GORAKHPUR : भले ही 'निर्भया' के साथ हुई घटना के गुनाहगारों को पूरे देश के एक्टिव सपोर्ट की वजह से जल्दी सजा मिल गई हो लेकिन इसका कोई फायदा या असर अब भी देश में कहीं पर दिखाई नहीं दे रहा है. आज भी देश में इस तरह की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह है इंडियंस का डुअल नेचर. कहने को सभी ऐसी घटनाओं की कड़ी आलोचना करते हैं लेकिन जब अपनी बारी आती है तो वह ऐसा काम करने से नहीं चूकते हैं. यहां पर लोगों का नेचर कहने को कुछ और और असलियत में कुछ और है जिसका नतीजा देश में लगातार हो रही घटनाएं हैं. यह बातें कहीं बीएचयू के प्रो. जयकांत तिवारी ने जो गोरखपुर यूनिवर्सिटी के सोश्योलॉजी डिपार्टमेंट द्वारा ऑर्गेनाइज नेशनल सेमिनार में बतौर चीफ गेस्ट मौजूद थे. 'एंपॉवरमेंट और सोशल जस्टिस' टॉपिक पर ऑर्गेनाइज इस नेशनल सेमिनार में फील्ड के दिग्गजों ने हिस्सा लिया.


डिफरेंस दूर करें तभी पॉसिबल होगा एंपॉवरमेंट और जस्टिसप्रो। जयकांत ने कहा कि सोशल जस्टिस और एंपॉवरमेंट से संबंधित सोच और असलियत के बीच फैले हुए डिफरेंस को दूर करना होगा। इसके बाद ही एंपॉवरमेंट और जस्टिस पॉसिबल हो सकेगा, अगर ऐसा नहीं हुआ तो निर्भया जैसे कांड दोहराते रहेंगे। इसके साथ ही सोशल जस्टिस का एक नया खाका तैयार करना होगा, जिसमें किसी तरह की विसंगति नहीं होगी। सोशल जस्टिस के लिए नया प्रोफॉर्मा डिजाइन करने की जरूरत है, जिसमें महिला, दलित, अल्पसंख्यक, गरीब, बूढ़े, कमजोर, बेरोजगार को शामिल करना होगा। इदस दौरान बतौर स्पेशल गेस्ट प्रो। एके कौल ने कहा कि एंपॉवरमेंट और सोशल जस्टिस जैसे विचारों का अस्तित्व दुनिया में काफी पहले से है। बस टाइम के अकॉर्डिंग न्याय के आधार बदल रहे हैं। उन्होंने कहा कि वैकल्पिक राजनीति और नए सामाजिक आंदोलनों से पनपने वाली नई चेतना ही सामाजिक न्याय को बढ़ावा देगी।


निभानी होगी सोशल रिस्पांसिबिल्टी

प्रोग्राम की अध्यक्षता करते हुए वीसी प्रो। पीसी त्रिवेदी ने समाज में फैली गरीबी पर अपनी बातें रखते हुए कहा कि हमें अपनी सोशल रिस्पांसिबिल्टी निभानी होगी। इसके लिए सिर्फ गवर्नमेंट और न्यायपालिका पर डिपेंड न रहकर समाज के सभी नागरिकों को आगे आना होगा। इसमें सबसे अहम जिम्मेदारी टीचर्स को अहम भूमिका निभानी होगी। इस तरह के सेमिनार इसके लिए एक पॉजिटिव पहल है। सेमिनार के दौरान तीन टेक्निकल सेशन ऑर्गेनाइज किए गए, जिसमें देश के अलग-अलग हिस्सों से आए पार्टिसिपेंट्स ने रिसर्च पेपर पेश किए.  इस दौरान प्रो। वीके श्रीवास्तव, प्रो। राम प्रकाश, डॉ। संगीता पांडेय, डॉ। मानवेंद्र प्रताप सिंह, डॉ। शफीक अहमद, डॉ। शुभि धूसिया, डॉ। अनुराग द्विवेदी, डॉ। अंजू समेत बड़ी तादाद में टीचर्स और पार्टिसिपेंट्स मौजूद थे।

Posted By: Inextlive