25 संवासिनियों के निर्वासन हेतु इन्हे सहारनपुर शरणालय भेज जल्द कराया जाएगा विवाह

डीपीओ का लापरवाह रवैया से अड़चनें

BAREILLY:

राजकीय महिला शरणालय की निराश्रिताओं के जीवन में खुशियों की कलियां खिलने को हैं। सालों से नारी निकेतन के कमरों में अकेले सिमट कर गुमनाम हो चुकी जिंदगियों को जीवन साथी का संग मिलने वाला है। इस शरणालय की ख्भ् निराश्रित महिलाएं निर्वासन के लिए चुनी गई हैं। निराश्रिताओं को सहारनपुर स्थित शरणालय भेजा जाएगा। जहां इनकी शादी करायी जाएगी।

ख्भ् को मिलेंगी जिंदगी की खुशियां

नारी निकेतन की जिन संवासिनियों को पुनर्वासन के लिए चुना गया है, ये सभी कई सालों से यहां रह रही है। क्7 निराश्रित महिलाओं की उम्र ख्0 से ख्भ् साल है। जबकि सात महिलाओं की उम्र ख्भ् से फ्0 के बीच है। एक निराश्रित की उम्र फ्म् साल है। चुनी गई निराश्रिताओं में से चार मूक बधिर भी हैं।

नारी निकेतन की संवासिनियों में से कुछ को ममता आश्रय गृह भेजा गया था। ये कितनी महिलाएं हैं, इसकी जानकारी नारी निकेतन के इंचार्ज अंगद पाल सिंह से नही मिल सकी है। पुनर्वासन के लिए चुनी हुई लड़कियों में ममता आश्रय गृह जा चुकी लड़कियां महिलाएं पुनर्वासन के लिए सहारनपुर नही जा सकेंगी।

चार बच्चों को मिल सकेंगे पिता

निर्वासन के लिए चुनी हुई ख्भ् निराश्रिताओं में से चार महिलाओं को दूसरा जीवन साथी, और इनके एक-एक बच्चे को पिता का प्यार मिल सकेगा। इन चार बच्चों में से दो की उम्र एक साल से कम, जबकि बाकी दो पांच साल से कम उम्र के है।

सहारनपुर में होगी वर ढूंढने की कवायद

जिला प्रोबेशनल अधिकारी ऊषा तिवारी के अनुसार ख्भ् निराश्रित महिलाओं को राजकीय जिला शरणालय सहारनपुर ट्रांसफर करने के बाद इनके रिहैबिलिटेशन पर काम किया जाएगा। इसके बाद विवाह प्रक्रिया के लिए अखबार में विज्ञापन दिया जाएगा। इसके आधार पर जो भी आवेदन मिलेंगे उसके वेरिफिकेशन और मेडिकल जांच के बाद एडीएम की अध्यक्षता में कमेटी गठित की जाएगी। जिसमें इन महिलाओं व आवेदक पुरुषों को मिलवा कर विवाह उन उनका निर्णय जाना जायेगा। जिसके आधार पर सामाजिक रीतियों के आधार पर इनका विवाह कराया जाएगा। इस विवाह के लिए महिला कल्याण विभाग की ओर से हर संवासिनी का ख्0 हजार रुपये की सहयोग राशि दी जाएगी।

विभागीय असंवेदशील रवैया के कारण तीन महीने बाद आया आदेश

महिलाओं कल्याण जैसे संवेदनशील मुददों पर महिला कल्याण विभाग व इनके अधिकारियों की कार्यशैली कितनी लापरवाह है, इसका सबसे बड़ा उदाहरण संवासिनियों के पुनर्वासन का आदेश है। आदेश को क्षेत्रीय कार्यालय पहुंचाने में विभाग को तीन महीने का समय लगा। ये लेटर जिला प्रोबेशनल अधिकारी को 9 नवंबर को प्राप्त हुआ।

अब डीपीओ की लापरवाही नही बढ़ने दे रही प्रक्रिया

निराश्रिताओं को राजकीय जिला शरणालय सहारनपुर शिफ्ट किये जाने के लिए एक संवासिनी पर दो महिला कांस्टेबल की सुरक्षा मुहैया करायी जानी है। लेकिन इस संबंध में अब तक डीपीओ ऊषा तिवारी ने एसएसपी को पुलिस फोर्स की मांग नही किया है।

डीपीओ ऊषा तिवारी ने इन निराश्रिताओं को सहारनपुर शरणालय पहुंचाने के बारे में बताया कि पुलिस प्रशासन को भी निदेशालय की ओर से पत्र भेजा गया है। पुलिस जैसे ही महिला कांस्टेबल प्रोवाइड करवा देगी, तब हम लड़कियों को शिफ्ट कर पाएंगे।

Posted By: Inextlive