7 अक्टूद्बबर 1952 को जन्में तीन बार से रूस के राष्ट्रिपति व्लादिमीर पुतिन का आज 63वां जन्मदिन है। उन्होंने सन् 1975 में लेनिनग्राद राजकीय विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और उसके बाद उन्होंने केजीबी में काम करना शुरू किया। जहां से बतौर लेफ्टिनेंट कर्नल वो रिटायर हुए और 1991 में अपने जन्मस्थान तब के लेलिनग्राद और अब सेंट पीटर्सबर्ग से अपना राजनीतिक करियर शुरू किया। आइए जानें उनके राजनीतिक सफर को।

सेंट पीटर्सबर्ग में 1990-1999 तक प्रशासकीय कार्य से जुड़ कर शुरू किया सफर
सन् 1990 में पुतिन को लेनिनग्राद के मेयर अनातोली सब्चाक के सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया। उन्होंने अपना राजनीतिक कैरियर यहीं से शुरू किया। 28 जून 1991 को वे सेंट पीटर्सबर्ग महापौर कार्यालय की विदेश संबंध समिति के प्रमुख बने, जहाँ उन्हें अंतरराष्ट्रीय संबंधों और विदेशी निवेश को बढ़ावा देने की ज़िम्मेदारी मिली। 1994 से 1996 तक, पुतिन ने सेंट पीटर्सबर्ग में कई अन्य राजनीतिक और सरकारी पदों पर कार्य किये।
1996–1999 मास्को में निवास के दौरान शुरू हुई मुख्यधारा में यात्रा
1996 में मेयर अनातोली सब्चाक के चुनाव हारने के बाद उन्हें मॉस्को बुला लिया गया। जहां मार्च 1997 में राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन ने पुतिन को राष्ट्रपति प्रशासन का उप प्रमुख नियुक्त किया। वह राष्ट्रपति संपत्ति प्रबंधन विभाग के मुख्य नियंत्रण निदेशालय के प्रमुख भी रहे। बाद में पुतिन को संघीय सुरक्षा सेवा, FSB के प्रमुख के पद पर नियुक्त किया गया। वह रूसी संघ के सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य और फिर परिषद के सचिव बने।
1999 में बने पहली बार प्रधानमंत्री
9 अगस्त 1999 को, व्लादिमीर पुतिन की नियुक्ति तीन प्रथम उप-प्रधानमंत्रियों में से एक के रूप में हुई और बाद में उसी दिन राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन ने उन्हें रूसी संघीय सरकार के कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया। एक टेलीविज़न संबोधन में राष्ट्रपति येल्तसिन ने पुतिन को अपने उत्तराधिकारी के रूप में प्रस्तुत किया। उसी दिन, पुतिन ने राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने के लिए की अपनी सहमती जताई।
16 अगस्त को, स्टेट ड्यूमा ने पुतिन के पक्ष में 233 वोट देकर, जो कि साधारण बहुमत के लिए आवश्यक 226 से अधिक थे, प्रधानमंत्री के रूप में उनकी नियुक्ति को मंजूरी दी। इसी के साथ वे खुद पहली बार और अट्ठारह महीनों के अंदर रूस के पांचवें प्रधानमंत्री बने। शुरुआत में उन्हें येल्तसिन के समर्थक के रूप में देखा जाता था और उन्हीं की परंपरा का पालन करते हुए पुतिन ने अपने मंत्रियों का चयन खुद नहीं किया। उनका मंत्रिमंडल राष्ट्रपति प्रशासन द्वारा निर्धारित किया गया।
 
