स्तन कैंसर की दवा फेफड़े के कैंसर में कारगर
ब्रिटेन के वैज्ञानिकों को एक शोध से पता चला है कि स्तन कैंसर के लिए प्रयोग होने वाली दवाओं का फेफड़े के कैंसर के इलाज के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है.नॉन-स्मॉल-सेल लंग कैंसर (एनएससीएलसी) फेफड़े के कैंसर का सबसे सामान्य प्रकार है. पूरे विश्व में कैंसर से होने वालों मौतों में फेफड़े के कैंसर से होनी वाली मौतों की संख्या काफी अधिक है. इस बीमारी में बहुत कम दवाएँ कारगर होती हैं.लंदन के इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर रिसर्च के वैज्ञानिकों ने अपने शोध में पाया कि स्तन कैंसर के इलाज के लिए प्रयोग की जाने वाली दवाएँ पीएआरपी इनहिबिटर्स एनएससीएलसी के करीब आधे ट्यूमरों के इलाज में कारगर है.प्रयोगशाला में किए गए परीक्षण में इन दवाओं ने कैंसरयुक्त कोशिकाओं को नष्ट कर दिया और स्वस्थ कोशिकाओं को छोड़ दिया.
इस शोध के परिणाम शीघ्र ही शोध जर्नल ऑंकोजीन में प्रकाशित होने वाले हैं. इस नई खोज से उत्साहित विशेषज्ञों का कहना है कि इस क्षेत्र में और अधिक शोध और परीक्षण की जरूरत है.
इस शोधपत्र के लेखक डॉक्टर क्रिस लॉर्ड ने कहा, “यह अध्ययन बताता है कि स्तन कैंसर और गर्भाशय के कैंसर के इलाज में पहले से ही व्यावहारिक परीक्षण में प्रयोग की जा रही दवा पीएआरपी इनहिबिटर्स फेफड़ों के कैंसर की कुछ किस्मों में भी लाभदायक हो सकती है.फेफड़े के कैंसर का इलाज बहुत मुश्किल होता है. दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस बीमारी से पीड़ित बहुत कम लोग बच पाते हैं. इसलिए इसके नए इलाज की खोज करना बहुत ज़रूरी है. ”बचेगी ज़्यादा लोगों की जान
डॉक्टर हरपाल ने बताया, “हम फेफड़े के कैंसर के इलाज पर शोध करने के लिए पर्याप्त वित्तीय निवेश कर रहे हैं ताकि इसकी बेहतर तरीके से पहचान की जा सके और इसका बेहतर इलाज खोजा जा सके. हम उम्मीद करते हैं कि इस तरह के अध्ययनों से फेफड़े के कैंसर के इलाज के ज़्यादा कारगर तरीके पता चलेंगे जिससे ज़्यादा लोगों की जान बचाई जा सकेगी.”ब्रिटेन में कैंसर से होने वाली मौतों में सबसे ज़्यादा लोग फेफड़े के कैंसर से मरते हैं. फेफड़े के कैंसर के दस मामलों में से आठ मामले एनएससीएलसी के होते हैं. ब्रिटेन में एनएससीएलसी के हर साल तैंतीस हज़ार से ज़्यादा मामले सामने आते हैं.