PATNA : नाव डूबने की घटना अपने पीछे कई सवाल छोड़कर गई है। आयोजन सरकार का था और निमंत्रण सभी को था, लेकिन इंतजाम उनका नहीं था। जिस प्रकार से पटना में जलनिकास की व्यवस्था को स्थायी तौर पर अनदेखा कर बेतरतीब तरीके से बिल्डिंगें बनायी जा रही हैं, ठीक वैसे ही नाव डूबने की घटना पर प्रशासन पहले हुए हादसों को अनदेखा कर अपने आंखों के सामने सबकुछ देखता रहा। कितने नाव को फस्टिवल के समय थी अनुमति, क्या सभी ने लाइफ गार्ड जैकेट पहना था और इससे भी अहम सवाल गंगा के दोनों ही किनारों पर नाव पर चढ़ने वालों की संख्या को लिमिट क्यों नहीं किया गया।

अभियान चला भूल जाते हैं

आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से बीते कुछ सालों से लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। लेकिन इस बात को अनदेखा कर दिया जाता है बाद में। लोगों के बीच भी इस प्रकार की लापरवाही जाती ही नहीं। घटना के दौरान प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि डूबने वाले अधिकांश लोग कम गहराई वाले पानी में ही डूब कर मर गए। यदि सभी को लाइफ जैकेट मुहैया कराया जाता और नाव पर चढ़ने वाले लोगों की संख्या को नियंत्रित रखते तो इतनी बड़ी घटना नहीं होती।

जेटी की करते व्यवस्था

इस घटना के बार में एनआइटी के अस्सिटेंट प्रोफेसर एनएस मौर्या ने बताया कि मौके पर मौलिक और जरूरी बातों को अनदेखा किया गया। घाट से नाव पर चढ़ने के लिए जेटी यानि एक प्लेटफार्म बांस या लकड़ी का जरूर बनाया जाना चाहिए था। इसका अभाव दिखा। नाव की कैपेसिटी को निर्धारित करते हुए उसमें चढ़ने वालों को एहतियातन सभी सुरक्षा उपकरण दिये जाने चाहिए। आपदा की तैयारी एक दिन में नहीं होती, इसे चरणबद्ध तरीके से निर्धारित किया जाना चाहिए।

सिर्फ एम्बुलेंस काफी नहीं

पतंगबाजी जैसे कार्यक्रम करने से पहले शामिल होने वालों की संख्या का आंकलन और पूरी व्यवस्था जरूरी है। आईजीआईएमएस में एनीस्थिसिया के एचओडी और ट्रामा ट्रेनिंग एंड स्किल सेंटर के इनचार्ज डॉ अजित गुप्ता ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम में एक एम्बुलेंस और पारामेडिकल स्टाफ की व्यवस्था देना नाकाफी है। जनसमूह की संख्या के आधार पर इसका निर्धारण होना चाहिए। एक सेफ्टी सर्किट बनाया जाना चाहिए, जिसमें डॉक्टर, पारामेडिकल स्टाफ, दवाईयां ही नहीं कम्यूनिकेशन के आधुनिक साधनों की भी व्यवस्था हो।

सरकार ही कर रही अनदेखी

आपदा से निपटने के लिए एनएमसीएच और आईजीआईएमएस को ट्रामा ट्रेनिंग सेंटर के लिए नोडल ट्रेनिंग सेंटर के रूप में चिन्हित किया गया है। लेकिन ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए दो माह बाद भी स्वास्थ्य विभाग, भारत सरकार का अप्रूवल नहीं आया है। इसके तहत छह माह का डाक्टरों और पारामेडिकल स्टाफ का ट्रेनिंग होगा।

एक्सपर्ट ने कहा

आयोजन स्थल पर एनडीआरएफ को स्थायी तौर पर रहना चाहिए था।

घाट के दोनों ही हिस्सों पर प्रशासन द्वारा नाव पर चढ़ने वाले लोगों की संख्या को नियंत्रित रखना चाहिए था।

नाव पर चढ़ने वाले को लाइफ गार्ड जैकेट मुहैया करना चाहिए था।

बचाव दल को हर प्रकार की स्थिति से निपटने के लिए समुचित ट्रेनिंग दी जानी चाहिए।

Posted By: Inextlive