RANCHI : राजधानी के थानों से लाठीधारी 'लाल टोपी' गायब हो गई है। इसका नतीजा है कि अब थाने में सरकारी संपत्ति की रक्षा इश्तेहार, नोटिस तामिला और लाठी गश्ती का काम पूरी तरह बंद है। इसकी वजह साधारण बल में पोस्टेड कई पुलिसकर्मी का प्रमोशन होना और उनका पदस्थापन दूसरे जिलों में किया जाना है। इसके अलावा कई पुलिसकर्मी रिटायर हो चुके हैं।

कम हो गए हैं साधारण बल

ओआर का मतलब होता है, साधारण बल। यह बल लाठी से लैश रहता है और इलाके में विधि व्यवस्था बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अभी थानों में जितना साधारण बल की आवश्यकता होनी चाहिए, उतनी नही है। समय समय पर काम के अधिकता को लेकर साधारण बल की मांग बढ़ जाती है, जबकि ट्रेंड सिपाही को डिस्ट्रिक्ट आ‌र्म्ड फोर्स में रखा जाता है।

थाने के पहरेदारी पर आफत

साधारण बल के कम पड़ने से थाने में अब कोई पहरेदार है ही नहीं। जबकि नियमत: थाना पहरा में लगे रहनेवाले आरक्षियों का प्रतिदिन ड्यूटी स्टेशन डायरी में अंकित होता है। लेकिन स्टेशन डायरी भी भाग्य भरोसे चल रहा है।

हथियार नहीं ऑफिस पकड़ रहे सिपाही

डिस्ट्रिक्ट आर्मड पुलिस का सिपाही ऑफिस पकड़ लिया है। वे लेाग हथियार नहीं पकड़ना चाहते हैं। इसलिए वे पैरवी के बल कोई कंप्यूटर ऑपरेटर, कोई रीडर, कोई मुंशी बन कर विभिन्न थानों में प्रतिनियुक्त हो गए हैं। इतना ही नहीं, अब टीओपी के सिपाही से ड्यूटी कराया जाता है।

लाठीधारी सिपाही की क्या है ड्यूटी

साधारण बल काम है थाना के वर्क में सहायता करना है इसके अलावा कैदी ले जाना, वारंट तामिला और डाक वगैरह का काम करता है। पूर्व में इन आरक्षियों को रात्रि गश्ती का एक सप्ताह का कमान दिया जाता था। लेकिन, नक्सली गतिविधियों के कारण यह बंद हो गया है।

कितना होना चाहिए बल

जानकारी के मुताबिक, एक थाने में एक हवलदार और चार सिपाही होना चाहिए। इसमें महिला पुलिस की भी पोस्टिंग है। लेकिन किसी भी थाने में बल की संख्या नगण्य है।

किस थाने में कितना बल

कोतवाली- शून्य

डेली मार्केट- दो

लोअर बाजार- शून्य

चुटिया- शून्य

जगनाथपुर- शून्य

अरगोड़ा - शून्य

सुखदेवनगर- एक

पंडरा- शून्य

बरियातू- शून्य

लालपुर- शून्य

डोरंडा- शून्य

धुर्वा- शून्य

तुपुदाना- शून्य

गोंदा- शून्य

Posted By: Inextlive