रांची में गहराने लगा पानी संकट. सूख गए नदी-तालाब. पाताल में जा रहा ग्राउंड वाटर लेवल. 200 फीट बोरिंग पर्याप्त होती थी दो दशक पहले. 1000 फीट की बोरिंग भी फेल साबित हो रही इन दिनों. 800 फीट बोरिंग इन दिनों आम बात हो गई है.

रांची(ब्यूरो)। साल दर साल पानी की समस्या बढ़ती जा रही है। प्रत्येक साल गर्मी शुरू होते ही शुरू हो जाती है पानी की जद्दोजहद। कहीं लोग आधी रात से पानी के इंतजार में रहते हैं तो कहीं सुबह होते ही पानी की तलाश शुरू हो जाती है। फिर भी पानी की समस्या के निदान के प्रति कोई संजीदगी नजर नहीं आती है। न तो आम पब्लिक इसे लेकर अवेयर है और न ही जिम्मेदार विभाग या सरकार ही पानी की समस्या पर गंभीर नजर नहीं आती है। गर्मी के मौसम में पानी की मारामारी होती है, तब बड़े-बड़े दावे और वादे किए जाते हैं। घोषणा और निर्णय लिए जाते हैं। लेकिन गर्मी के खत्म होते ही इस समस्या की चर्चा तक बंद हो जाती है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट इस गंभीर समस्या को लेकर हमेशा से मुखर रहा है। एक बार फिर पानी बड़ी चीज नाम से इस कैंपेन को शुरू किया जा रहा है। इसमें पानी की समस्या, इसके कारण और इसके समाधान पर विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की जाएंगी।

ऐसे शुरू हुई पानी की समस्या
राजधानी रांची में बीते 20 वर्षों से पानी की समस्या बनी हुई है। हाल के दस वर्षों में इसने विकराल रूप ले लिया है। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह पानी का अत्यधिक दोहन, जंगलों की अंधाधुंध कटाई और पानी की बर्बादी है। बीते कुछ सालों में ग्राउंड वाटर लेवल तेजी से नीचे गिरा है। बीस साल पहले जहां दो सौ फीट पर पानी मिल जाता था, वहीं हजार फीट की बोरिंग भी कुछ स्थानों पर अब फेल साबित हो रही है। सात से आठ सौ फीट बोरिंग रांची में सामान्य बात हो गई है। जानकारों का मानना है कि भौगोलिक स्थिति के अलावा बेतरतीब निर्माण, बेहिसाब बोरिंग, कुंओं-तालाबों का सूखना और सप्लाई वाटर की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने से पानी की किल्लत बढ़ती जा रही है। बीते पांच साल में ग्राउंड वाटर लेवल दो सौ फीट नीचे चला गया है।

35 साल पहले डीप बोरिंग के साथ समस्या शुरू
एक रिपोर्ट के मुताबिक, झारखंड में पानी का संकट करीब 35 साल पहले डीप बोरिंग के साथ शुरू हुआ। इससे पहले अधिकतर आबादी सप्लाई वाटर पर निर्भर थी। लेकिन धीरे-धीरे सप्लाई वाटर अनियमित होता गया और लोग मकानों में डीप बोरिंग करवाने लगे। झारखंड बनने के बाद यह गति और तेज हुई, जिसके दुष्परिणामों को प्रशासन नजरअंदाज करता गया। नतीजा आज सबके सामने है। आज शहर के टेम्प्रेचर पर भी असर पड़ा है। मौसम विभाग के मुताबिक, 1969-2014 तक शहर का अधिकतम तापमान का औसत 35.8 डिग्री सेल्सियस रहा करता था। 2015-21 के दौरान ये बढ़कर 36.7 डिग्री पर पहुंच गया। जबकि बीते कुछ सालों से अधिकतम तापमान 42 डिग्री को भी पार कर जा रहा है। पेड़े-पौधों की अंधाधुंध कटाई के कारण ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हुई है।

