सीवरेज ड्रेनेज में बह गया जनता का पैसा. रांची की नालियां उफान पर सड़क पर गंदा पानी. जुडको ने फिर से पूरे शहर में सीवरेज ड्रेनेज की डीपीआर का निकाला टेंडर.


रांची(ब्यूरो)। राजधानी में सीवरेज ड्रेनेज के लिए 2006 में पहली बार डीपीआर बनाया गया था, 2022 शुरू हो चुका है। इन 16 सालों में रांची में सीवरेज ड्रेनेज का काम आधा भी नहीं हुआ है। नतीजा आम दिनों में भी नालियां बजबजा रही हैं। बरसात में आलम यह है कि नाले में बहकर लोगों की जान चली जा रही है। राजधानी जहां मुख्यमंत्री से लेकर राज्यपाल और सभी ब्यूरोक्रेट्स रहते हैं। 2006 से 2022 तक कई मुख्यमंत्री भी बदल गए, लेकिन शहर में सीवरेज ड्रेनेज का काम पूरा नहीं हो पाया। अब जुडको ने एकबार फिर से पूरे शहर में सीवरेज ड्रेनेज बनाने को लेकर डीपीआर तैयार करने का टेंडर निकाला है। 2015 में काम शुरू हुआ था
राजधानी बनने के बाद रांची में 2006 में सीवरेज-ड्रेनेज बनाने के लिए योजना तैयार की गई थी। मैनहर्ट कंपनी ने पूरी रांची में सीवरेज ड्रेनेज का डीपीआर तैयार किया। साथ ही प्रोजेक्ट में 1200 करोड़ रुपये खर्च करने की भी बात कही गई। 2015 से सीवरेज ड्रेनेज का काम शुरू हुआ। लेकिन आजतक सीवरेज ड्रेनेज के फस्र्ट फेज का आधा काम भी पूरा नहीं हो पाया है। वहीं दूर-दूर तक शहर में कहीं सीवरेज ड्रेनेज दिखाई ही नहीं दे रहा है, जिसका खामियाजा शहर के लोग भुगत रहे हैं।


2017 डेडलाइन थी फस्र्ट फेज कीराजधानी को चार जोन में बांटकर सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम का डीपीआर तैयार किया गया था। 2015 में जोन 1 का काम शुरू हुआ था, जिसके तहत वार्ड संख्या 1 से 5 और 30 से 33 के बजरा, पंडरा, पिस्कामोड़, बैंक कॉलोनी, रातू रोड, इन्द्रपुरी, अल्कापुरी, धोबी घाट, कांके रोड, मिसिर गोंदा, मोरहाबादी, बूटी बस्ती और बडग़ाईं के कुछ इलाकों में सीवर लाइन बिछाई गई हैं, लेकिन सीवर प्लांट का काम पूरा नहीं होने के कारण इसका कोई फायदा आम लोगों को नहीं मिला। जोन-1 के 9 वार्डों में दिसंबर 2017 तक काम पूरा करने की डेडलाइन थी, लेकिन 50 प्रतिशत काम भी पूरा नहीं हो सका।7 साल में 37 परसेंट काम

आज स्थिति यह है कि 84 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी फस्र्ट फेज का मात्र 37 परसेंट ही काम हुआ है, जिससे वाटर लॉगिंग के अलावा बजबजाती नालियां ही नजर आ रही हैं। सिर्फ 113 किमी काम हुआ। ऐसे में बचे हुए 63 परसेंट काम के लिए जुडको ने अक्टूबर में विज्ञापन निकाला था। लेकिन एजेंसियों ने इंटरेस्ट नहीं दिखाया। अब दोबारा से इस काम के लिए टेंडर निकाला गया है। बताते चलें कि जोन-1 में रांची नगर निगम के 9 वार्डों में काम होना था। इसके लिए 357 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनाई गई थी।4 फेज में होना है कामबता दें कि राजधानी में सीवरेज-ड्रेनेज का काम 4 फेज में किया जाना था। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के नगर विकास मंत्री रहते 2006 में सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम के डीपीआर का जिम्मा कंसल्टेंट कंपनी मैनहर्ट को दिया गया। मैनहर्ट कंपनी ने सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम को चार फेज में पूरा करने के लिए डीपीआर बनाया। इन चारों फेज के लिए मैनहर्ट द्वारा 1200 करोड़ तक की राशि खर्च करने की बात की गयी।पहली एजेंसी को हटाया
पहले फेज के काम के लिए ज्योति बिल्टडेक कंपनी का चयन किया गया था। कुल 357 करोड़ रुपये खर्च कर कंपनी को पूरे शहर में सीवरेज ड्रेनेज का काम करना था। लेकिन पहले फेज में 84 करोड़ खर्च कर कंपनी 37 परसेंट ही काम ही कर पाई। बाद में ज्योति बिल्डटेक के काम को देखते हुए दिसंबर 2018 को ही उसे टर्मिनेट कर दिया गया था। इसके बाद से काम रुक-रुक कर चल रहा है।

रांची में सीवरेज ड्रेनेज के जोन 1 का काम जो बचा हुआ है, वो जल्द ही शुरू होगा। इसके लिए एजेंसी चयन का काम भी किया जा रहा है। एजेंसी चयन होते ही तय समय पर काम पूरा कर लिया जाएगा।कुंवरसिंह पाहन, डीएमसी, आरएमसी

Posted By: Inextlive