राम जन्‍मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्षों को राहत देते हुए लिखित नोट रिकार्ड कराने की अनुमति दी। इसके बाद मुस्लिम पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब पेश किया है।

नई दिल्ली (पीटीआई/एएनआई)।  दशकों पुराने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले में साेमवार को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड समेत तमाम मुस्लिम पक्षों को लिखित नोट रिकार्ड कराने की अनुमति प्रदान की। साथ ही कहा गया है कि कोर्ट का फैसला देश के भविष्य की राजनीति को प्रभावित करेगा।  इसके बाद अयोध्या भूमि विवाद मामले में मुस्लिम पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब पेश किया। साथ ही मुस्लिम पक्षकार सीलबंद लिफाफे में दूसरे पक्ष द्वारा उठाए गए आपत्तियों पर जवाब दाखिल कर रहे हैं।

Ayodhya case: Muslim parties today mentioned before Supreme Court that they have filed the reply on 'moulding of relief'(narrowing down arguments & telling court what points a party wants it to adjudicate on)&are filing reply on objections raised by other side,in sealed envelope pic.twitter.com/CyZ3R66y6V

— ANI (@ANI) October 21, 2019


सीलबंद लिफाफे में नोट को लेकर आपत्ति जताई गई थी
मुस्लिम पक्षों के वकील ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाले तीन सदस्यीय जजों के बेंच के समक्ष कहा कि उन्हें पांच-न्यायाधीश संविधान पीठ के फैसले के लिए मोल्डिंग ऑफ रिलीफ को लेकर लिखित नोट रिकॉर्ड कराने की अनुमति दी थी। हालांकि विभिन्न पार्टियों व और कोर्ट रजिस्ट्री ने सीलबंद लिफाफे में नोट को लेकर आपत्ति जताई थी। ऐसे में हमने रविवार को सभी पक्षों के सामने उसे सार्वजनिक कर दिया। बता दें कि 40 दिनों की लंबी सुनवाई के बाद 16 अक्टूबर को कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

 

Posted By: Shweta Mishra