80 हजार घरों में वाटर कनेक्शन
रांची नगर निगम क्षेत्र में 2.75 लाख आवासीय एवं व्यावसायिक भवन हैं। इनमें करीब 2.25 लाख भवन मालिक होल्डिंगधारी हैं। वही नगर निगम का दावा है कि सिटी के करीब 80,000 घरों में पानी की सप्लाई का कनेक्शन है। लेकिन यहां भी नियमित जलापूर्ति नहीं की जाती है। जिस कारण सप्लाई कनेक्शन होने के बावजूद लोगों ने घरों में बोरिंग भी करा रखा है। वहीं सिर्फ 18,000 घरों में ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा है। इधर नगर निगम ने भी विभिन्न स्थानों पर 30940 हैंडपंप लगवाए हैं, जबकि निगम की ओर से भी सिटी के 1400 स्थानों पर डीप बोरिंग भी करवाई गई है।

कभी तालाबों का शहर था रांची
राजधानी रांची को कभी तालाबों और नदियों का शहर कहा जाता था। यहां 600 से अधिक तालाब थे, जो आज महज 39 रह गए है। उसमें भी आधा से अधिक सूखने के कगार पर हैं। हरमू और स्वर्णरेखा नदी जिसे रांची की लाइफलाइन कहा जाता था। इसका भी स्वरूप नदी से बदल कर नाले का हो चुका है। रांची में कई इलाके तालाब, जलाशय आदि के ना होने से ड्राई जोन घोषित हो चुके हैं, पठारी क्षेत्र होने से बरसात का जल भी रांची में नहीं ठहर पाता है। रांची की लगभग आधी आबादी को जलापूर्ति करने वाले गोंदा व हटिया डैम भी अतिक्रमण की भेंट चढ़ता जा रहा है। रांची में नई-नई इमारतें बनाने के लिए कई तालाबों, जलाशयों को भर दिया गया।

ये हैं रांची के ड्राई जोन
कांके रोड
मोरहाबादी
लालपुर
बरियातू
हरमू रोड
रातू रोड
समेत कई घनी आबादी वाले इलाके पूरी तरह ड्राई जोन में तब्दील होने लगे हैं।

इन इलाकों में होती है वाटर सप्लाई
बूटी, बरियातू, विकास, दीपाटोली, कोकर, मोरहाबादी, करमटोली, मेन रोड, हिंदपीढ़ी, चुटिया, डोरंडा, हरमू, विद्यानगर और रातू रोड के पूरे क्षेत्र में वाटर सप्लाई की जाती है। इसके अलावा गर्मी के मौसम में नगर निगम टैंकर से भी पानी पहुंचाता है।

क्या कहती है पब्लिक
पानी की समस्या काफी ज्यादा है। अभी ठीक से गर्मी शुरु भी नहीं हुई है, लेकिन पानी की किल्लत शुरू हो चुकी है। सुबह उठते ही पानी की खोज में भटकना पड़ता है।
- अंजली देवी

हर साल पानी की समस्या होती है। घर की बोरिंग भी जवाब देने लगी हैै। पाइपलाइन से भी पानी आने का कोई टाइम टेबल नहीं है। पानी की समस्या का परमानेंट समाधान होना चाहिए।
- संतोष कुमार

पानी की समस्या गंभीर समस्या है। समस्या के समाधान पर विचार नहीं किया जाता है। हर साल लोग इस समस्या से जूझते हैं फिर भी इसका निदान नहीं किया जा रहा है।
- नरेश

पानी का संकट शुरू हो चुका है। सुबह-सुबह पानी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है। चापानल और कुंए में पानी लेने वालों की भीड़ लगी रहती है। काफी समय बर्बाद होता है।
- सुमित्रा देवी

पानी की समस्या से निपटने के लिए नगर निगम पूरी तरह तैयार है। जहां सप्लाई कनेक्शन नहीं है उन इलाकों में टैंंकर से पानी पहुंचाया जाएगा। इसके लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है।
-सौरभ प्रसाद, एएमसी, आरएमसी

Posted By: Inextlive