साल 2014 में हुए छत्तीसगढ़ के उप-विधानसभा चुनावों में उस वक्त बीजेपी ने जीत हासिल की थी। उस समय कांग्रेस के उम्मीदवार ने ऐन मौके पर अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली थी। छत्तीसगढ़ उप-विधानसभा चुनावों में प्रदेश के बड़े नेताओं के बीच फोन पर हुई बातचीत की टेप सामने आने से छत्‍तीसगढ़ सीएम के परिवार पर उंगलियां उठने लगी है। टेप में कैद बातचीत से आशंका जताई जा रही है कि कांग्रेस उम्‍मीदवार ने अपना नाम वापस लेने के लिए पैसों का लेनदेन किया था।


सीएम के परिवार ने कराई थी डील सूत्रों की माने तो एक अंग्रेजी अखबार के हाथ चुनाव के दौरान बड़े नेताओं की बीच बातचीत के कई फोन टेप हैं। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी उनके बेटे अमित जोगी और मुख्यमंत्री रमन सिंह के दामाद पुनीत गुप्ता बीच हुई बातचीत के अलावा कांग्रेस उम्मीदवार मंतूराम पवार नाम वापस लेने वाले उम्मीदवार और अजीत जोगी के पुराने वफादार फिरोज सिद्दिकी की बातचीत की फोन रिकॉर्डिंग हैं। अब बीजेपी में आ चुके पवार और सिद्दिकी के बीच बातचीत सिद्दिकी और जोगी के एक और वफादार अमीन मेमन की बात के साथ अमित जोगी और सिद्दिकी के बीच हुई बातचीत की भी टेप हैं। इनमें से ज्यादातर बातचीत अगस्त 2014 में हुए चुनाव के दौरान वोटिंग वाले दिन की है। भाजपा पर लगाया था उम्मीदवार खरीदने का आरोप


मंतूराम के उम्मीदवारी वापस लेने के तुरंत बाद कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि बीजेपी ने उनके उम्मीदवार को खरीद लिया है। इसके अलावा कांग्रेस ने चुनाव आयोग से अनुरोध किया था कि साल 2014 के उप-विधानसभा चुनाव रद्द किए जाएं। जब कि भाजपा टेप के इस मामले से पल्ला झाड़ती हुई नजर आरही है। बीजेपी नेता श्रीचंद सुंद्रानी ने कहा कि बीजेपी और मुख्यमंत्री का इन ऑडियो टेप से कोई लेना-देना नहीं है। ये कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई का मामला है। नेताओं ने पूछतांछ के दौरान स्वीकार की अपनी आवाज  छत्तीगढ़ उप विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार को खरीदने के मामले के सामने आने के बाद दो नेताओं ने इस बात को स्वीकारा है कि टेप में जो बातचीत है उन्हीं की है। अजीत जोगी के पुराने वफादार फिरोज सिद्दिकी ने भी माना है कि रिकॉर्डिंग में उन्हीं की आवाज है। ये बातचीत अंतागढ़ उप चुनाव से ठीक पहले की है। मैंने उप चुनाव से ठीक पहले अमित जोगी अमीन मेनन और कांग्रेस के उम्मीदवार मंतूराम पवार से बात की थी। चुनाव मैनेज करने और पवार की उम्मीदवारी वापसी सुनिश्चित करने की योजना थी। उन्होंने आखिरी तारीख से एक दिन पहले अपना नाम वापस ले लिया था। मैं जोगी परिवार के लिए काम कर रहा था। मैं उप चुनाव रायपुर से ऑपरेट कर रहा था। उप चुनाव में अमीन मेमन का काम मंतूराम पवार और मध्यस्थ को मैनेज करने का था। वो कंकेर जिले से काम कर रहा था। चुनाव से दो दिन पहले प्लान पर काम शुरू हुआ था और सफल हुआ । 3 करोड़ 50 लाख में तय हुई थी डील

उप चुनाव में ऐन वक्त पर अपनी उम्मीदवारी वापस लेने वाले मंतूराम ने भी मान लिया है कि टेप रिकॉर्डिंग में जो  आवाज उन्हीं की है। हालांकि पवार का कहना है कि उम्मीदवारी वापस लेने के लिए उन्हें किसी ने नहीं कहा था बल्कि ये फैसला उनका अपना था। मातूराम ने कहा किसी ने मुझसे संपर्क नहीं किया और न ही किसी ने मुझपर उम्मीदवारी वापस लेने के लिए दबाव बनाया था। उम्मीदवारी वापस लेने का फैसला मेरा था। वो नियमित बातचीत थी।  मैं सिद्दिकी से फोन पर कहा कि मुझे बलि का बकरा बनाया गया है क्योंकि मैं चुनाव नहीं लड़ना चाहता था। उप चुनाव में मंतूराम के साथ नाम वापस लेने के एवज में डील की गई। जिसमें अमित जोगी ने भी कई वादे किए। पवार के नाम वापस लेने के बाद जोगी के परिवार ने मुझे 3.5 करोड़ रुपये दिए थे।  मैंने इस रकम को अमीन मेमन को दे दिया।

Posted By: Prabha Punj Mishra