नमी से नहीं हो पा रही है पॉल्युशन में कमी
-लगातार बढ़ रहे म्वायश्चर की वजह से खराब हो रही है एयर क्वालिटी
-गाडि़यों की संख्या में नहीं हो रही है कमी, पॉल्युशन का ग्राफ अप -पुअर क्वालिटी में पहुंचा पॉल्युशन लेवल, अभी और बढ़ेंगी मुश्किलें GORAKHPUR: शहर की आबो-हवा दिन ब दिन जहरीली होती जा रही है। हवा में सांस लेने से लोगों का दम घुटने लगा है। हालत यह है कि ठंड और कोहरा बढ़ने के साथ ही परेशानी भी बढ़ रही है। पिछले कुछ सालों से ग्रीन जोन में रहने वाला गोरखपुर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) भी ऑरेंज जोन में पहुंच गया है। रेसिडेंशियल एरिया हो, कॉमर्शियल हो या फिर इंडस्ट्रियल कभी जगहों का एक्यूआई दिन ब दिन खराब होता जा रहा है। एटमॉस्फियर में मनी की वजह से जहां पॉल्युशन लेवल कम नहीं हो पा रहा है, वहीं दमा, अस्थमा और सांस के मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी होने लगी है।ठंड के साथ खतरा भी बढ़ा
मौसम का जिस तरह से मिजाज बदल रहा है, वह पॉल्युशन को बढ़ाने में काफी मददगार है। ठंड की वजह से ऊपरी सतह में नमी हो गई है, इससे पॉल्युटेंट की एक लेयर फॉर्म हो जा रही है, जो हवा में तैर रहे खतरनाक पार्टिकिल्स को ऊपर नहीं जाने देती, जिससे यह निचली सतह पर रहकर कॉन्संट्रेशन बढ़ा रहे हैं। एक्सपर्ट्स की मानें तो यही वजह है कि लगातार शहर में पॉल्युशन के साथ ही एक्यूआई का ग्राफ लगातार बढ़ता चला जा रहा है।
शाम में भी नहीं है आराम नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड और सल्फर डाईऑक्साइड सुबह-शाम लोगों की परेशानी बढ़ाती है। मगर पॉल्युशन विभाग के जिम्मेदारों की मानें तो इनका सबसे ज्यादा प्रकोप शाम में छह बजे से लेकर रात के 10 बजे के बीच होता है। वहीं, दिवाली के बाद तो एटमॉस्फियर में इनकी तादाद काफी ज्यादा बढ़ गई है। एटमॉस्फियर की नमी से यह ऊपर भी नहीं जा पा रही है, जिससे प्रॉब्लम कम नहीं हो पा रही है। कुछ राहत के वक्त की बात करें तो इन दोनों गैसेज का सबसे कम कॉन्संट्रेशन लेवल रात में दो बजे से सुबह छह बजे के बीच होता है, जब लोग गहरी नींद में सो रहे होते हैं। कुछ यूं चेंज हो रहा है गोरखपुर का पॉल्युशन लेवल दिसंबर - 2016 कैटेगरी - एक्यूआई आवासीय - 108 कॉमर्शियल - 172 इंडस्ट्रियल - 185 जनवरी - 2017 कैटेगरी - एक्यूआई आवासीय - 109 कॉमर्शियल - 176 इंडस्ट्रियल - 186 दिसंबर - 2017 कैटेगरी - एक्यूआई आवासीय - 112कॉमर्शियल - 175
इंडस्ट्रियल - 187 जनवरी - 2018 कैटेगरी - एक्यूआई आवासीय - 117 कॉमर्शियल - 177 इंडस्ट्रियल - 192 दिसंबर - 2018 कैटेगरी - एक्यूआई आवासीय - 243 कॉमर्शियल - 366 इंडस्ट्रियल - 402 जनवरी - 2019 कैटेगरी - एक्यूआई आवासीय - 273 कॉमर्शियल - 392 इंडस्ट्रियल - 409 अक्टूबर - 2019 कैटेगरी - पीएम10 एसपीएम आवासीय - 199.86 297.16 कॉमर्शियल - 317.29 409.23 इंडस्ट्रियल - 402.08 489.59 आगे और बिगड़ेंगे हालात मौसम के तेवर जिस तरह से बने हुए हैं, आगे हालात बिगड़ने तय हैं। पिछले कुछ सालों में दिसंबर और जनवरी का डाटा देखकर इसका अंदाजा आसानी से लगाया भी जा सकता है। पैरामीटर्स एंड इफेक्ट्स - 0-50 - मिनिमम इंपैक्ट 51-100 - सेंसिटिव लोगों को सांस लेने में थोड़ा प्रॉब्लम 101-200 - लंग, हर्ट पेशेंट के साथ बच्चाच् और बुजुर्गो को सांस लेने में दिक्कत 201-300 - लंबे समय तक संपर्क में रहने वालों को सांस लेने में प्रॉब्लम 301-400 - लंबे समय तक संपर्क में रहने वालों को सांस की बीमारी 401 या ऊपर - हेल्दी लोगों को भी सांस लेने में दिक्कत, रेस्पिरेटरी इफेक्टपॉल्युटेंट का लेवल अब बढ़ने लगा है। सर्दी के मौसम में यह ज्यादा हो जाता है। इसलिए जितना पॉल्युशन होगा, परेशानी उतनी होगी। जितना पॉल्युशन कम फैलेगा, उतनी ही ज्यादा राहत मिलेगी। आने वाला महीना इस लिहाज से काफी सेंसिटिव हैं।
- डॉ। गोविंद पांडेय, एनवायर्नमेंटलिस्ट