-- पॉलीटेक्निक में बनाया जा रहा है मेट्रो यार्ड, जमीन को लेकर मची खींचतान के चलते एलएमआरसी का डिसिजन

-- डिजायन बदलने से इंस्टीट्यूट की मेन बिल्डिंग सहित कई डिपार्टमेंट और लैब की बिल्डिंग नहीं तोड़नी पड़ेंगी

KANPUR: विवादों से बचाकर कानपुर मेट्रो को जमीन पर लाने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। इसी कड़ी में पॉलीटेक्निक में बनाए जा रहे मेट्रो यार्ड की डिजायन भी एलएमआरसी ने चेंज कर दी गई है। जिससे पॉलीटेक्निक के एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक सहित कई ब्रांच व लैब की बिल्डिंग आदि बचाए जा सके। बावजूद इसके ग‌र्ल्स हॉस्टल व दो अन्य डिपार्टमेंट की बिल्डिंग यार्ड की जद में आ रही हैं। इन्हें तोड़ना ही पड़ेगा।

4 हजार से अधिक स्टूडेंट

जीटी रोड गुरुदेव चौराहा के पास लगभग 50 एकड़ जमीन पर पॉलीटेक्निक है। इसमें मैकेनिकल, केमिकल, इलेक्ट्रानिक्स, इलेक्ट्रिकल, कम्यूटर, फार्मेसी, टेक्सटाइल सहित 18 ब्रांच हैं। इनमें लगभग 4 हजार स्टूडेंट पढ़ते हैं। इसके अलावा पॉलीटेक्निक में ही स्टाफ कॉलोनी भी है। जिसमें टीचर व इम्प्लाई भी रहते हैं।

40 एकड़ में मेट्रो यार्ड

दरअसल कानपुर मेट्रो के पहले कॉरिडोर आईआईटी से फूलबाग होते हुए नौबस्ता के लिए गुरुदेव पैलेस चौराहा पॉलीटेक्निक में मेट्रो डिपो बनाया जा रहा है। 36.75 करोड़ से बाउंड्रीवॉल के अलावा जमीन की लेवलिंग के काम होने हैं। इसके लिए पॉलीटेक्निक की 50 में से 40 एकड़ जमीन लिए जाने की तैयारी की गई है।

मची है खींचतान

कैम्पस की टोटल जमीन में से 40 एकड़ पर स्टाफ कॉलोनी के अलावा पॉलीटेक्निक की मेन बिल्डिंग भी शामिल है। जिसे एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक भी कहते हैं। दो मंजिल के इस ब्लॉक के अलावा इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल्स, कम्प्यूटर, सिविल इंजीनियर सहित कई डिपार्टमेंट हैं। इस बिल्डिंग के पीछे टेक्सटाइल डिपार्टमेंट व प्रॉसेसर हाल आदि हैं। पहले तैयार की गई मेट्रो यार्ड की डिजायन में मेन बिल्डिंग के अलावा ये सभी डिपार्टमेंट आ रहे थे। इसी वजह से पॉलीटेक्निक की जमीन को लेकर खींचतान मची हुई थी। पॉलीटेक्निक प्रबन्धन तोड़ने से पहले नई बिल्डिंग बनाकर देने को कह रहा है। इसी वजह मेट्रो यार्ड के लिए पॉलीटेक्निक की जमीन नहीं दी गई है। मामला पॉलीटेक्निक से शासन तक जरूर पहुंच चुका है।

काम है प्रभावित

अभी तक मेट्रो यार्ड के लिए लखनऊ मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन को पुराने-जर्जर भटनागर हॉस्टल की बिल्डिंग व खाली पड़ा मैदान ही मिला है। भटनागर हॉस्टल में मजदूर रहते हैं और कांट्रैक्टर के अलावा एलएमआरसी का टेम्परेरी ऑफिस बना हुआ है। यही वजह है कि मेट्रो यार्ड के नाम पर जीटी रोड, विकास नगर रोड व रोडवेज की साइड बाउंड्रीवॉल ही बन सकी। इसके अलावा खाली पड़ी जमीन के जमीन समतलीकरण का कार्य हो रहा है।

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मेट्रो ऑफिस की तलाश

फ्राईडे को लखनऊ मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के डायरेक्टर संजय मिश्रा व चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर अरविन्द सिंह सिटी आए। उन्होंने मेट्रो ऑफिस के गुरुदेव पैलेस के पास वस्त्र भवन, परेड चौराहा स्थित केडीए क्रिस्टल, कैनाल पटरी मल्टीलेवल पार्किग आदि जगह देखी।

मेट्रो यार्ड

पॉलीटेक्निक का टोटल एरिया-- 50 एकड़

मेट्रो यार्ड एरिया-- 40 एकड़

प्रोजेक्ट कॉस्ट-- 36.75 करोड़

कम्प्लीशन टारगेट--दिसंबर, 2018

प्रोग्रेस रिपोर्ट-- बाउंड्रीवॉल व जमीन समतलीकरण अधूरा

Posted By: Inextlive