RANCHI : ट्राइबल एंड रिजनल लैंग्वेजेज के प्रति भले ही गवर्नमेंट और यूनिवर्सिटी का रूख बेरूखी वाला हो, पर इन लैंग्वेजेज का क्रेज स्टूडेंट्स के बीच आज भी बरकरार है। यही वजह है कि रांची यूनिवर्सिटी में टीआरएल डिपार्टमेंट के अलावे कई और कॉलेजेज में भी ट्राइबल एंड रिजनल लैंग्वेजेज की पढ़ाई हो रही है। कुछ कॉलेजेज में एक-दो आदिवासी भाषाओं की पढ़ाई होती है तो कही नौ रीजनल लैंग्वेज कोर्सेज चल रहे हैं।

क्क् कॉलेजेज में पढ़ाई

रांची यूनिवर्सिटी के क्भ् कॉन्स्टीट्यूएंट कॉलेजेज में से क्क् में रीजनल लैंग्वेजेज की पढ़ाई हो रही हैं। इन कॉलेजेज में छह अरबन और 9 रूरल एरियाज में स्थित हैं। इन कॉलेजेज में ग्रेजुएशन लेवल पर ये कोर्सेज चल रहे हैं। इसमें रांची वीमेंस कॉलेज और रांची कॉलेज में नौ ट्राइबल एंड रीजनल लैंग्वेज कोर्सेज की पढ़ाई होती है, जबकि एसएस मेमोरियल कॉलेज में कुड़ुख व नागपुरी, रामलखन सिंह यादव कॉलेज में नागपुरी व मुंडारी, जेएन कॉलेज धुर्वा में मुंडारी व नागपुरी, डोरंडा कॉलेज में कुड़ुख व नागपुरी, बिरसा कॉलेज खूंटी में मुंडारी, बेड़ो कॉलेज में नागपुरी और कुड़ुख, सिसई कॉलेज गुमला में कुड़ुख व मुंडारी, केओ कॉलेज गुमला में मुंडारी और नागपुरी और सिमडेगा कॉलेज में नागपुरी, कुड़ुख और मुंडारी की पढ़ाइर्1 होती है।

नागपुरी है डिमांड में

रीजनल लैंग्वेजेज में सबसे ज्यादा डिमांड नागपुरी लैंग्वेज की है। रांची यूनिवर्सिटी के नौ कॉलेजेज में यह लैंग्वेज कोर्स चल रहा है। सिर्फ बिरसा कॉलेज खूंटी और सिसई कॉलेज गुमला में नागपुरी की पढ़ाई की फैसिलिटी अवेलेबल नहीं है। इसके अलावे सात कॉलेजेज में कुड़ुख और छह कॉलेजेज में मुंडारी की पढ़ाई होती है। अगर हो, पंचपरगनिया, खोरठा, कुरमाली और खडि़या में ग्रेजुएशन करना हो तो रांची कॉलेज और रांची वीमेंस कॉलेज का रूख करना होगा, क्योंकि बाकी कॉलेजेज में इन रीजनल लैंग्वेजेज की पढ़ाई अबतक शुरू नहीं हो पाई है।

कॉलेजेज और रीजनल लैंग्वेजेज

कॉलेज लैग्वेंज कोर्सेज टीचर की संख्या

रांची कॉलेज नौ सभी लैंग्वेजज के लिए एक-एक

रांची वीमेंस कॉलेज नौ सभी लैंग्वेजेज के लिए एक-एक

एसएस मेमोरियल कॉलेज कुडुख,नागपुरी एक (कुड़ुख)

रामलखन सिंह यादव कॉलेज नागपुरी,मुंडारी दोनों लैंग्वेज के लिए एक-एक

जेएन कॉलेज मुंडारी,नागपुरी एक (मुंडारी)

डोरंडा कॉलेज कुडुख,नागपुरी दोनों लैंग्वेज के लिए एक-एक

बिरसा कॉलेज खूंटी मुंडारी एक

बेड़ो कॉलेज नागपुरी,कुडुख कुडुख में दो, नागपुरी में एक

सिसई कॉलेज गुमला कुडुख,मुंडारी कुडुख में दो, मुंडारी में एक

केओ कॉलेज गुमला मुंडारी,नागपुरी दोनों लैंग्वेज के लिए एक-एक

सिमडेगा कॉलेज नागपुरी,कुडुख,मुंडारी तीनों लैंग्वेज के लिए एक-एक

कोर्सेज के हिसाब से कम हैं टीचर्स

जिन कॉलेजेज में ट्राइबल एंड रीजनल लैंग्वेजेज की पढ़ाई हो रही हैं, वहां जरूरत के हिसाब से टीचर्स कम हैं। इन कॉलेजेज में ग्रेजुएशन लेवल पर ये कोर्सेज चलते हैं, जबकि ग्रेजुएशन में तीन पा‌र्ट्स होते हैं। ऐसे में एक टीचर आखिर कैसे तीनों पार्ट में क्लासेज लेगा, सहज ही समझा जा सकता है, फिर भी स्टूडेंट्स के हित को देखते हुए ये कोर्सेज चलाए जा रहे हैं। गौरतलब है कि एक-एक रीजनल लैंग्वेज के लिए कम से कम टीचर्स की जरूरत है। अगर ख्007 में जेपीएससी की ओर से ट्राइबल एंड रीजनल लैंग्वेजेज के टीचर्स की बहाली प्रक्रिया पूरी हो जाती तो न तो टीआरएल डिपार्टमेंट और न ही कॉलेजेज को इन रीजनल लैंग्वेज कोर्सेज के लिए टीचर्स की कमी होती।

Posted By: Inextlive