ये कहानी है बिहार में दिगवाड़ा गांव के बॉक्‍सिंग रिंग की। सिर्फ इस बॉक्‍सिंग रिंग की नहीं इस रिंग में जबरदस्‍त कारनामे दिखाने वाली बॉक्‍सर गर्ल्स की। ये वो बॉक्‍सर गर्ल्‍स हैं जो बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में खेल के मैदान पर नई क्रान्‍ति की वाहक बनी हैं। आइए मिलते हैं बिहार की कुछ ऐसी ही स्‍टार प्‍लेयर्स से जिन्‍होंने गांव की चिलचलाती दोपहर में अभ्‍यास कर खुद को सूरज की रोशनी से भी ज्‍यादा कांतिवान बनाया है।

दिगवाड़ा की बॉक्सिंग चैंपियंस
ये दिगवाड़ा की बॉक्सिंग चैंपियंस हैं। ये वो लड़कियां हैं, जो गांव के एक स्कूल में ईंट और रेत से बने बॉक्सिंग रिंग में अभ्यास करके बॉक्िसंग चैम्प बनी हैं। इन लड़कियों से बात करें उनके इस अभ्यास कि तो उनका कहना है कि ये बॉक्िसंग रिंग उनके लिए सिर्फ लड़ने की जगह भर नहीं है। ये उनके लिए बेहद पूजनीय है। इसमें अंदर जाने से पहले ये उसपर तीन बार मत्था टेकती हैं। उसके बाद ही अंदर कदम रखती हैं।
करती हैं रोजाना इतना अभ्यास
रेत के बने इस रिंग में ये बॉक्सर्स रोजाना करीब ढाई घंटे अभ्यास करती हैं। इतने अभ्यास के बाद ये बनीं हैं जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले बॉक्सिंग मुकाबले में मेडल जीतने लायक। इनमें से दो हैं प्रियंका और मोना। इन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर तीन-तीन मेडल जीते हैं। इतना ही नहीं आगे आने वाले दिनों में वह गोवाहाटी में होने वाली नेशनल चैंपियनशिप के लिए भी रवाना होने वाली हैं। फिलहाल इन दोनों धुरंधरों को ये कहना है कि जल्द ही अपने घर की दीवार को ये ऐसे मेडल्स से भर देना चाहती हैं।


अब प्रियंका हो गई हैं पहले से ज्यादा कॉन्फिडेंट
प्रियंका, जो यहां की महिला बॉक्सर्स में पहली चैंपियन रही हैं, वह कहती हैं कि बॉक्िसंग के अभ्यास ने उनको पहले से कहीं ज्यादा कॉन्फिडेंट बना दिया है। उनके दिमाग को खोल दिया है। अब प्रियंका आगे होने वाली पैंपियनशिप की तैयारी कर रही हैं। इसके लिए वह रोजाना सुबह चार बजे उठकर चार किलोमीटर की जॉगिंग करती हैं। इतना ही नहीं उनके कोच उनको लड़कों के साथ भी लड़ने का अभ्यास कराते हैं। लड़कों के साथ लड़ने के बारे में जब प्रियंका से पूछा जाता है, तो वह जवाब देती हैं कि नहीं, कोई अंतर नहीं है लड़के और लड़कियों से लड़ने में। हां, यहां सिर्फ टेक्नीक मायने रखती है। अब इस बॉक्िसंग रिंग में अलग-अलग जाति और धर्म की लड़कियां आती हैं अभ्यास करने के लिए। इस ग्रुप में साबिया खातून सबसे छोटी हैं।

Image Courtesy rediff. com

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Posted By: Ruchi D Sharma