रांची : राजस्व बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर वैट की दर बढ़ाने समेत कई कठोर कदम उठाए हैं। इससे एक ओर जहां खजाने में आमद बढे़गी वहीं महंगाई बढ़ने का भी खतरा बना रहेगा। सड़क से लेकर हवाई मार्ग तक से यात्रा महंगी हो सकती है। हालांकि वैट बढ़ने के बावजूद पेट्रोल डीजल की कीमतें पड़ोसी राज्यों से झारखंड में कम ही है। सरकार ने राजस्व वसूली के लिए खनिजों पर सेस लगाने और वन क्षेत्र में खनिजों के उत्खनन पर टैक्स लगाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी। बुधवार को कैबिनेट की बैठक में कुल 25 प्रस्तावों को स्वीकृति प्रदान की गई जिसमें लगभग एक दर्जन पुराने मामले थे। सरकार दोनों उत्पादों पर 22 फीसद वैट ही लेगी लेकिन कीमतों में उतार-चढ़ाव की स्थिति में डीजल पर न्यूनतम 8.37 रुपये से बढ़ाकर 12.50 रुपये वैट निर्धारित कर दिया गया है जबकि पेट्रोल पर 15 रुपये से बढ़कर 17 रुपये कर दिया गया है। इस निर्णय से राज्य में बुधवार को पेट्रोल की दर 71.24 रुपये से बढ़कर 73.24 रुपये हो गई है जबकि डीजल की कीमत 66.07 से बढ़कर 66.83 रुपये हो गई है।

प्रोफेशनल टैक्स का दायरा बढ़ा

सरकार ने इसके साथ ही प्रोफेशनल टैक्स को लेकर दायरा बढ़ा दिया है। इसमें वो लोग भी शामिल हैं जो पूर्व में टैक्स नहीं दे रहे थे या किसी कारण से वंचित थे। इसके अलावा प्रोफेशनल टैक्स की दरों में भी बढ़ोतरी की गई है। इसके दायरे में सरकारी कर्मचारी से लेकर डॉक्टर, पत्रकार तक आते हैं। जीएसटी के तहत निबंधित सभी संस्थान अथवा व्यक्तियों से इस कर की वसूली होती है। इसके माध्यम से सरकार के राजस्व में 30 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय होने का अनुमान है।

प्रोफेशनल टैक्स की नई दर

पांच लाख रुपये तक : शून्य

5-10 लाख रुपये तक : 1000 रुपये प्रति वर्ष

10-25 लाख रुपये तक : 1500 रुपये प्रति वर्ष

25-40 लाख रुपये तक : 2000 रुपये प्रति वर्ष

40 लाख रुपये से अधिक : 2500 रुपये प्रति वर्ष

खनिजों से बढ़ेगी सरकार की आमदनी :

राज्य में खनिजों पर सरकार ने सेस की दर बढ़ाकर आमदनी का रास्ता निकाल लिया है। झारखंड मिनरल बिय¨रग लैंड सेस ऑर्डिनेंस के माध्यम से खनिजों पर सेस लगाया गया है। इसके तहत कोल क्षेत्र में प्रति टन 10 रुपये, लौह अयस्क पर प्रति टन 5 रुपये, बॉक्साइट पर प्रति टन 20 रुपये, लाइम स्टोन पर प्रति टन 10 रुपये और मैंगनीज पर प्रति टन 5 रुपये का सेस निर्धारित किया गया है। डिस्पैच के आधार पर कंपनियां यह राशि सरकारी खजाने में जमा कराएंगी। इसके अलावा भारतीय वन अधिनियम 1927 के माध्यम से प्राप्त शक्तियों का इस्तेमाल कर सरकार ने वनोपज नियमावली 2020 को स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसके तहत वन क्षेत्रों में खनिजों के उत्खनन पर सरकार ने कर निर्धारित कर दिए हैं। कोयला, लाइम स्टोन, डेनामाइट आदि खनिजों पर 57 रुपये प्रति टन तो ग्रेनाइट, मार्बल, गिट्टी, बालू, मोरम मिट्टी पर 35 रुपये प्रति टन वसूलन का निर्णय लिया है। खनिजों पर मध्य प्रदेश में 57 रुपये प्रति टन की दर निर्धारित है तो उत्तराखंड में 50 रुपये प्रति टन।

Posted By: Inextlive