1999-2000 तक संभाला कार्यवाहक राष्ट्रपति का पद
31 दिसम्बर 1999 को राष्ट्रपति येल्तसिन ने समय से पहले ही अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया एवं रूस के संविधान के अनुसार, पुतिन को रूस के कार्यवाहक राष्ट्रपति बने। उसी दिन उन्होंने अपने पहले आदेश पर हस्ताक्षर किया, जिसके अनुसार यह सुनिश्चित किया गया की "निवर्तमान राष्ट्रपति और उनके रिश्तेदारों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर कार्रवाई नहीं की जाएगी"। येल्तसिन के इस्तीफे के परिणाम स्वरूप तीन महीनों के भीतर राष्ट्रपति चुनाव आयोजित किये गए, जिसमें पुतिन ने पक्ष में 52.94 प्रतिशत मत लेकर जीत हासिल की।

2000-2004 में राष्ट्रपति के रूप में पहला कार्यकाल
पुतिन ने 7 मई 2000 को राष्ट्रपति कार्यालय सम्भाला। उन्होंने वित्त मंत्री मिखाइल कास्यानोव को प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया। पुतिन ने राष्ट्रपति पद संभालने के लगभग तुरंत बाद उन तथाकथित बड़े व्यवसायियों और अरबपतियों के विरुद्ध संघर्ष शुरू कर दिया जो देश की राजनीति को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे थे। पुतिन के शासनकाल में रूस को कई बड़ी आर्थिक सफलताएँ हासिल हुईं। उनके कार्यकाल के दौरान सकल घरेलू उत्पाद की औसत वार्षिक विकास दर 6.5 प्रतिशत थी। रूस पर जो विदेशी ऋण था, उसमें कमी आई और विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि हुई।
यूरोपीय संघ और संयुक्त राज्य अमरीका के साथ रूस के संबंध को मजबूत बनाने, नाटो के साथ सहयोग की शुरुआत शुरू करने और रूस को विश्व व्यापार संगठन का सदस्य बनाने के लिए गए प्राथमिक कदमों में पुतिन को कामयाबी हासिल हुई। हालाकि पनडुब्बी 'कुर्स्क' के डूबने की घटना को संवेदनशील ढंग से न संभाल पाने के कारण उनकी आलोचना भी हुई। ऐसी ही कुछ और घटनाओं के चलते लगा की पुतिन की लोकप्रियता घट गयी है। पर सभी अटकलों को गलत साबित करते हुए उन्होंने सार्वजनिक स्वीकृति रेटिंग के रिकॉर्ड स्तर को छुआ। रूस की 83% जनता पुतिन से संतुष्ट थी।
2004–2008 राष्ट्रपति के रूप में दूसरा कार्यकाल
2004 में 71% मतों के साथ पुतिन दोबारा राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित हुए। सितम्बर 2004 में आतंकवादियों ने बेसलान में स्थित एक स्कूल में 1,100 से अधिक लोगों को बंधक बना लिया। इस घटना में सैकड़ों लोगों की मृत्यु हुई। घटना के बाद पुतिन ने कई व्यापक प्रशाशनिक कदम उठाये। रूस में मीडिया की स्वतंत्रता के खिलाफ व्यापक पैमाने पर कार्यवाही करने के लिए पश्चिम जगत एवं रूसी उदारवादियों ने पुतिन की आलोचना की। 7 अक्टूबर 2006 को एना पॉलिटकोव्स्काया, एक पत्रकार जिन्होंने चेचन्या में रूसी सेना के अनुचित आचरण व भ्रष्टाचार को उजागर किया था, की उनकी ही इमारत की लॉबी में गोली मारकर हत्या कर दी गयी। पॉलिट कोव्स्काया की मौत पर पश्चिमी मीडिया ने तीख़ी प्रतिक्रिया दी और पुतिन पर देश के नए स्वतंत्र मीडिया की रक्षा करने में नाकाम रह पाने के आरोप लगाये। 12 सितंबर 2007 को पुतिन ने प्रधानमंत्री मिखाइल फ्राडकोव के अनुरोध पर सरकार भंग कर दी। विक्टर जुबकोव को नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया।
2008–2012 प्रधानमन्त्री के रूप में दूसरा कार्यकाल
रूसी संविधान मुताबिक पुतिन लगातार तीसरी बार राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ सकते थे। लिहाजा 2008 में राष्ट्रपति चुनाव में पुतिन ने दिमित्री मेदवेदेव का समर्थन किया, जिन्होंने अपनी ओर से वचन दिया कि यदि वह चुनाव जीतेंगे तो वह पुतिन को प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्ति करेंगे। मेदवेदेव 70.28 प्रतिशत मतों के साथ चुनाव भारी बहुमत से जीत गए और उन्होंने अपना वचन पूरा करते हुए पुतिन को प्रधानमंत्री बना दिया। उसके बाद पत्रकारों ने इन दोनों नेताओं को एक "राजनीतिक जोड़ी की सत्ता" का नाम दिया था।
24 सितंबर 2011 को मास्को में संयुक्त रूस कांग्रेस में राष्ट्रपति मेदवेदेव ने सार्वजनिक रूप से घोषणा की कि वह ख़ुद राष्ट्रपति पद के चुनाव में खड़े नहीं होंगे और इस पद के लिए पुतिन के दावे का समर्थन करेंगे। 4 दिसम्बर 2011 को आयोजित हुए संसदीय चुनावों में राष्ट्रपति समर्थक सत्तारूढ़ पार्टी "संयुक्त रूस" को लगभग 50 प्रतिशत मत प्राप्त हुए। इसके तुरंत बाद, मास्को और रूस के अन्य शहरों में चुनाव के दौरान सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा की गई कथित धांधलियों के खिलाफ सड़कों पर हुए विरोध प्रदशनों में हज़ारों लोगों ने हिस्सा लिया। यह पुतिन के समय का सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन था।

