-पॉल्यूशन, काली और कैंसर ने बनाया ग्रामीणों का जीवन नरकीय

-पैसे और ऊंचे रसूख के बल पर दबाया जा रहा पीडि़तों का दर्द

 

रूद्गद्गह्मह्वह्ल : मूलभूत सुविधाओं की बात न करो। यहां तो गांव पर ही आफत आ गई है। जब गांव वाले ही नहीं रहेंगे तो इन सुविधाओं को कौन बरतेगा। बिजली, सड़क और पानी तो देखी जाएंगी, पहले यहां के लोगों का जान तो बचे। इस पॉल्यूशन ने तो पूरे गांव के भाग्य में मौत ही लिख दी। दरअसल, मवाना रोड स्थित सड़क के किनारे पर बसे सैनी गांव पर पॉल्यूशन का खतरा मंडरा रहा है। पॉल्यूशन की वजह से जहां गांव में कैंसर जैसी घातक बीमारी ने पैर पसार लिए हैं, वहीं दूसरी और प्रदूषित चारा खाकर पशु बीमार पड़ रहे हैं। लोगों की मानें तो गांव में फैली इस महामारी का जनक कोई प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि पेपर इंडस्ट्री का केमिकल है।

 

ये है मामला

दरअसल, मवाना रोड स्थित सैनी गांव पेपर इंडस्ट्री का हब हुआ है। यहां दर्जनों की संख्या में पेपर मिल्स सरकारी संसाधनों का खूब दोहन कर रहे हैं। मिल्स की चिमनियों से गिरती जहरीली राख फसलों को जहरीला बना रही है। इसके साथ ही वायू प्रदूषण यहां के पेड़ों में बांझपन ला रहा है। यहां तक तो ठीक है, लेकिन जो असहनीय दर्द वह है, पॉल्यूशन के कारण ग्रामवासियों में पनपती घातक बीमारियां। इसका परिणाम है कि गांव में कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी अपनी जड़ जमा चुकी है। पिछले तीन सालों का रिकॉर्ड उठाकर देखें तो गांव में बीस से अधिक मौतों का कारण केवल कैंसर है।

 

बेअसर फरियाद

पॉल्युशन की समस्या से आजिज ग्रामवासियों ने इसकी शिकायत पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और कमिश्नर से लेकर तमाम अधिकारियों से की, लेकिन परिणाम सिफर रहे। कार्रवाई तो दूर प्रशासनिक अधिकारियों ने गांव का दौरा तक करना मुनासिब नहीं समझा और मामला जांचों से आगे नहीं बढ़ सका। नेताओं की दरवाजे से लेकर सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाते-लगाते जब कुछ भी हासिल न हो सका, तो पीडि़त ग्रामीणों ने थक हार कर सरेंडर कर दिया। समस्या से राहत की उम्मीद खो चुके गांव वालों में आक्रोश इस कदर है कि उन्होंने सिस्टम का ही बहिष्कार कर दिया। उधर, किसी भी तरह की कार्रवाई से बेखौफ प्रदूषण का दानव लगातार गांव को निगलता जा रहा है।

 

समस्या, शिकायत, जांच और कुछ नहीं

इस समस्या से परेशान ग्रामीणों ने जिला प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी के यहां मामले की शिकायत की। ग्रामीणों की शिकायत पर प्रदूषण विभाग ने जिला उद्यान अधिकारी अरुण कुमार को जांच अधिकारी नियुक्त किया और जल्द ही जांच रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए। प्रकरण की जांच कर उद्यान अधिकारी ने 19 नवंबर 2014 को अपनी जांच रिपोर्ट सबमिट कर ग्रामीणों की शिकायत को सही पाते हुए प्रदूषण मामले में पेपर इंडस्ट्री को दोषी ठहराया। जांच रिपोर्ट के आधार पर जिला प्रदूषण अधिकारी बीबी अवस्थी ने 27 नवंबर 2014 को मुख्य पर्यावरण अधिकारी को पूरे प्रकरण से अवगत कराया। वहीं, अन्य जांच जांच में इसी मामले की एक जांच रिपोर्ट पेश कर उसमें गोल-मोल तथ्य पेश कर पेपर इंडस्ट्री को क्लीन चिट दे दी।

 

अफसरों और उद्योगपतियों का गठजोड़

-पेपर इंडस्ट्री से प्रदूषण के मामले में जांच रिपोर्ट में डीएचओ ने कर दिया बड़ा खेल

-डीएचओ ने एक रिपोर्ट में पेपर इंडस्ट्री को दिखाया दोषी तो दूसरी में दे दी क्लीन चिट

-सेकेंड जांच रिपोर्ट को ढ़ाल बना अफसरों ने किसानों को दिया झटका

-जिला प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी दूसरी रिपोर्ट को देख बदल दी कार्रवाई की मंशा

-सिंचाई विभाग ने फलावदा कैनाल को सौंप दिया इंडस्ट्री मालिकों के हाथों में

-गांव से सटी नदी के निजी इस्तेमाल पर भी सिंचाई विभाग साध रहा चुप्पी

 

 

लोगों का दर्द

पॉल्यूशन गांव में अब लोगों का जीवन लील रहा है। पहले तो पेड़ पौधों और फसलों तक कि बात सीमित थी अब पॉल्यूशन के कारण गांव को जानलेवा बीमारियों ने जकड़ लिया है।

-मनजीत मलिक, ग्रामीण

 

हमारा गांव कैबिनेट मंत्री की विधानसभा में आता है। जबकि गांव में भी सरकार के बड़े नेता रहते हैं। सबके सामने समस्या उठाई गई, लेकिन किसी नहीं सुनी।

-मुकेश कुमार, ग्रामीण

 

 

सैनी प्रकरण की जांच कराई जा रही है। यदि मानव जीवन और पर्यावरण की कीमत पर किसी भी तरह की एक्टीविटी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जांच रिपोर्ट आने पर कार्रवाई की जाएगी।

-पंकज यादव, डीएम मेरठ

 

सीडीओ के आदेश पर प्रकरण की जांच की जा रही है। सहायक पर्यावरण अभियंता को जांच सौंपी गई है। जांच रिपोर्ट जल्द सबमिट की जाएगी।

-बीबी अवस्थी, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अफसर मेरठ

Posted By: Inextlive