शेर नहीं हाथी पर सवार होकर आ रहीं मां दुर्गा
- अमृत सिद्धि और सर्वार्थ सिद्धि योग में शारदीय नवरात्र
- बाबा भोले और मां गौरी की भी बरसेगी कृपा पित्रपक्ष समाप्त होने के बाद शारदीय नवरात्र 29 सितंबर से शुरू होने जा रहा है। मां दुर्गा के आगमन को लेकर शहर भर में पूजा पंडालों में तैयारियां तेज हो गई है। देवी की आराधना करने के लिए भक्तों में श्रद्धा के भाव उमड़ने लगे हैं। 10 दिनों तक चलने वाले इस पर्व में देवी दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी। मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की विधि-विधान से उपासना होगी। इस बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी और नौ दिनों बाद घोड़े पर बैठकर प्रस्थान करेंगी। पूरे नव दिन का नवरात्रपं। अरविंद राय के मुताबिक इंद्र योग में नौ दिन की उपासना का शुभारंभ 29 सितंबर से किया जाएगा। इस दिन सुर्योदय 6 बजकर 4 मिनट पर होगा। हस्थ नक्षत्र रात 10 बजकर एक मिनट तक रहेगा। इसके अलावा ब्रहृम योग सुबह 7:29 मिनट तक है। वृश्चिक राशि में कलश स्थापना का समय 29 सितंबर रविवार की सुबह 9:45 से 12:02 बजे तक रहेगा। हालांकि भोर में ब्रह्म योग होने से सिंह राशि मुहुर्त में कलश स्थापना का समय भोर में 5:17 बजे से सुबह 7:29 बजे तक करना उत्तम रहेगा।
सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग
ज्योतिषाचार्य पं। प्रकाश मिश्रा के अनुसार इस बार शारदीय नवरात्र कई वषरें के बाद शुभ संयोगों को लेकर आ रहा है। सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग का संयोग बना है। इससे मां दुर्गा की आराधना बेहद ही शुभ फलदायी होगी। इस नवरात्र दो सोमवार पड़ने से चंद्रसूचक योग भी बन रहा है। भगवान शिव और मां गौरी की भी कृपा बरसेगी। बृहस्पति और चंद्रमा के ग्रहों से प्रभावित लोगों के लिए देवी की पूजा अति फलदायी रहेगी। मां के आगमन और प्रस्थान का फल इस वर्ष हाथी पर आगमन होने से वर्षा प्रचुर मात्रा में होगी फल स्वरूप खेती कृषि में खूब बढ़ोतरी होगी। वहीं, राजनीतिक उथल पुथल और देश विदेश में युद्ध के हालात बनेंगे। नवरात्रि का महत्व नवरात्रि के नौ दिन के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री की पूजा होगी। पहले दिन घटस्थापना जिसे कलश स्थापना कहते हैं की जाएगी। साल में हैं चार नवरात्रसाल में चार बार नवरात्र के पर्व आते हैं- चैत्र, आषाढ़, अश्रि्वन और माघ माह के नवरात्र। चैत्र और अश्रि्वन नवरात्र को ही मुख्य माना गया है.जबकि आषाढ़ और माघ के नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं।
-किसी तिथि पर किस देवी की होगी पूजा 29 सितंबर- नवरात्रि का पहला दिन-घट कलश स्थापना- शैलपुत्री 30 सितंबर-नवरात्रि दूसरा दिन द्वितीया- ब्रह्मचारिणी पूजा 1 अक्टूबर- नवरात्रि का तीसरा दिन तृतीया तिथि- चंद्रघंटा पूजा 2 अक्टूबर - नवरात्रि का चौथा दिन चतुर्थी- कुष्मांडा पूजा 3 अक्टूबर- नवरात्रि का 5वां दिन पंचमी - स्कंदमाता पूजा 4 अक्टूबर - नवरात्रि का छठां दिन षष्ठी - कात्यायनी पूजा 5 अक्टूबर- नवरात्रि का सातवां दिन सप्तमी - कालरात्रि पूजा 6 अक्टूबर - नवरात्रि का आठवां दिन अष्टमी - महागौरी, दुर्गा अष्टमी 7 अक्टूबर-नवरात्रि का नौवां दिन नवमी -नवमी हवन, नवरात्रि पारण 8 अक्टूबर- दुर्गा विसर्जन, विजयादशमी