2012 से अब तक राष्ट्रपति के रूप में तीसरा कार्यकाल
सारे विरोध के बावजूद 4 मार्च 2012 को पुतिन ने 63.6% मतों के साथ 2012 का राष्ट्रपति चुनाव पहले ही दौर में जीत लिया। राष्ट्रपति पद के प्रचार अभियान के तुरंत बाद पुतिन-विरोधी प्रदर्शन हुए। इसमें से 21 फ़रवरी का पुस्सी रायट विरोध और उसका अनुगामी मुक़दमा सबसे मशहूर हुआ। राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले दिन, पुतिन ने 14 फरमान जारी किए, जिसमें से एक में रूसी अर्थव्यवस्था के लिए व्यापक लक्ष्यों का विस्तार में वर्णन किया गया। अन्य फरमान शिक्षा, आवास, कुशल श्रम प्रशिक्षण, यूरोपीय संघ के साथ संबंधों, रक्षा उद्योग, अंतर-जातीय संबंधों और अन्य नीति क्षेत्रों से सम्बंधित थे।
 
2012 और 2013 में, पुतिन और संयुक्त रूस पार्टी ने सेंट पीटर्सबर्ग, अर्चँगेल्स्क और नोवोसिबिर्स्क में समलैंगिक, उभयलिंगी और ट्रांसजेंडर समुदायों के खिलाफ और सख्त कानून बनाने का समर्थन किया। जून 2013 में राज्य ड्यूमा में "समलैंगिक प्रचार" के खिलाफ एक कानून, जो कि रेनबो ध्वज जैसे प्रतीकों और समलैंगिक सामग्री युक्त प्रकाशित कृतियों पर प्रतिबंध लगाता है, पास किया गया। रूस के इस कानून पर अंतरराष्ट्रीय जगत में उठे सवालों का जवाब देते हुए पुतिन ने कहा कि यह कानून केवल "बाल यौन शोषण और समलैंगिकता के प्रचार पर प्रतिबंध" लगाता है। उन्होंने रूस में समलैंगिकों के खिलाफ किसी प्रकार के सामाजिक भेदभाव के होने से इनकार किया। उन्होंने खेल के दौरान उभयलिंगी आइस स्केटर आइरीन वुस्ट को सबके सामने गले लगाया।

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Posted By: Molly Seth