काली कमाई के कुबेर निकले लखनऊ नगर निगम के चीफ इंजीनियर
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LUCKNOW : लखनऊ नगर निगम में चीफ इंजीनियर के पद पर तैनात रहे दीपक यादव पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप जांच में सही पाए गये हैं। यूपी पुलिस के आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (ईओडब्ल्यू) द्वारा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर दीपक यादव पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच में पाया गया है कि उन्होंने बीते पांच साल के दौरान नगर निगम में कई घपले और घोटाले अंजाम दिए। इसके जरिए उन्होंने जमकर काली कमाई जुटाई और उसे बेशकीमती संपत्तियों में निवेश कर दिया। ईओडब्ल्यू ने गृह विभाग को भेजी अपनी गोपनीय रिपोर्ट में दीपक यादव के खिलाफ खुली जांच करने की अनुमति मांगी है ताकि उनके कारनामों का पर्दाफाश किया जा सके। पोर्टल पर हुई थी शिकायतदरअसल हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विनोद पांडे ने मुख्यमंत्री के आईजीआरएस पोर्टल पर दीपक यादव के खिलाफ शिकायत की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि दीपक यादव ने नगर निगम में तैनात रहने के दौरान अपने खास गुर्गो की मदद से फर्जी तरीके से कई फर्म बनाकर बड़े पैमाने पर ठेकेदारी में फर्जीवाड़ा किया। साथ ही घोटालों से जुटाई गयी रकम से अकूत संपत्तियां इकट्ठा की। उन्होंने दीपक यादव को तत्काल पद से हटाने, आरोपों की जांच ईओडब्ल्यू से कराने और दोषी पाए जाने पर एफआईआर दर्ज कराने की मांग की थी। मुख्यमंत्री कार्यालय ने नगर निगम के वरिष्ठ अफसर पर लगे संगीन आरोपों को गंभीरता से लेते हुए विगत 10 मई को प्रमुख सचिव गृह को इस प्रकरण की जांच ईओडब्ल्यू से कराने के निर्देश दिए जिसके बाद मामला ईओडब्ल्यू के सुपुर्द कर दिया गया।
गोपनीय जांच में सही मिले आरोपईओडब्ल्यू के वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर इंस्पेक्टर राकेश रैना ने इस प्रकरण की जांच शुरू की तो दीपक यादव पर लगे तमाम आरोप सही मिले। अपनी गोपनीय जांच के बाद ईओडब्ल्यू ने प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार को भेजी अपनी रिपोर्ट में कहा कि दीपक यादव के लखनऊ के कई पॉश जगहों पर आलीशान मकान और फ्लैट्स हैं जिसकी कीमत करोड़ों रुपये है। दीपक यादव द्वारा नगर निगम लखनऊ में रहते हुए मार्ग प्रकाश व आरआर (कूड़ा प्रबंधन) में विगत पांच सालों में गंभीर वित्तीय अनियमितता व अनुचित धन अर्जित किया गया है। जिसकी पुष्टि के लिए प्रामाणिक साक्ष्य एकत्र किया जाना आवश्यक है। इसके लिए दीपक यादव के खिलाफ खुली जांच करने की अनुमति दी जाए। सपा के करीबी रहे हैं दीपक यादवदीपक यादव समाजवादी पार्टी के बेहद करीबी माने जाते हैं। दरअसल दीपक यादव के पिता रमेश यादव पूर्व आईएएस अधिकारी हैं। रमेश यादव भी सपा सरकारों में अहम पदों पर रह चुके हैं। सपा के तमाम बड़े नेताओं से उनके परिवार के करीबी रिश्ते भी बताए जाते है। पूर्ववर्ती सपा सरकार में दीपक यादव का लगातार पांच साल तक लखनऊ नगर निगम में बने रहना भी इसकी बड़ी वजह माना जा रहा है। वहीं दीपक यादव फिलहाल स्थानीय निकाय निदेशालय से अटैच हैं। वहीं इस बाबत दीपक यादव का पक्ष जानने के लिए उन्हें कई बार फोन किया गया लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं की।
क्या होती है खुली जांचदरअसल खुली जांच में जांच एजेंसी आरोपी की संपत्तियों के दस्तावेज कानूनी रूप से तलब करती है। साथ ही बैंक खातों की भी पड़ताल कर सकती है। जांच एजेंसी आरोपी के करीबी परिजनों की आय, कुल चल-अचल संपत्तियों और बैंक खातों की जांच भी करती है। इसके बाद जांच के घेरे में आए लोगों से पूछताछ के बाद उनका बयान दर्ज किया जाता है। तत्पश्चात जांच एजेंसी शासन से उनके खिलाफ बाकायदा एफआईआर दर्ज करके विवेचना की अनुमति मांगती है। फिलहाल यह प्रकरण मेरी जानकारी में नहीं है। यदि ईओडब्ल्यू ने खुली जांच की अनुमति मांगी है तो रिपोर्ट का परीक्षण कर उचित निर्णय लिया जाएगा।अरविंद कुमार,प्रमुख सचिव, गृह
दीपक यादव के खिलाफ मुख्यमंत्री के पोर्टल पर शिकायत की थी। उन्होंने नगर निगम में कई कारनामे अंजाम देकर करोड़ों रुपये की हेराफेरी की है। दीपक यादव की नियुक्ति भी गलत तरीके से की गयी थी।विनोद पांडे, शिकायतकर्ता अधिवक्ता, हाईकोर्ट