Patna : वल्र्ड चेस चैम्पियन विश्वनाथन आनंद मंडे को पटना में थे. वे पटना सिटी के सनी शेख को डेढ़ लाख रुपए की स्कॉलरशिप देने आए थे. चेस की दुनिया के बादशाह विशु कहते हैं कि हर स्टूडेंट को चेस खेलना चाहिए. इससे दिमागी ताकत बढ़ती है. स्टूडेंट्स की यादाश्त के लिए यह बेस्ट है.

हाल ही में उन्होंने पांचवां वल्र्ड चेस चैम्पियनशिप जीता है। यह चैम्पियनशिप काफी टफ था। एक समय उन्हें लगा था कि हार जाएंगे, लेकिन उन्होंने वापसी की और 12 राउंड के बाद गेम टाईब्रेकर में चला गया, जिसमें उन्होंने बाजी जीत ली। इस एक्सपीरिएंस को शेयर करने के साथ ही उन्होंने आई नेक्स्ट से खुल कर बात की।

लगातार वल्र्ड चैम्पियन रहने के बाद भी देश में चेस की कंडिशन ठीक नहीं है?
पिछले 25 वर्षों में चेस की स्थिति बदली है। यह स्पोर्ट लगातार प्रोग्रेस कर रहा है। धीरे-धीरे ही सही, लेकिन चेस सही दिशा में जा रहा है।

आपको क्या लगता है, ओलंपिक में इंडिया को कितने मेडल मिल सकते हैं?
पांच मेडल हमें मिल जाएं तो ठीक रहेगा। यदि इससे ज्यादा मिलते हैं तो और भी अच्छा है।

चेस को ओलंपिक में क्यों नहीं शामिल किया जा रहा है?
देखिए 14 साल पहले चेस को ओलंपिक में शामिल करने की बात चली थी। काफी जोर-शोर से मामला आगे भी बढ़ा, लेकिन फिर सबकुछ खत्म हो गया।

चेस क्यों खेलना चाहिए?
चेस खेलने से डिसिप्लिन में रहने की सीख मिलती है। डिसीजन मेकिंग में भी चेस हेल्प करता है। यदि स्टूडेंट्स इस गेम को खेलते हैं, तो उनका मेंटल लेवल बढ़ता है। इसे स्कूलों में अनिवार्य तौर पर स्टार्ट कर देना चाहिए।

यदि आप चेस प्लेयर नहीं होते तो क्या होते?
चेस प्लेयर बनने के लिए ही मेरा जन्म हुआ है। दूसरे खेल अपनी जगह सही हैं, लेकिन मुझे तो चेस में ही मजा आता है। क्लास सिक्स्थ से मैंने चेस खेलना स्टार्ट कर दिया था। गेम को मैं पूरी तरह से इंज्वाय करता था, तभी तो आज ग्रैंड मास्टर हूं।

जीतने के लिए सबसे जरूरी क्या है?
जीतने के लिए सबसे अहम है कि हर स्टेप को पूरी तरह से जांच परख करने के बाद ही चलें। दिमाग को पूरी तरह से खुला रखना चाहिए। इसमें भी दिल की नहीं सौ फीसदी दिमाग की सुननी चाहिए। जीतने के लिए अंत-अंत तक जुझारूपन दिखाना चाहिए। जब तक हार न हो जाए तब तक हार नहीं माननी चाहिए।
Conversation with Sudhir Kumar 

Posted By: Inextlive