- रेलवे स्टेशन पर लगाई गई थीं तीन मशीनें

- पब्लिक पर आरोप, उनकी गलती से हुई खराब

GORAKHPUR: रेलवे में सिंगल यूज प्लास्टिक बोतलों को क्रश करने के लिए प्लेटफॉर्म पर लगी मशीनें गायब हो गई। एक प्राइवेट फर्म ने क्रशर मशीनें लगाई थीं। मशीन के अभाव में खाली बोतलें कूड़ेदान और रेल पटरियों पर फेंकी जा रही हैं। सीपीआरओ का कहना है कि प्लेटफॉर्म पर लगी मशीनें संचालित हो रही हैं या नहीं, इस संबंध में सही जानकारी नहीं है।

दो साल पहले लगी मशीनें, नहीं हो सका इस्तेमाल

रेलवे स्टेशन पर सिंगल यूज प्लास्टिक की बोतलों को क्रश करने के लिए दो साल पूर्व मशीनें लगाई गई थीं। प्लेटफॉर्म नंबर दो पर एसी लाउंज के पास एक मशीन लगी थी। प्लेटफॉर्म नंबर एक पर पर्यटन केंद्र और नौ नंबर पर एक मशीन लगाई गई थी। तब अन्य सभी प्लेटफॉर्मो पर मशीनों को लगाने की योजना बनी थी। स्टेशन डायरेक्टर धीरेंद्र कुमार, स्टेशन मैनेजर पीके अस्थाना, आईआरसीटीसी के संजीव गुप्ता सहित कई अधिकारियों की मौजूदगी में इसका संचालन शुरू किया गया। रेलवे स्टेशन से जुड़े लोगों का कहना है कि आईआरसीटीसी की तरफ से इसे रेलवे को दे दिया गया था। यह भी कहा गया था इसके लग जाने से डिस्पोजेबल पानी की बोतलें जहां-तहां नहीं फेंकी जाएंगी। फेंकी गई बोतलों का दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा। कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी के तहत डोनेट की गई ये मशीनें बहुत दिनों तक नहीं टिक सकीं।

पटरियों पर फेंकी जा रही पानी की बोतलें

गोरखपुर जंक्शन पर प्लेटफॉर्म नंबर एक और दो की व्यवस्था अन्य प्लेटफॉर्म की अपेक्षा ज्यादा अच्छी होती है। रेलवे स्टेशन पर साफ-सफाई के लिहाज से बोतल क्रश करने की मशीन लगी थी। लेकिन कुछ दिनों तक चलने के बाद मशीनें खराब हो गई। कुछ दिनों तक बनने का इंतजार करने के बाद इन मशीनों को हटा दिया गया। प्लेटफॉर्म से जुड़े लोगों का कहना है कि खराब पड़ी मशीनों में लोग कूड़ा डाल देते थे। इसलिए कंपनी ने हटाकर मरम्मत के लिए भेज दिया। मशीन हटने के बाद से पानी की बोतलें पटरियों पर नजर आने लगी हैं। पानी के बाद लोग खाली बोतलों को पटरियों पर फेंक दे रहे। इससे पानी की बोतलों के दोबारा यूज होने की संभावना बढ़ गई है।

मशीन खराब होने की बता रहे वजह

मशीन एक बार में 150 बोतल को नष्ट करती है।

मशीन लगाने के बाद सही तरीके से इसका इस्तेमाल नहीं हो सका।

क्रश करने के लिए पानी से भरी बोतल भी पैसेंजर्स मशीन में डालने लगे।

कुछ पैसेंजर्स इसे कूड़ेदान समझकर खाने का सामान सहित अन्य कूड़ा डालने लगे।

मशीन की देखभाल और उसके संचालन को लेकर रेलवे ने कोई सक्रियता नहीं दिखाई।

बॉक्स

एनाउंसमेंट कम, कर रहे ज्यादा शोरगुल

रेलवे स्टेशन पर मैन्युल एनाउंसमेंट के दौरान एनाउंसर की लापरवाही सामने आई है। रात की ट्रेनों के संबंध में घोषणा करने के दौरान एनाउंसर कोरम पूर्ति कर रहे। ट्रेन के आने की सूचना देने के दौरान एनाउंसर के अगल-बगल में लड़ाई-झगड़े की आवाजें भी आती हैं। गुरुवार की रात वाराणसी से चलकर लखनऊ जाने वाली कृषक एक्सप्रेस के संबंध में घोषणा के दौरान यह बातें सामने आई। ट्रेन के प्लेटफॉर्म पर पहुंचने की सूचना देने के दौरान एनाउंसर और उनके सह कर्मचारियों के बीच अनावश्यक बातचीत भी लाउड स्पीकर में सुनाई पड़ रही थी। माइक को ऑफ किए बिना ही एनाउंसर और सह कर्मचारी आपस में तरह-तरह की बातें कर रहे थे। इस दौरान यदि कोई पैसेंजर ट्रेन का टाइम पता करने पहुंच रहा तो उसकी बातचीत भी पूरे जंक्शन पर सुनाई पड़ती थी। लखनऊ जाने के लिए प्लेटफॉर्म नंबर एक पर बैठे पैसेंजर्स भी इस लापरवाही को लेकर काफी आश्चर्यचकित थे। लोगों ने कहा कि गोरखपुर जंक्शन पर इस तरह की गड़बड़ी कैसे हो सकती है।

वर्जन

रेलवे स्टेशन पर पानी की बोतल क्रश करने के लिए मशीनें लगाई थीं। वर्तमान में उनकी क्या स्थिति है, इस संबंध में जानकारी लेने के बाद ही कुछ बता पाएंगे।

पंकज सिंह, सीपीआरओ

Posted By: Inextlive