिन-बी उपलब्ध कराई जाए।

ब्लैक फंगस की दवा का डिमांड रांची में कम होता था, इसलिए इस दवा की सप्लाई भी कम है। अब इस समय इस दवा को ब्लैक फंगस के इलाज में जरूरी बताया गया है, लेकिन यह उपलब्ध नहीं है। हम लोग इस दवा को मंगाने की कोशिश कर रहे हैं।

-अश्रि्वनी राजगढि़या, राजगढि़या स्पेशियालिटी केयर

एक वायल की कीमत 5400 से लेकर 6800 रुपए तक है। एक मरीज को 20 वायल से 25 वायल तक जरूरत होती है। कंपनियों से दवा आते ही इसे लोगों को उपलब्ध कराया जाएगा। अभी दुकान में एक भी वायल स्टॉक में नहीं है। दुकान से ग्राहक रोज वापस लौट रहे हैं।

-मो जमाल, आजाद फार्मेसी, सैनिक मार्केट

Posted By: Inextlive