भारत की अंडर 19 टीम ने इंग्लैंड में खेले गए ट्राई सीरीज के फाइनल में बांग्लादेश को हराकर खिताब जीत लिया है। फाइनल मुकाबले में भारत की जीत के हीरो यशस्वी जायसवाल रहे जिन्होंने शानदार अर्धशतकीय पारी खेली। आइए जानें कौन है भारत का ये होनहार क्रिकेटर...

कानपुर। भारत, इंग्लैंड और बांग्लादेश की अंडर 19 टीमों के बीच खेला गया ट्राई सीरीज का फाइनल मुकाबला भारत ने जीत लिया। खिताबी मुकाबले में भारत ने बांग्लादेश को 6 विकेट से हराया। बांग्लादेश ने भारत के सामने जीत के लिए 262 रनों का लक्ष्य रखा था। जिसे भारत की युवा टीम ने कप्तान प्रियम गर्ग (73) और यशस्वी जायसवाल (50) की शानदार पारी की बदौलत 4 विकेट खोकर जीत हासिल कर ली। 18 साल के यशस्वी भारतीय अंडर 19 क्रिकेट टीम के बेहतर ओपनर बल्लेबाजों में से एक हैं। पिछले साल जब भारत की जूनियर टीम ने एशिया कप अपने नाम किया था तब भी उस जीत में यशस्वी का अहम योगदान रहा था।

More overseas success for our boys as India U19 win the one-day tri-series by beating Bangladesh U19 by 6 wickets in the final in England 🏆 pic.twitter.com/lgYJZNgE2P

— BCCI (@BCCI) 12 August 2019


दिन में प्रैक्टिस कर रात में बेचते थे गोलगप्पे

उत्तर प्रदेश के भदोही में एक साधारण परिवार में जन्में यशस्वी ने बचपन में ही क्रिकेटर बनने का सपना देख लिया था। इस सपने को पूरा करने यशस्वी मुंबई आ गए। उस वक्त उनकी उम्र 11 साल थी। मगर यहां उन्हें रहने का उचित ठिकाना नहीं मिला। क्रिकइन्फो से बातचीत में यशस्वी ने अपने पुराने दिनों को याद किया था। पिछले साल हुए इस इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, 'मैं यह सोचकर मुंबई आया था कि मुझे यहीं से क्रिकेट खेलना है। मैं एक टेंट में रहता था जहां बिजली, पानी और टॉयलेट की व्यवस्था नहीं थी। सबसे ज्यादा दिक्कत तब आई जब खर्च के लिए पैसे नहीं थे। ऐसे में मैंने पानी पूरी (गोलगप्पे) बेचने शुरु कर दिए थे। दिन में प्रैक्टिस कर रात में गोलगप्पे का ठेला लगाता था। साथी खिलाड़ी कभी-कभी मेरे पास गोलगप्पे खाने आ जाते थे, मुझे उस वक्त काफी बुरा लगता था कि लेकिन यह जरूरी था।'
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तीन साल में 51 शतक

यशस्वी जायसवाल को ट्रेनिंग देने वाले उनके कोच ज्वाला सिंह बचपन से ही यशस्वी की प्रतिभा के कायल थे। क्रिकइन्फो से बातचीत में ज्वाला सिंह ने बताया, 'यशस्वी 11-12 साल का रहा होगा, जब मैंने उसे पहली बार बैटिंग करते देखा। वह ए-डिविजन बॉलर के खिलाफ इतना अच्छा खेल रहा था कि मैं उससे प्रभावित हुआ बिना नहीं रह सका। मेरे एक दोस्त ने मुझे बताया यह लड़का कई मुश्किलों से गुजर रहा है, इसका कोई कोच नहीं है। इसके माता-पिता भी यहां नहीं रहते।' खैर बाद में ज्वाला सिंह ने यशस्वी को ट्रेनिंग देने का फैसला किया। ज्वाला सिंह का दावा है कि बाएं हाथ के बल्लेबाज यशस्वी ने पिछले तीन साल में 51 शतक जमाए हैं और अपने लेग स्पिन के सहारे 300 से ज्यादा विकेट भी चटकाए हैं। उनका मानना है कि यशस्वी इसी तरह बड़े टूर्नामेंटों में रन बनाता रहा, तो उसे टीम इंडिया में जगह बनाने से कोई नहीं रोक सकता।
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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari